महामारी में बचत के रास्ते / आर्थिक संकट आने की आशंका, एक्सपर्ट्स की सलाह- सेविंग्स नहीं हैं तो मंथली बजट बनाएं, खर्चों को मॉनीटर करें, सेविंग का सही इस्तेमाल करें
मेडिक्लेम पॉलिसी जरूरी है, अगर पॉलिसी नहीं है तो परिवार की सुरक्षा के लिए इमरजेंसी फंड बनाएं एक्सपर्ट्स की सलाह- यह वक्त उम्मीद खोने का नहीं, बल्कि खुद के स्किल्स को बेहतर बनाने का है
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण अप्रैल में देश में 12.2 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी थी। ऐसे में कोरोनावायरस के कारण पहले ही मानसिक तौर पर परेशान लोगों पर आर्थिक आफत भी आ गई। व्यापार हो या नौकरी, ऐसे कई सेक्टर्स हैं, जहां लोगों पर आर्थिक संकट आने की आशंका अभी भी बनी हुई है। मार्केट एक्सपर्ट्स इस वक्त खर्चों पर लगाम और फंड पर नजर बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।
देश के कई हिस्सों में हालात यह हैं कि लोगों के पास घर का किराया चुकाने तक के लिए पैसे नहीं हैं। बेरोजगारी और आर्थिक संकट के कारण लोग तनाव और दूसरी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। हालांकि, जून में इस आंकड़े में सुधार हुआ है। इस महीने 7 करोड़ से ज्यादा लोग काम पर वापस आ गए हैं।
सबसे पहले बुनियादी खर्चे
अगर आपको इस तरह की कोई भी संभावना लग रही है कि आने वाले वक्त में आप फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स का शिकार हो सकते हैं तो पहले प्लानिंग करें। भोपाल की चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रीति पटेल सिंह के मुताबिक, सबसे पहले खर्चों की प्राथमिकता तय करें। अगर आपके पास कम सेविंग्स हैं तो केवल बुनियादी चीजों पर ही खर्च करें और फिजूलखर्ची से बचें। अगर आपके पास थोड़ी ज्यादा सेविंग्स हैं तो बेसिक नीड्स के बाद सबसे पहले अपनी हेल्थ पर फोकस करें। याद रखें, यहां भी केवल जरूरी चीज पर ही खर्च करना चाहिए।
सेविंग करना बेहद जरूरी
मुंबई के चार्टर्ड एकाउंटेंट आशीष बताते हैं कि अगर आपने महामारी के दौर में अपने बिजनेस या नौकरी गंवा दी है और आपके पास सेविंग्स हैं तो उसका सही इस्तेमाल ही एकमात्र रास्ता है। अपनी सेविंग्स को ध्यान से खर्च करना बेहद जरूरी है। इस दौरान खाने जैसी जरूरी चीजों पर ही खर्च करें। जो भी खर्च रोका जा सकता है उन्हें रोक दें, जैसे- मकान का किराया (आप मकान मालिक को अपने हालात के बारे में समझा सकते हैं)।
सीए प्रीति कहती हैं “यदि सेविंग्स नहीं है तो आप सबसे पहले उसके लिए अपना मंथली बजट बनाएं। पहले खर्चों को रिकॉर्ड करना सीखें, फिर देखें की कहां-कितना खर्च हुआ है। इससे आप अनावश्यक खर्च को नोटिस कर पाएंगे।”
निवेश का रखें ध्यान, गैर जरूरी खर्चों पर लगाएं लगाम
सीए आशीष के कहते हैं, “महामारी के वक्त मार्केट का अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। ऐसे में अगर आप एक्सपर्ट नहीं हैं तो इक्विटी और इक्विटी से जुड़े म्यूचुअल फंड्स में निवेश न करें। हालांकि, आप बिना जोखिम वाली फिक्स्ड इनकम में इनवेस्ट कर सकते हैं, ताकि अचानक बाजार के गिरने का असर आप पर ना हो।”
सीए प्रीति क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को लेकर भी ऐहतियात बरतने की सलाह देती हैं। कहती हैं कि क्रेडिट कार्ड का उपयोग उतना ही करें, जितना अगले महीने आप भुगतान कर सकें। कोशिश यह रखें कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कम से कम हो।
मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं है तो इमरजेंसी फंड बनाएं
सीए प्रीति के मुताबिक, सबको मेडिक्लेम पॉलिसी लेनी चाहिए। यदि किसी वजह से आप मेडिकल पॉलिसी नहीं ले पाते हैं, तो आपको आपका इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए, जिसे की आप परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आपको हर महीने थोड़ी थोड़ी बचत करनी होगी।
लोन मददगार, लेकिन पहले ही जान लें नियम
बैंक और दूसरी लोन कंपनियां कई तरह से आपको लोन देती हैं, जैसे बिजनेस लोन, पर्सनल लोन, शिक्षा लोन, स्टॉक पर कैश क्रेडिट लोन, एफडी पर ओवरड्राफ्ट, टर्म लोन, मॉर्टगेज लोन, मुद्रा लोन। प्रीति के मुताबिक, लोन के लिए आवेदन करने से पहले उसकी प्रोसेसिंग फीस, प्री पेमेंट, लेट पेमेंट फीस, ब्याज दर, गिरवी की जरूरत, योग्यता और कागजों की जरूरत, रिपेमेंट इनकम टैक्स में छूट आदि की बारे जानकारी ले लें।
प्रीति ने बताया कि शॉर्ट टर्म एंड लॉन्ग टर्म फंड बनाने की आदत डालें। अपनी प्राथमिकताएं चुनें, जैसे- बच्चों की पढ़ाई, कार, घर, या कोई बड़ी चीज, खरीदना। इन सबके लिए थोड़ी-थोड़ी बचत हर महीने करें। सीए आशीष कहते हैं कि सेविंग न होने की स्थिति में अगर हो सके तो शॉर्ट टर्म के लिए बैंक से लोन ले सकते हैं।
- सेहत की फ्रिक भी जरूरी
सबसे पहले नींद पर फोकस करें, तनाव न लें
राजस्थान के उदयपुर स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा शर्मा के मुताबिक, साइकोलॉजिकल मैनेजमेंट में सबसे जरूरी है अच्छी नींद। स्ट्रेस से नींद बिगड़ती है और अगर नींद खराब होगी तो आपका स्ट्रेस लेवल और बढ़ जाएगा। इसके बाद आपको दूसरी परेशानियां होना शुरू हो जाती हैं। जैसे डायबिटीज, थायरॉयड, ब्लड प्रेशर। हमें नींद पर फोकस करना है। नींद नहीं आती है तो हम ज्यादा सोचते हैं, कई विचार चलते रहते हैं।
ब्रेन को रिलेक्स करना जरूरी
डॉक्टर शर्मा के मुताबिक, अगर आप कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं तो वॉकिंग शुरू करें। इससे ब्रेन रिलेक्स होता है। वॉकिंग करने से हम डीप ब्रीथ करते हैं, जिससे ऑक्सीजन इनटेक बढ़ता है। जैसे ही ऑक्सीजन इनटेक बढ़ेगा तो दिमाग का स्ट्रेस लेवल कम होने लगेगा।
मोटिवेट रहें, रीडिंग को वक्त दें
डॉक्टर शर्मा के अनुसार, अपने गोल तक पहुंचने के लिए छोटे-छोटे स्टेप्स तैयार करें। एक फ्लो चार्ट बनाएं और जैसे-जैसे आप वो चीज हासिल करते जाएं, वहां मार्किंग कर दें। डॉक्टर कमरे में एक सफेद शीट लगाने की भी सलाह देती हैं, जिसपर आपके स्टेप्स लिखे हों। जब हम इसे रोज देखेंगे तो हम मोटिवेट होंगे और इसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। हमारे दिमाग को मोटिवेशन में लेकर आना है। रीडिंग करने से हमारा इनसाइड डेवलप होता है, जिससे हम हमारे लक्ष्य के लिए प्लानिंग कर पाएंगे।
बिगड़ी डाइट से हो सकती हैं कई परेशानियां
इस दौरान न तो ज्यादा खाना है और न ही कम। इससे डाइजेशन से जुड़ी परेशानियां बढ़ जाती हैं। इससे आपका फोकस गोल के बजाए हेल्थ पर शिफ्ट हो जाता है। इसके बाद स्ट्रेस बढ़ता है और तनाव का सीधा असर हमारे दिल, पाचन और रेस्पिरेट्री पर पड़ता है।
उम्मीद न खोएं, यह बेहतर वक्त है खुद को बनाने का
- तमाम बुरी खबरों के बीच एक सुखद खबर भी है। सीएमआईई के मुताबिक, मई में 23.5 फीसदी पर चल रही बेरोजगारी दर जून में गिरकर 11 प्रतिशत पर आ गई है। जून में काम पर वापसी करने वाले 7 करोड़ लोगों में से 4.45 करोड़ छोटे व्यापारी और मजदूर थे।
- सीए आशीष कहते हैं कि यह वक्त उम्मीद खोने का नहीं है, बल्कि यह सबसे अच्छा टाइम है, खुद के स्किल्स को बेहतर बनाने का। अपने आपको और बेहतर बानाएं, ताकि आपको अच्छा काम मिल सके। इससे आप न केवल नुकसान की भरपाई कर पाएंगे, बल्कि अपने करियर में बेहतर कर पाएंगे।