अयोध्या में होगा उत्सव जैसा माहौल:राम मंदिर के भूमि पूजन पर दो दिन 6-6 लाख दीपों से जगमगाएगी अयोध्या, अतिथियों में 6 सिख धर्मगुरु भी
5 अगस्त को प्रधानमंत्री के आगमन के दाैरान राम मंदिर आंदोलन के इतिहास और स्थल से मिले पुरावशेषों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। मंदिर ट्रस्ट ने कहा- चांदी की शिलाएं न लाएं भक्त, उसके बराबर पैसे खाते में जमा करवाएं पेंट माई सिटी अभियान के तहत पूरा शहर सजाया जा रहा है, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सीमित संख्या में अतिथि आमंत्रित किए हैं
अयोध्या में 5 अगस्त काे राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह को भव्य और ऐतिहासिक रूप देने की तैयारी है। 4 और 5 अगस्त को अयोध्या में 6-6 लाख से अधिक दीप जलाए जाएंगे। दोनों दिन जन्मभूमि परिसर में 21-21 हजार दीप जगमगाएंगे। पेंट माई सिटी अभियान के तहत पूरा शहर सजाया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सीमित संख्या में अतिथि आमंत्रित किए हैं।
समारोह के लिए 200 लाेगाें की सूची बनाई गई है। इनमें आरएसएस और विहिप से 5-5 प्रतिनिधि, 6 सिख धर्मगुरु, 2 शंकराचार्य शामिल हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से धर्मगुरु आमंत्रित किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सूची में कोई उद्योगपति नहीं है।
प्रदर्शनी लगाई जाएगी
5 अगस्त को प्रधानमंत्री के आगमन के दाैरान राम मंदिर आंदोलन के इतिहास और स्थल से मिले पुरावशेषों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। आंदोलन इतिहास और संघर्ष से जुड़ी स्मारिका का प्रधानमंत्री विमोचन भी करेंगे। परिसर में लगाए जाने वाले वृक्षों से जुड़ी पुस्तिका का भी विमोचन किया जाएगा। इसमें प्रमुख वृक्ष सीता अशोक है।
दुनियाभर से रामभक्त ट्रस्ट के सदस्यों से संपर्क कर दान देने की प्रक्रिया की जानकारी मांग रहे हैं। इसी बीच, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि कई श्रद्धालु चांदी की शिलाएं अयाेध्या ला रहे हैं। आज मंदिर निर्माण के लिए बैंक में धन चाहिए, चांदी नहीं चाहिए। उन्हाेंने आग्रह किया कि चांदी के बजाय भक्त ट्रस्ट के अकाउंट में पैसा जमा करवाएं।
राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले अयाेध्या की मस्जिदें सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहीं
अयाेध्या में 5 अगस्त काे राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले जन्मभूमि के आसपास स्थित मस्जिदें सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश फैला रही हैं। राम काेट वार्ड के पार्षद हाजी असद अहमद कहते हैं कि यही अयोध्या की महानता है कि मंदिर के इर्द-गिर्द स्थित मस्जिदें पूरी दुनिया काे सौहार्द का संदेश दे रही हैं। राम जन्मभूमि परिसर भी उनके वार्ड में ही आता है। 70 एकड़ के राम जन्मभूमि परिसर के आसपास आठ मस्जिदें और दाे मकबरे हैं।
रामलला के दर्शन के लिए भक्तों को एक घंटा ज्यादा
रामलला के दर्शन के लिए एक घंटे का समय बढ़ाया गया है। अब सुबह 7 बजे से 11 बजे की जगह वे 7 से 12 बजे तक रामलला के दर्शन कर पाएंगे। दूसरी पाली में दर्शन 2 से 6 बजे तक होते हैं। शनिवार व रविवार को लॉकडाउन के दिन लोकल लोगों को आने की अनुमति है।
अयोध्या में भूमि पूजन:भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा अयोध्या का राम मंदिर, दुनिया में चौथे पायदान पर रहेगा, रंगनाथ स्वामी मंदिर देश में पहले नंबर पर
- 402 एकड़ में बना है कंबोडिया का अंगकोरवाट मंदिर
- सबसे बड़े 10 मंदिरों में 6 भारत के, नार्थ अमेरिका के न्यू जर्सी का स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर बना है 163 एकड़ में
- स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस का मंदिर भी है टॉप 10 मंदिरों में शामिल
5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम के मंदिर का भूमि पूजन होने जा रहा है। अभी मंदिर का जो मॉडल है, वो 67 एकड़ के क्षेत्र का है। लेकिन, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस बात की योजना बना रहा है, कि मंदिर का क्षेत्र 108 एकड़ तक हो। अगर ऐसा होता है, तो क्षेत्रफल के लिहाज से ये मंदिर दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मंदिर हो जाएगा। दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर कंबोडिया का अंगकोरवाट है। इसका क्षेत्रफल 402 एकड़ है। भारत का सबसे बड़ा मंदिर तमिलनाडु का श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर है। जो करीब 156 एकड़ के क्षेत्र में है।
अगर, मंदिर वर्तमान प्रस्तावित 67 एकड़ भूमि पर ही बनता है तो भी ये दुनिया का 5वां सबसे बड़ा मंदिर होगा। 5 अगस्त को भूमि पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। अगले 3 साल में मंदिर के पूरा हो जाने की उम्मीद है। मजेदार बात ये है कि भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। लेकिन, दुनिया के 10 सबसे बड़े मंदिरों में से 4 विदेशी भूमि पर हैं। दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंगकोरवाट है, जो कंबोडिया में है। कुछ धर्म गुरुओं ने राम मंदिर भी इसी की तर्ज पर बनाने की मांग की थी। सबसे बड़े मंदिरों में एक कंबोडिया, एक अमेरिका और दो इंडोनेशिया में हैं।
जानिए क्षेत्रफल के आधार पर दुनिया के 10 सबसे बड़े मंदिर कौन-कौन से हैं…
1. अंगकोर वाट मंदिर – क्षेत्रफल की दृष्टि से कंबोडिया के अंगकोर का ये मंदिर दुनिया में सबसे बड़ा है। ये करीब 402 एकड़ में फैला हुआ है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने करवाया था।
2. स्वामीनारायण अक्षरधाम, न्यू जर्सी – नॉर्थ अमेरिका के न्यू जर्सी में श्री स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण संस्था द्वारा बनाया गया है। ये मंदिर 2014 मे दर्शनार्थियों के लिए खोला गया है। बीएपीएस स्वामीनारायण संस्थान स्वामीनारायण शाखा का एक संप्रदाय है।
5. छतरपुर मंदिर – भारत की राजधानी नई दिल्ली में 1974 में संत नागपाल ने छतरपुर मंदिर बनवाया था। ये मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बना हुआ है। यहां देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है।
6. अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली – नई दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण संस्थान द्वारा बनाया गया है। 2005 में मंदिर को दर्शनार्थियों के लिए खोला गया था। मंदिर निर्माण 3,000 स्वयंसेवकों और करीब 7,000 कारीगरों ने मिलकर बनाया था।
7. बेसाकी मंदिर – इंडोनेशिया के बाली में बेसाकी मंदिर स्थित है। यहां बालिनी मंदिरों की एक श्रृंखला है। ये मंदिर छह स्तरों में बनाया गया है। ढलान को सीढ़ीदार बनाया गया है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि यहां 13वीं शताब्दी से यहां पूजा हो रही है।
8. बेलूर मठ, रामकृष्ण मंदिर – भारत में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बेलूर मठ रामकृष्ण मंदिर स्थित है। ये रामकृष्ण परमहंस मिशन का मुख्यालय है। इसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी। यह हुगली नदी के पश्चिमी तट पर बना हुआ है। इसकी स्थापना 1935 में हुई थी।
9. थिल्लई नटराज मंदिर – भारत में तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम नगर में थिल्लई नटराज मंदिर स्थित है। ये शिवजी का मंदिर है। यहां शिवजी के नटराज स्वरूप में दर्शन होते हैं। यहां गणेशजी, मुरुगन और विष्णु आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। इस मंदिर का निर्माण 10वीं के आसपास माना जाता है।
10. प्रम्बानन, त्रिमूर्ति मंदिर – इंडोनेशिया के मध्य जावा के याग्याकार्टा क्षेत्र में प्रम्बानन त्रिमूर्ति मंदिर स्थित है। ये शिवजी का मंदिर है। इसका निर्माण 9वीं शताब्दी का माना जाता है। यहां की ऊंची और नुकीली वास्तुकला इसे खास बनाती है।
अयोध्या से ग्राउंड रिपोर्ट:मोदी जिस राम मूर्ति का शिलान्यास करेंगे, उस गांव में अभी जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हुआ; लोगों ने कहा- हमें उजाड़ने से भगवान राम खुश होंगे क्या?
- सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब पहली भव्य दिवाली अयोध्या में मनाई थी, तब ही उन्होंने राम की सबसे बड़ी मूर्ति लगाने का ऐलान किया था
- ऊर का पुरवा गांव की इंद्रावती देवी कहती हैं कि प्रशासन जबरन जमीन लेना चाहता है, लेकिन हम जब तक जिंदा हैं ऐसा नहीं होने देंगे
सरयू घाट से लगभग 5 किमी दूर माझा बरहटा ग्राम सभा है। प्रशासन ने तय किया है कि अब राम की सबसे ऊंची 251 फीट की भव्य मूर्ति यहीं लगाई जाएगी। 5 अगस्त को राम जन्मभूमि का पूजन करने आ रहे पीएम नरेंद्र मोदी 1000 करोड़ की 51 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इन परियोजनाओं में 251 फीट की राममूर्ति भी शामिल है।
लेकिन, जहां राम की प्रतिमा लगनी है, वहां अभी जमीन का अधिग्रहण तक नहीं हुआ है। लखनऊ हाईवे रोड पर स्थित इस ग्रामसभा में मूर्ति को लेकर काम शुरू नहीं हुआ है। इस ग्रामसभा में 3 गांवों की करीब 1500 से ज्यादा की आबादी है जोकि 500 से 600 घरों में रहती है। यहां की 86 एकड़ जमीन को प्रशासन अधिग्रहण करना चाहता है, लेकिन गांव वालों का गुस्सा देख ऐसा लगता नहीं कि मामला जल्दी सुलझ जाएगा।
पीढ़ियों से रह रहे हैं कैसे छोड़ दे जमीन
यहां पहुंचने पर नेऊर का पुरवा गांव में रहने वाले रामचरण यादव के परिवार से हमारी मुलाकात हुई। बड़ी सी जगह में एक तरफ पक्का मकान बना है, जबकि दोनों तरफ छोटे-छोटे झोपड़े बने हैं। सामने बड़ा सा पेड़ है जिसमें बच्चा आराम से झूला झूल रहा है। सामने चारपाई पर बैठी रामचरण की 75 साल की पत्नी इंद्रावती कहती हैं कि साहब, पुरखों के जमाने से यहां रह रहे हैं। 5-6 पीढ़ियां बीत गयी हैं।
अब कहीं जाकर पक्का मकान बना पाए हैं और अधिकारी कह रहे हैं कि छोड़ दो। सांड, बैल की वजह से खेतीबाड़ी पहले ही बेकार है, अब बताओ घर छोड़ कहां जाएं। हमारे 4 लड़के हैं 3 बेटियां हैं। सबकी शादी कर दी गयी है। भरा पूरा परिवार है। मुश्किल से मेहनत मजदूरी कर एक बेटे को इंजीनियर बनाया है। जो नौकरी करता है बाकी भाई दिहाड़ी पर काम करते हैं।
इतना पैसा भी नहीं है कि कहीं कुछ अलग घर-खेती ली जाए। अधिकारी जबरन जमीन चाहते हैं, लेकिन जब तक जिंदा हैं, तब तक तो हम जमीन नहीं देंगे।
क्या राम हमारे नहीं हैं-क्या भगवान हमें भूल गए हैं
इंद्रावती के इंजीनियर बेटे राजीव हमें आगे धर्मू का पुरवा गांव में भी ले गए। वहां हमें विमला मिलीं, उन्होंने कहा कि पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। सरकार जबरदस्ती घर- द्वार लेने में लगी है। अब सरकार पूरे परिवार को मार डाले तभी वह जमीन ले सकती है। घर है, बच्चे हैं, मवेशी हैं, सब छोड़कर हम कहां जाएंगे।
राम का काम है के सवाल पर विमला भड़क उठती हैं, कहती हैं कि क्या राम भगवान हम सबको भूल गए हैं। क्या हम लोग राम की पूजा नहीं करते हैं। क्या राम भगवान की मूर्ति यहां लगाएंगे तो हमें उजाड़ कर भगा देंगे।
घर मे 4 बेटे हैं, मेहनत मजूरी करके घर का खर्च चलता है। घर मे गल्ला पानी 10 बीघा खेत से आता है। अब मूर्ति के चक्कर में सब जा रहा है। हमारे पास कोई सरकारी नौकरी तो है नहीं। मुख्यमंत्री से मिलने के सवाल पर कहती हैं कि कहीं कोई सुनवाई नहीं है।
बूढ़े बाप और बच्चों को लेकर कहां जाएंगे
आगे मुजहनिया गांव है। गांव में रहने वाले रामसेवक अभी मजदूरी कर लौटे हैं और घर के काम में व्यस्त हैं। पसीने से तरबतर रामसेवक से जैसे ही बात हुई तपाक से वह बोले भैया थोड़ी सी जमीन है और छोटा सा एक कमरे का घर है। सब मूर्ति के चक्कर मे जा रहा है। अब समझ नहीं आ रहा कि बाल-बच्चे और बूढ़े बाप को लेकर मैं कहां जाऊं।
रामसेवक बताते हैं कि अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम लोगों ने मिलकर कोर्ट में अपील की, फैसला हमारे पक्ष में भी आया, लेकिन प्रशासन सुन नहीं रहा है। रात दिन यही टेंशन है कि आगे क्या होगा।
क्या फंसा है पेंच
असंतुष्ट ग्रामीणों की अगुवाई कर रहे अरविंद यादव बताते है कि 24 जनवरी 2020 को अधिग्रहण को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया। आपत्ति दर्ज करने का समय भी कम दिया गया। हम 28 जनवरी को हाईकोर्ट चले गए तो वहां से आदेश हुआ कि 2013 के अधिग्रहण कानून के तहत ही जमीनों का अधिग्रहण हो। अब यहां दिक्कत ये है कि गांव के लोग यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक हो गए लेकिन न तो गांव में बंदोबस्त हुआ न ही चकबंदी हुई है।
जिसकी वजह से ज्यादातर किसानों के पास उनकी जमीनों के कागज नहीं हैं। इस मामले को लेकर हम 16 जून को फिर हाईकोर्ट गए तो वहां से प्रशासन को बंदोबस्त करने का आदेश मिला। चकबंदी से पहले की प्रक्रिया बंदोबस्त होती है। इसमें किसान की कृषि भूमि, पशु, आवासीय भूमि, पेड़ पौधे आदि की सूचना दर्ज होती है।
अरविंद बताते है कि इस ग्राम सभा में छोटे-छोटे किसान हैं, जिनकी छोटी- छोटी जमीन है। उसी से घर का खाना पीना चलता है। अगर प्रशासन उनसे जमीन ले लेगा तो कैसे काम चलेगा।
अधिग्रहण का फायदा नहीं मिलेगा क्या
अरविंद बताते हैं कि दरअसल, प्रशासन ने चालाकी से इस ग्रामसभा को नोटिफिकेशन के बाद नगर निगम में शामिल कर लिया। गांव के 259 भूखंडों को लेकर अधिसूचना जारी की गई है जबकि इसमें 174 महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम पर दर्ज हैं। यह ट्रस्ट महर्षि योगी की संस्था है।
प्रशासन उनकी मिलीभगत से हमें हमारी जमीन से ही बेदखल करना चाहता है। अरविंद बताते है कि महर्षि योगी वर्ष 1994-1995 में आये थे और कहा था कि कुछ जमीन दान कर दो कॉलेज-हॉस्पिटल वगैरह बनाएंगे। उस समय हमारे बुजुर्गों ने जमीन दान कर दी, लेकिन आज तक न तो कॉलेज बना न ही हॉस्पिटल बना। इसीलिए हम गांव वालों को आपत्ति है।
पहले जहां जमीन चिन्हित की गई थी, वहां भी हुआ था विवाद
इससे पहले सरयू तट के किनारे एनएच 28 और रेलवे के पुल के बीच मे मीरापुर दुआबा में 61 एकड़ जमीन के लिए 5 जून 2019 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था, लेकिन कुछ गलती के कारण 25 से 26 जुलाई 2019 के बीच फिर से नोटिफिकेशन जारी किया गया, लेकिन वहां भी रह रही आबादी ने विरोध कर दिया।
लोग कोर्ट भी गए लेकिन प्रशासन को इससे फर्क नहीं पड़ा। बाद में वह जमीन कैंसिल कर दी गयी। दरअसल, जहां मूर्ति लगनी थी और रेलवे पुल के बीच जगह कम होने के कारण कंपन ज्यादा था। जिसकी वजह से आगामी वर्षों में मूर्ति को नुकसान पहुंच सकता है। इस वजह से यह स्थान कैंसिल कर दिया गया था, जिसके बाद 24 जनवरी 2020 को माझा बरहटा के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
तीन साल में 2 बार बदली गयी मूर्ति स्थापित करने की जगह
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब पहली भव्य दिवाली अयोध्या में मनाई थी, तब ही उन्होंने राम की सबसे बड़ी मूर्ति लगाने का ऐलान किया था। इस दौरान तीन साल में मूर्ति के लिए दो जगह चिन्हित की गई जिसमें से एक कैंसिल हो गयी जबकि दूसरे पर विवाद शुरू हो गया है।
तीन ग्राम सभा की रजिस्ट्री रोकी गयी
जानकारी के मुताबिक, एक नई अयोध्या बसाने का प्लान भी प्रशासन का चल रहा है। इसकी वजह से माझा बरहटा, मीरापुर दुआबा और तीहुरा माझा ग्राम सभा मे जमीनों की रजिस्ट्री रोक दी गयी है।
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