नौकरी खोने के डर से कर्मचारियों में बढ़ा पैनिक अटैक का मामला, युवा कर्मचारी सबसे ज्यादा हो रहें डिप्रेशन के शिकार
नई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी के कारण दुनियाभर के देशों के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है। कारोबार-उद्योग जगत में नकदी की किल्लत होने लगी है। ऐसे में लोगों की वेतन कटौती, छंटनी शुरू हो गई है। मनोचिकित्सकों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के चलते भारतीयों में नौकरी खोने के डर से पैनिक अटैक का मामला बढ़ा है। मौजूदा संकट के चलते लोगों को संक्रमण और मौत के डर के साथ-साथ आर्थिक अनिश्चितता और नौकरी खोने का डर सता रहा है।
आर्थक अनिश्चितता और नौकरी खोने को लेकर डर
अस्पतालों और मानसिक कल्याण फर्मों जैसे कि कॉस्मोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, फोर्टिस हेल्थकेयरएनएसई 1to1help.net और ekincare ने कहा कि भारत में लॉकडाउन के दौरान कामकाजी लोगों के हजारों फोन आते हैं। इनमें से अधिकतर लोगों में आर्थिक अनिश्चितता और नौकरी छूटने को लेकर स्ट्रेस देखा गया है। 1to1help.net की संस्थापक अर्चना बिष्ट ने कहा, ‘कई लोग अपने घरों के अंदर खुद को बंद महसूस कर रहे हैं तो कुछ अलग जीवन शैली का पालन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। बिष्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति की काउंसलिंग की जो अपने परिवार से दूर रह रहा था। उनके किसी दोस्त में वायरस के लक्षण पाए गए थे। हालांकि रिजल्ट निगेटिव था लेकिन इसके बावजूद उसे व्यक्ति मौत का डर सताने लगा। इसके चलते वह डिप्रेशन में चला गया।
युवा कर्मचारी सबसे ज्यादा डिप्रेशन के शिकार
Ekincare के फाउंडर किरण कलकुंटला के मुताबिक, पैनिक अटैक के मुख्य लक्षण घबराहट, चिंता और तनाव है। इसके चलते लोग ठीक से नींद नहीं ले पाते हैं और न ही ठीक से खाना खा पाते हैं। इसके चलते लोग पैनिट अटैक का शिकार हो रहे हैं।
मित्तल ने कहा कि नोएडा की एक 26 वर्षीय महिला जो कि एक मल्टीनेशनल कंपनी की कर्मचारी है। वह महिला संक्रमण और नौकरी जाने के डर से इस हद तक परेशान हो गई कि डिप्रेशन में चली गई। उसने नहाना और खाना तक बंद कर दिया।
शहरी बेरोजगारी दर 30.9 प्रतिशत तक बढ़ गई है
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लाखों नौकरियां दांव पर हैं और शहरी बेरोजगारी दर 30.9 प्रतिशत तक बढ़ गई है। कुल मिलाकर बेरोजगारी पहले से 23.4 प्रतिशत तक बढ़ गई है।