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Rajasthan सरकार बचाने के लिए गहलोत का दांव / 16 जुलाई को हो सकता है मंत्रिमंडल का विस्तार, 3 मंत्रियों की बर्खास्तगी के बाद 8 पद खाली

राजस्थान की सियासत में अब आगे क्या होगा? / पायलट नई पार्टी बना सकते हैं और गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं; भाजपा अभी वेट एंड वॉच के मोड में

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  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैंने सभी के काम किए है, जो मांगा सभी को देने की कोशिश की है। उसके बाद भी बीजेपी के साथ हॉर्स ट्रेडिंग की बात आई।- फाइल फोटोमुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैंने सभी के काम किए है, जो मांगा सभी को देने की कोशिश की है। उसके बाद भी बीजेपी के साथ हॉर्स ट्रेडिंग की बात आई।- फाइल फोटो
  • चर्चा है कि सरकार में टूट न हो इसके लिए गहलोत कुछ नाराज विधायकों को मंत्री बना सकते हैं
  • गहलोत कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलाकर पायलट खेमे के विधायकों को मंत्री बना सकते हैं

जयपुर. सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करने के बाद अब अशोक गहलोत नाराज विधायकों को साधने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार, नए घटनाक्रम में अशोक गहलोत अब 16 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इसमें उन विधायकों को जगह मिल सकती है, जो नाराज हैं।

गहलोत ने आज शाम 7.30 बजे मुख्यमंत्री आवास में कैबिनेट मंत्रियों की बैठक बुलाई है। चर्चा है कि इस दौरान सभी मंत्री सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद नए सिरे से कैबिनेट का गठन किया जा सकता है। इसमें उन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है, जिनके बागी होने की आशंका है।

अब मंत्रिमंडल में 8 नए मंत्री बना सकते हैं

राजस्थान में अब तक 15 कैबिनेट मिनिस्टर और 10 स्टेट मिनिस्टर थे। सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा की बर्खास्तगी के बाद तीन जगहें खाली हुई हैं। राजस्थान में कुल 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। तीन बर्खस्तागियों के बाद मंत्रियों की संख्या फिलहाल 22 है। ऐसे में गहलोत 8 नए मंत्री बना सकते हैं। यानी आठ विधायकों को गहलोत अपने खेमे में मजबूती से कर सकते हैं।

पायलट खेमे के विधायक बन सकते हैं मंत्री

चर्चा है कि इससे ज्यादा विधायकों को मंत्री बनाने के लिए गहलोत अपने विश्वास पात्र कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलाकर पायलट खेमे के विधायकों को मंत्री बना सकते हैं ताकि सदन में बहुमत परीक्षण के हालात में सरकार आसानी से बहुमत साबित कर ले।

गहलोत बोले- मैंने सभी के काम किए हैं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैंने सभी के काम किए है, जो मांगा सभी को देने की कोशिश की है। उसके बाद भी बीजेपी के साथ हॉर्स ट्रेडिंग की बात आई। पार्टी तोड़ने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। जो गए हैं, उन पर बहुत बड़ा प्रेशर है, जो फैसला जनता द्वारा दिया गया है, वह हमारे लिए शिरोधार्य है।

राजस्थान की सियासत में अब आगे क्या होगा?

  • फोटो सोमवार को सीएम हाउस पर हुई विधायकों की बैठक की है। गहलोत मास्क पहन रहे हैं। तब राज्य की सियासत में कुछ स्पष्ट नहीं था। पर अब गहलोत ने काफी कुछ कवर करने की कोशिश की है। मंगलवार को पायलट पार्टी और सरकार में पदों से हटा दिए गए। गहलोत अब विधायकों को साधने की जुगत में हैं।फोटो सोमवार को सीएम हाउस पर हुई विधायकों की बैठक की है। गहलोत मास्क पहन रहे हैं। तब राज्य की सियासत में कुछ स्पष्ट नहीं था। पर अब गहलोत ने काफी कुछ कवर करने की कोशिश की है। मंगलवार को पायलट पार्टी और सरकार में पदों से हटा दिए गए। गहलोत अब विधायकों को साधने की जुगत में हैं।
  • चर्चा है कि पायलट भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन उनके भाजपा में जाने का सीधा संकेत नहीं मिला है
  • गहलोत फ्रंटफुट पर, सरकार बची तो उनका पार्टी में कद बढ़ेगा, बेटे वैभव को भी इसका फायदा मिलेगा

जयपुर. कांग्रेस ने सचिन पायलट को राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है। उनके खेमे के दो मंत्रियों को भी बर्खास्त कर दिया गया है, लेकिन अभी सियासी तूफान थमता नजर नहीं आ रहा। गहलोत सरकार बचेगी या जाएगी, यह सवाल अभी कायम है। सचिन पायलट अब आगे क्या करने वाले हैं?

1. पायलट नई पार्टी बना सकते हैं
चर्चा है कि पायलट भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन उनके भाजपा में जाने का फैसला कर लेने का सीधा संकेत अभी तक नहीं मिला है। उनके मामले में तीन संभावनाएं बनती दिख रही हैं।

  • पहली- पायलट के पास अगर पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं हुआ और वे गहलोत सरकार नहीं गिरा पाए तो भाजपा के लिए वे बहुत काम के नहीं रह जाएंगे। ऐसे में पायलट के लिए मुश्किल होगी। भाजपा से सौदेबाजी में उनका दावा कमजोर हो जाएगा।
  • दूसरी- अगर आगे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है और गहलोत सरकार गिर जाती है, तब पायलट खुद के लिए और अपने समर्थकों के लिए भाजपा से बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में होंगे। ऐसे में सवाल यह उठेगा कि क्या भाजपा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर मुख्यमंत्री पद देगी?
  • तीसरी- पायलट भाजपा-कांग्रेस से अलग अपनी पार्टी बना सकते हैं, लेकिन यह मुश्किल रास्ता है। राजस्थान का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां टू पार्टी सिस्टम ही चलता है। अगर पायलट तीसरा मोर्चा बनाने का रास्ता चुनते हैं, तो यह जोखिमभरा कदम होगा। हालांकि, इस स्थिति में भाजपा उन्हें समर्थन दे सकती है।

2. गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं
गहलोत अभी फ्रंटफुट पर दिख रहे हैं। पायलट को सरकार और संगठन से बाहर कर गहलोत ने अपनी एक मुश्किल तो हल कर ली है, लेकिन उनकी सरकार अब तलवार की धार पर ज्यादा नजर आ रही है। भाजपा और पायलट खेमा गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रहे हैं। अगर कुछ निर्दलीय भाजपा के साथ जाते हैं, तो सरकार पर संकट खड़ा होगा। अगर सरकार गिर जाती है तो गहलोत के राजनीतिक सफर पर विराम लग सकता है। इसकी वजह उनकी उम्र भी है। वे 69 साल के हैं।

बगावत को रोकने के लिए गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं। इस बहाने वे विधायकों को पायलट खेमे में जाने से भी रोक सकते हैं। राजस्थान में 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। अभी सरकार में 25 मंत्री हैं। इनमें से पायलट समेत 3 को हटाया जा चुका है। इस तरह 22 मंत्री हैं। 8 नेताओं को एडजस्ट करने की गुंजाइश है। अगर गहलोत कांग्रेस की सरकार बचा लेते हैं, तो पार्टी में वे और मजबूत होंगे। वे पहले से ही आलाकमान के भरोसेमंद हैं। इसका राजनीतिक फायदा उनके बेटे वैभव गहलोत को मिलेगा।

3. कांग्रेस सत्ता बचाए रखना चाहेगी
पायलट की बगावत से कांग्रेस को पहले ही नुकसान हो चुका है। आगे भी उसके सामने राजस्थान में सरकार बचाए रखने की चुनौती हमेशा रहेगी। जहां कहीं कांग्रेस आंकड़ों में मजबूत नहीं है, भाजपा उसके सामने वजूद बचाए रखने की चुनौती पेश कर रही है। राजस्थान की सरकार बचाए रखना कांग्रेस के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इस राज्य की फिलहाल पार्टी फंडिंग में भूमिका अहम है। सचिन पायलट को बाहर करने से राजस्थान की जातीय राजनीति में गुर्जर समुदाय कांग्रेस से नाराज हो सकता है।

4. भाजपा अभी इंतजार कर रही
भाजपा वेट एंड वॉच की स्थिति में है। अगर पायलट के पास इतने विधायक हुए कि सरकार गिर जाए, तो वह उनकी मदद करेगी। भाजपा चाहेगी कि वे पार्टी में शामिल हो जाएं, जैसे मध्यप्रदेश में सिंधिया ने दल बदला था। अगर पायलट अलग पार्टी बनाते हैं, तो भाजपा सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन भी दे सकती है।

राजनीति से ज्यादा दिलचस्प है सचिन पायलट की लव स्टोरी, लड़की के घर वालों के खिलाफ जाकर की थी शादी

sachin pilot wife

सचिन पायलट की शुरुआती पढाई एयरफोर्स बाल भारती स्कूल नई दिल्ली, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए किया, इसके बाद आगे की पढाई के लिये लंदन चले गये.

राजस्थान में सियासी हलचल तेज है, डिप्टी सीएम सचिन पायलट बगावती तेवर दिखा रहे हैं, कहा जा रहा है कि सचिन सीएम पद को लेकर अड़े हुए हैं, जबकि हाईकमान उनसे बात भी नहीं कर रही, इन सबके बीच आइये आपको बताते हैं कि सचिन पायलट की निजी जिंदगी के बारे में, राजनीति उन्हें विरासत में मिली है, इसके साथ ही उनकी लव स्टोरी भी बेहद दिलचस्प है।सचिन पायलट की शुरुआती पढाई एयरफोर्स बाल भारती स्कूल नई दिल्ली, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए किया, इसके बाद आगे की पढाई के लिये लंदन चले गये,जहां उन्होने पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली, लंदन में ही पढाई के दौरान सचिन पायलट की मुलाकात साराह अब्दुल्ला से हुई, कुछ ही दिनों में दोनों डेट करने लगे, मालूम हो कि साराह कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला की बेटी तथा उमर अब्दुल्ला की बहन है।

मजहब की दीवार
लंदन में पढाई पूरी करने के बाद सचिन वापस दिल्ली लौट गये, जबकि सारा अपनी पढाई के लिये लंदन में ही रही, दोनों के बीच दूरी आ जाने के बाद भी प्यार बना रहा, दोनों फोन तथा ईमेल के माध्यम से जुड़े रहे,sara sachinदोनों ने करीब 3 साल डेट करने के बाद रिश्ते के बारे में अपने परिवार को बताने का फैसला लिया। जब दोनों ने अपने घर वालों को बताया कि वो शादी करना चाहते हैं, तो उनके प्यार के बीच मजहब की दीवार आ गई, एक तरफ सचिन पायलट हिंदू थे, तो साराह मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती थी।

दोनों परिवार नाराज
सचिन के परिवार ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया, तो साराह के लिये भी राह आसान नहीं थी, रिपोर्ट के मुताबिक पिता फारुक अब्दुल्ला ने तो इस पर बात करने से ही मना कर दिया था,लेकिन साराह ने भी हार नहीं मानी, वो कुछ दिनों तक रो-धोकर घर वालों को मनाने की कोशिश करती रही, लेकिन इसके बाद भी घर वाले नहीं माने, तो सचिन और सारा ने बिना किसी की परवाह किये जनवरी 2004 में शादी कर ली, इस शादी में अब्दुल्ला परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ था, सचिन के परिवार ने उनका साथ दिया था, हालांकि कुछ समय बाद अब्दुल्ला परिवार ने भी इस रिश्ते को कबूल लिया।

 

राजनीति में आने का नहीं सोचा था
सचिन पायलट शादी से पहले राजनीति में कदम रखने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन अचानक पिता राजेश पायलट के एक एक्सीडेंट में मौत के बाद उन्हें राजनीति में उतरना पड़ा,जब सचिन राजनीति में आये थे, तो उनकी उम्र महज 26 साल थी, सचिन ने 2004 लोकसभा चुनाव में दौसा सीट से बड़ी जीत हासिल की थी। जिसके बाद उन्होने मनमोहन सरकार में केन्द्रीय मंत्री पद भी मिला था।

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