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देसी कंपनियों ने शुरू की ग्लोबल तैयारी, विस्तार के लिए नए प्लांट लगाने की योजनाएं बनाईं; अब रिसर्च पर भी रहेगा फोकस

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नई दिल्ली. स्वदेशी उत्पाद खरीदने में ‘लोकल के लिए वोकल’ बनने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद स्वदेशी कंपनियों में लोकल ब्रांड के लिए नई स्फूर्ति देखी जा रही है। स्थानीय उत्पादों की बढ़ती मांग के मद्देनजर कई कंपनियों ने अगले वित्त वर्ष से विस्तार की योजना भी बनाई है। साथ ही यह उम्मीद भी जताई है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनकी कंपनियों की स्थिति तेजी से ठीक होगी।

मोबाइल हैंडसेट, चाय, साबुन, ऑटो और एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियां अपने कारोबार के बारे में नए सिरे से सोच रहीं हैं और उसी के अनुसार अपनी योजनाएं बनाने में जुट गई हैं। ऐसा केवल देश में ही नहीं, अमेरिका में भी हो रहा है।

देसी कंपनियों को सपोर्ट करने से अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित होगी
इस सिलसिले में पतंजलि आयुर्वेद के स्वामी रामदेव कहते हैं कि खाद्य तेलों से लेकर फूड प्रोडक्ट व एफएमसीजी में एक लाख करोड़ रुपए तक करने की भूमिका निभाने के लिए पतंजलि प्रतिबद्ध है। उनके मुताबिक इससे 10 से 20 करोड़ लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

वहीं, घड़ी डिटरजेंट बनाने वाली कंपनी आरएसपीएल के ज्वाइंट एमडी राहुल ज्ञानचंदानी कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था तभी पुनर्जीवित होगी, जब हम देसी कंपनियों को सपोर्ट करेंगे। हमारे 20 प्लांट हैं, खपत लगातार बढ़ रही है। जरूरत हुई तो हम एक और प्लांट लगाएंगे।

कई कंपनियों ने ब्रांडिंग की योजना भी बनाई
इधर, कई कंपनियों ने अपनी ब्रांडिंग की योजना भी बनाई है। बाघ बकरी टी ग्रुप के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई ने कहा कि हमारी चाय 40 देशों में बिकती है। हम और प्रचार करेंगे कि लोकल कंपनी होने के बाद भी हम आगे कैसे बढ़े। प्रधानमंत्री की अपील के बाद उम्मीद है कि हमारे उत्पाद की डिमांड भी बढ़ेगी।

अभी स्टॉक की चाय ही बिक रही है, लेकिन बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए एक साल बाद हम नया प्लांट लगाएंगे। वहीं, एक बड़ी ऑटो मोबाइल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पीएम की अपील और लेबर रिफॉर्म्स के साथ ही अन्य निर्णयों के जमीन पर उतरने के बाद भारतीय कंपनियों को न सिर्फ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी बल्कि वे ग्लोबल भी बनेंगी।

40% अमेरिकियों ने कहा कि उन्हें चीन के बने उत्पाद नहीं चाहिए
इधर, ब्लूमबर्ग की हालिया सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 40% अमेरिकियों ने कहा कि उन्हें चीन के बने उत्पाद नहीं चाहिए जबकि 22% अमेरिकियों ने भारत में बने उत्पादों को भविष्य में खरीदने से मना किया है। ऐसे में भारतीय भी स्वदेशी उत्पाद खरीदने के लिए आगे आ सकते हैं।

प्रोडक्ट और सर्विस विश्वस्तरीय देने से ही मुकाबला होगा

विश्व की पांचवी सबसे बड़ी फीचर फोन बनाने वाली कंपनी लावा इंटरनेशनल के चेयरमैन और एमडी हरिओम राय कहते हैं कि कोई भी देश जो बड़ा बना है, वो सिर्फ इसलिए बड़ा हुआ है क्योंकि उनकी कंपनी बड़ी बनी है। कंपनियों को अपने प्रोडक्ट और सर्विस को विश्वस्तरीय करना पड़ेगा, तभी हम मल्टी नेशनल कंपनियों से मुकाबला कर पाएंगे।

19-20 का थोड़ा-बहुत फर्क होगा तो लोग स्थानीय प्रोडक्ट को ही पसंद करेंगे लेकिन यही अंतर 17-25 का होगा तो फिर स्थानीय होते हुए भी उत्पाद नहीं बिक सकेगा। नई पॉलिसी आने के बाद हम चीन से पूरा प्रोडक्ट शिफ्ट कर रहे हैं और भारत में ही आर एंड डी सेंटर सहित डिजाइन और निर्माण का काम भी यहीं कर रहे हैं।

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