Newsportal

राजस्थान विधानसभा का सत्र आज:सरकार विश्वास प्रस्ताव लाएगी, भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की; बीएसपी ने अपने विधायकों से कहा- कांग्रेस के खिलाफ वोट करें

कांग्रेस में एक महीने चली बगावत के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा- कांग्रेस ने जनहित में कोई काम नहीं किया

0 132
गुरुवार की फोटो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर की है। बगावत के बाद सचिन पायलट ने पहली बार गहलोत से मुलाकात की।

राजस्थान में बगावत थमने के बाद आज से 15वीं विधानसभा का 5वां सत्र बुलाया शुरू होगा। इसमें गहलोत सरकार विश्वास प्रस्ताव लाएगी। भाजपा ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी पूरी कर ली है। इस बीच बसपा ने कांग्रेस में गए अपने 6 विधायकों को व्हिप जारी कर कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में कांग्रेस के खिलाफ वोट करें।

विधानसभा में कांग्रेस की रणनीति तैयारी करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर गुरुवार को विधायक दल की बैठक हुई। इसमें सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायक भी पहुंचे। मीटिंग में गहलोत ने कहा कि जो हुआ भुला दो, अपने तो अपने होते हैं। इन 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते, लेकिन खुशी नहीं मिलती। गहलोत ने कहा कि हम खुद विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। जो विधायक नाराज हैं, उनकी नाराजगी दूर करेंगे।

विधानसभा के मौजूदा गणित में सरकार सुरक्षित

कुल विधायक: 200
बहुमत का आंकड़ा: 101
सरकार के पास: 125
कांग्रेस: 107 (पायलट गुट के 19, बसपा के 6 एमएलए शामिल)
आरएलडी: 1
निर्दलीय: 13
बीटीपी: 2
माकपा: 2

विपक्ष
विधायक: 75
भाजपा: 72
आरएलपी: 3

भाजपा इस तरह सरकार को ऐसे घेरेगी
कांग्रेस से पहले भाजपा ने भी गुरुवार को अपने विधायकों के साथ बैठक की। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्र कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए। वसुंधरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जनता के लिए कुछ नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। सरकार एक महीने से बाड़े में बंद है। प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं की अनदेखी की जा रही है।

फोन टेपिंग से जुड़े सवाल को हटाया गया
सत्र के लिए 2 दिन का प्रश्नकाल तय हुआ है। 500 से ज्यादा सवाल अभी तक विधानसभा के रिकॉर्ड पर लिए गए हैं। 17 और 18 अगस्त के प्रश्नकाल के लिए अभी तक चुने गए सवालों में से फोन टेपिंग से जुड़ा सवाल भी बाहर कर दिया है। जबकि, बीजेपी फोन टेपिंग को प्रमुख मुद्दा बना कर घेरने का ऐलान कर चुकी है।

कोरोना को लेकर 26, मजदूरों को लेकर 6 सवाल
विधायकों की तरफ से जनता की मांग के आधार पर लगाए सवालों में सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना का लग रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा से 54 सवाल किए हैं, जिनमें से 26 कोरोना को लेकर हैं। आपदा प्रबंधन विभाग से टिड्डी दलों के हमले और नुकसान पर 6 सवाल और कोरोना काल में मजदूरों के राजस्थान आने-जाने को लेकर भी 6 सवाल हैं।

राजस्थान की सियासत में अब 5 सवाल:गहलोत समर्थक विधायक नाराज हो सकते हैं, पायलट समर्थकों को सम्मान न मिलने का डर; लेकिन मुख्यमंत्री की राह आसान नहीं

सचिन पायलट (बाएं) और अशोक गहलोत के बीच पिछले दिनों जो घमासान हुआ, उसके बाद इस बात की संभावना कम है कि दोनों के रिश्ते सामान्य हो पाएंगे। (फाइल)
  • पायलट गुट के विधायकों को पार्टी में फिर से जगह से गहलोत समर्थक कई विधायक नाराज हैं
  • गहलोत गुट के विधायकों ने कहा था- 22 लोग मिलकर दबाव बना सकते हैं तो फिर हमारी संख्या उनसे बहुत ज्यादा है

सचिन पायलट खेमे के बागी विधायकों को पार्टी में फिर मिली जगह से अशोक गहलोत समर्थक कई विधायक नाराज हैं। अपने नाराज विधायकों से मुख्यमंत्री गहलोत ने संदेश दिया- भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो…। लेकिन, सियासी गलियारों में सवाल यह है कि क्या गहलोत ने जो सलाह दी है, वैसा हो पाएगा? क्या खुद गहलोत और उनके समर्थक विधायक बागी विधायकों को माफ कर पाएंगे? बहरहाल, इन सवालों का जवाब तो वक्त ही देगा। लेकिन, लग ये रहा है कि गहलोत की राह अब भी आसान नहीं होगी। इसके 4 मुख्य कारण हैं।

1. विधायकों की उम्मीदें पूरी कैसे करेंगे
गहलोत समर्थक विधायक बगावत के दौर में एक महीने तक एकजुट रहे। इनकी वजह से ही गहलोत की कुर्सी भी बची। गहलोत के समर्थक विधायक कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं। कुछ मंत्री बनना चाहते हैं तो कुछ दूसरे पदों पर नियुक्ति के सपने संजोए हैं। बागी विधायकों की वापसी का ये विरोध कर रहे हैं। गहलोत समर्थकों को डर है कि कहीं बागी विधायक उनके मंत्री पद पर कब्जा न कर लें। ये विधायक बागियों को सम्मान तक नहीं देना चाहते।

2. सचिन खेमे के विधायकों को क्या फिर मिलेंगे पद
सचिन पायलट और उनके समर्थक 21 विधायकों के लिए भी आगे की राह मुश्किल है। हो सकता है कि पायलट को संगठन में बड़ा पद देकर उन्हें राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति से दूर कर दिया जाए। लेकिन, सचिन के समर्थक विधायक क्या करेंगे? इन विधायकों को कोई भी महत्वपूर्ण पद देने का गहलोत खेमा खुलकर विरोध करेगा। ऐसे में फिलहाल इन विधायकों के सामने देखो और इंतजार करो की नीति पर चलने के सिवाय कोई विकल्प नजर नहीं आता। उनके सब्र का इम्तिहान होगा। गहलोत के लिए भी संतुलन बनाए रखने की चुनौती होगी।

3. गहलोत पर दबाव बढ़ेगा
माना जा रहा है कि सचिन की पार्टी में वापसी का कोई फॉर्मूला है। हालांकि, इसकी जानकारी चंद लोगों को ही होगी। मान लीजिए, अगर पायलट समर्थक विधायकों को कोई पद दिया जाता है तो गहलोत के समर्थक विधायक नाराज हो जाएंगे। इसकी झलक जैसलमेर में मिली थी। गहलोत समर्थक विधायकों ने कहा था- अगर 22 लोग मिलकर दबाव बना सकते हैं तो हमारी संख्या तो बहुत ज्यादा है।आलाकमान को हमारा पक्ष भी सुनना पड़ेगा। बात यह कि अगर इन विधायकों को संतुष्ट नहीं किया गया तो असंतोष बढ़ेगा। फिर कोई बगावत या विद्रोह हो सकता है।

4. क्या गहलोत और पायलट के रिश्ते सुधर पाएंगे
बगावत के दौर में अपनी सरकार बचा कर गहलोत ने पार्टी में अपना कद काफी ऊंचा कर लिया है। फिलहाल उन्हें प्रदेश में कोई चुनौती मिलती नजर नहीं आती। दिल्ली में बैठा आलाकमान तो बिल्कुल इस स्थिति में नहीं है कि गहलोत से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को कहे। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अपने विरोधियों को निपटाने में माहिर गहलोत स्वयं बागी विधायकों को माफ कर पाएंगे? सचिन पायलट और गहलोत के रिश्तों में बनी तल्खी कम या खत्म होगी? इसमें संदेह है।

5. क्या गहलोत बनेंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष
सिर्फ एक स्थिति में ही गहलोत की राजस्थान से विदाई हो सकती है, अगर उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए। क्योंकि, पार्टी एक साल से अस्थाई अध्यक्ष के भरोसे चल रही है। कई नेता मांग कर रहे हैं कि स्थायी अध्यक्ष होना चाहिए। राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हैं। सोनिया की सेहत ठीक नहीं है। माना जा रहा है कि अगर गांधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनती है तो फिर गहलोत पहली पसंद होंगे। हालांकि, ये भी तय है कि गहलोत की विदाई के बावजूद मुख्यमंत्री पद का ताज सचिन के बजाय उनके किसी समर्थक के सिर पर ही सजेगा। व्यक्तिगत बातचीत में गहलोत पहले कई बार इससे साफ इनकार कर चुके हैं। उन्होंने हमेशा यही कहा कि उनके लिए राजस्थान सबसे पहले है, और वे यहीं रहकर खुश हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.