जम्मू-कश्मीर के एलजी बदले:मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे, राष्ट्रपति ने गिरीश चंद्र मुर्मू का इस्तीफा मंजूर किया; सिन्हा रेल राज्य मंत्री रह चुके हैं
गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल थे, उन्होंने बुधवार को इस्तीफा दिया था चर्चा है कि मुर्मू को कैग बनाकर दिल्ली भेजा जा रहा है, क्योंकि मौजूदा कैग राजीव महर्षि इसी हफ्ते रिटायर हो रहे
पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा (61) जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे। राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी है। सिन्हा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री और संचार राज्य मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, पिछले साल गाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव हार गए थे। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में भी चर्चा में आया था।
गाजीपुर जिले के मोहनपुरा में जन्मे सिन्हा पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े गांवों के विकास से जुड़े कामों में सक्रिय रहे थे। पॉलिटिकल करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई। 1982 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट चुने गए थे। 1989 से 1996 तक भाजपा की नेशनल काउंसिल के सदस्य रहे। 1996 में पहली बार लोकसभा पहुंचे। 2014 में उन्होंने तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता था।
गिरीश चंद्र मुर्मू को कैग की जिम्मेदारी मिल सकती है
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गिरीश चंद्र मुर्मू का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। मुर्मू केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल थे। उन्होंने बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। 1985 बैच के आईएएस ऑफिसर मुर्मू गुजरात कैडर के अफसर हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुर्मू को कॉम्पट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) बनाकर दिल्ली भेजा जा रहा है। फिलहाल राजीव महर्षि कैग हैं और वे इसी हफ्ते रिटायर हो रहे हैं।
मुर्मू के अचानक इस्तीफे पर उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाए
5 अगस्त यानी एक दिन पहले जब कश्मीर में धारा 370 हटने का एक साल पूरा हुआ, ठीक उसी दिन सोशल मीडिया और वॉट्सऐप ग्रुप्स पर अचानक मुर्मू के इस्तीफे की खबर वायरल हुई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर से जुड़ी चर्चा अचानक कैसे शुरू हो गई?
पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री और भाजपा के सीनियर लीडर मनोज सिन्हा अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल होंगे। बुधवार शाम को गिरीश चंद्र मुर्मू ने इस्तीफा दे दिया था। गुरुवार सुबह राष्ट्रपति भवन की ओर से मनोज सिन्हा को उपराज्यपाल बनाने की जानकारी दी गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में सिन्हा की हार के बाद कई तरह की अटकलें थीं। एक साल बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर के दूसरे उपराज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई है।
सिन्हा ने 23 साल की उम्र में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) छात्रसंघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। इसके बाद राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। शुरुआती समय से ही वे भाजपा से जुड़े और 1996 में गाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।
सरल स्वभाव के हैं मनोज सिन्हा
2014 में मोदी लहर थी और मनोज सिन्हा गाजीपुर से तीसरी बार सांसद चुने गए। यह उनका घरेलू में मैदान समझा जाता है। वे संसदीय क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते थे, लेकिन 2019 में बाजी पलटी तो सिन्हा रेल राज्य मंत्री होते हुए भी लोकसभा चुनाव हार गए।
करीबियों का कहना है कि सिन्हा स्वभाव से बहुत सरल हैं। पार्टी के भीतर और बाहर उनका कोई राजनीतिक दुश्मन नहीं दिखता। सबसे अच्छे रिश्ते रखने में माहिर हैं। या फिर कहें कि वे किसी तरह की गुटबाजी का हिस्सा नहीं बनते।
2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बनने की रेस में थे
सिन्हा की छवि साफ-सुथरी है। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा को बहुमत मिला, तब सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में सबसे आगे था। हालांकि, वे हर बार मना करते रहे। वे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री भी बनाए गए और प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पूर्वांचल के लिए अच्छा काम किया।
वे मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। मोदी और सिन्हा के बीच आरएसएस के दिनों से ही अच्छे संबंध हैं। पहले वे राजनाथ सिंह के अपोजिट माने जाते थे, लेकिन अब राजनाथ से भी उनके करीबी रिश्ते हैं।
पहली बार जिले के किसानों की सब्जियां यूरोपीय देशों तक पहुंचाईं
उत्तर प्रदेश युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष राय बताते हैं कि खेती-किसानी से जुड़े परिवार में जन्म लेने की वजह से मनोज सिन्हा का दिल हमेशा किसानों और गांवों के लिए धड़कता है। उनका लगाव पिछड़े गांवों की तरफ हमेशा से ही रहा है। वे खुद धान-गेहूं और आलू की खेती करते रहे और अब करवाते हैं।
उनका किसानों और खेती से लगाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2014 की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बने तब उन्होंने गाजीपुर में किसानों के लिए पोर्ट खुलवाया। उन्हीं की कोशिशों से जिले के किसानों की सब्जियां यूरोपियन देशों में भेजी जा सकीं।
मनोज सिन्हा 1989-96 के बीच भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य रहे। 1996, 1999 और 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए। सिन्हा गाजीपुर से पहली बार 1996 में लोकसभा पहुंचे। 1999 से 2000 के बीच वे योजना और वास्तुशिल्प विद्यापीठ की महापरिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा शासकीय आश्वासन समिति और ऊर्जा समिति के सदस्य भी रहे।
1 जुलाई, 1959 को जन्मे मनोज सिन्हा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) से 1982 में सिविल इंजीनियरिंग में एम. टेक किया। सिन्हा की शादी 1 मई 1977 को सुल्तानगंज, भागलपुर की नीलम सिन्हा से हुई। उनकी एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है। बेटा टेलीकॉम कंपनी में जॉब करता है।