Newsportal

कोरोना को नाक में ब्लॉक करेगा इनहेलर:अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा- नैनोबॉडीज वाला एंटी कोरोना स्प्रे वायरस को नाक से आगे बढ़ने नहीं देगा, यह पीपीई से भी ज्यादा असरदार

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तैयार किया नेजल स्प्रे ऐरोनैब्स इसमें मौजूद नैनोबॉडीज संक्रमण करने वाले कोरोना प्रोटीन को ब्लॉक करती हैं

0 236

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसा इनहेलर बनाया है, जो कोरोना को रोकने में पीपीई से भी ज्यादा सुरक्षा देगा। यह दावा कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। इस इनहेलर को ऐरोनैब्स नाम दिया गया है, जिसे इस्तेमाल करने के लिए नाक में स्प्रे करना होगा।

इस इनहेलर में खास तरह की नैनोबॉडीज हैं, जो एंटीबॉडी से तैयार की गईं। ये एंटीबॉडीज लामा और ऊंट जैसे जानवरों में पाई जाती है, जो शरीर को तगड़ी इम्युनिटी देती हैं। इनहेलर में मौजूद नैनोबॉडीज को लैब में तैयार किया है। ये जेनेटिकली मॉडिफाइड हैं, जो खासतौर पर कोरोना को ब्लॉक करने के लिए विकसित की गई हैं।

क्या होती हैं नैनोबॉडीज
लैब में प्रयोग के दौरान देखा गया है कि कोरोना को शरीर में संक्रमण फैलाने से रोकने में एंटीबॉडीज काम करती हैं। एंटीबॉडीज की तरह नैनोबॉडीज भी प्रोटीन से बनी होती हैं। यह एंटीबॉडीज का छोटा रूप होती हैं और अधिक संख्या में बनाई जा सकती हैं। नैनोबॉडीज की खोज 1980 में बेल्जियम की लैब में हुई थी।

ऐसे कोरोना को रोकती हैं नैनोबॉडीज
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब कोरोना संक्रमण फैलाने के लिए अपने स्पाइक प्रोटीन से इंसान के ACE2 रिसेप्टर से जुड़ता है तो वहीं पर ये नैनोबॉडीज उसके प्रोटीन को ब्लॉक कर देती है। ऐसा होने पर वायरस ACE2 रिसेप्टर से नहीं जुड़ पाता और संक्रमण नहीं होता। ACE2 रिसेप्टर इंसानी कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है, जिससे कोरोना के संक्रमण का एंट्री पॉइंट है।

सार्स महामारी के समय भी नैनोबॉडीज से न्यूट्रल हुआ था कोरोना
शोधकर्ता पीटर वॉल्टर के मुताबिक, जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती है या जिन्हें उपलब्ध नहीं हो पाती तब तक एरोनैब्स वायरस से सुरक्षित रखने का स्थायी विकल्प हो सकता है। सार्स महामारी के समय भी कोरोनावायरस को न्यूट्रल करने के लिए नैनोबॉडीज तैयार की गई थीं। शोधकर्ता डॉ. आशीष मांगलिक के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने लैब में 21 ऐसी नैनोबॉडीज बनाईं, जो कोरोना के खिलाफ काम करती हैं।

जल्द शुरू होगा ह्यूमन ट्रायल
शोधकर्ता इस नेजल स्प्रे को लोगों तक पहुंचाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग फर्म से करार कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू हो सकेगा। अगर यह 100 फीसदी उम्मीदों पर खरा उतरता है तो इस महामारी को रोकने में बहुत आसान और सुविधाजनक उपाय बन सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.