अब चीनी सेना से निपटने की तैयारी:आईटीबीपी एडवांस मंदारिन का कोर्स तैयार कर रही, जो 90 हजार जवानों को सिखाई जाएगी, अभी जवान पोस्टर से अपनी बात समझाते हैं
आईटीबीपी के कुछ जवानों को अभी मंदारिन का शुरूआती कोर्स ही कराया जा रहा है। अब इस कोर्स को एडवांस बनाया जा रहा है। -फाइल फोटो एलएसी पर चीनी सेना से हॉट टॉक और हाथापाई रोकने में काम आएगी भाषा जवानों को बोलने के अलावा मंदारिन पढ़ना और लिखना भी सिखाया जाएगा
लद्दाख में भारतीय जवानों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच हुई हिंसक झड़प के मद्देनजर आईटीबीपी अपने जवानों के लिए एडवांस मंदारिन का कोर्स तैयार कर रही है। यह कोर्स आईटीबीपी के सभी 90 हजार जवानों को करवाया जाएगा। अभी जवानों को अपनी बात समझाने के लिए पहले से लिखे पोस्टरों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
गृहमंत्रालय के निर्देश के बाद आईटीबीपी ने यह कदम उठाया है। चीन में मंदारिन भाषा बोली जाती है। आईटीबी के एक अधिकारी ने कहा, “ऐसे समय में जब एलएसी पर तनाव के कारण जवानों की तैनाती कई गुना बढ़ा दी गई है, हमें उनसे (चीनी सैनिकों) बेहतर तरीके से निपटने के लिए अपने जवानों की कम्युनिकेशन स्किल सुधारने को कहा गया है।”
अभी मंदारिन का शुरुआती कोर्स मौजूद
मसूरी में आईटीबीपी की ट्रेनिंग एकेडमी में अधिकारियों को मंदारिन का एक बेहतर कोर्स तैयार करने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने बताया कि अभी हमारे पास मंदारिन का एक शुरुआती कोर्स है, जो कुछ जवानों को कराया जाता था। अब एडवांस कोर्स तैयार किया जा रहा है ताकि एलएसी पर तैनात हमारे जवान बोलने के साथ इसे पढ़ और लिख भी सकें।
“नि हाओ” मतलब “नमस्कार” और “हुई कु” मतलब “वापस जाओ”
अभी एलएसी पर तैनात आईटीबीपी के जवान मामूली मंदारिन जानते हैं। जैसे कि “नि हाओ” मतलब “नमस्कार” और “हुई कु” मतलब “वापस जाओ”। इसके अलावा पोस्टर दिखाकर बताते हैं कि यह भारतीय इलाका है। आईटीबीपी के अन्य अधिकारी ने कहा कि मंदारिन भाषा कम जानने के कारण आपसी बातचीत हॉट टॉक में बदल जाती है और कई बार हाथापाई की नौबत आ जाती है।
जवानों के मंदारिन सीखने से उन्हें आगे यह काम आएगी। आईटीबीपी के मसूरी ट्रेनिंग एकेडमी में मौजूद सेना के जवानों को भी यह कोर्स कराया जाएगा।