गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार, महाकाल मंदिर में 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी चिल्लाया- मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला; 2 जुलाई से फरार था, 5 लाख का इनाम था
250 रुपये की पर्ची भी कटाई विकास दुबे ने से महाकाल मंदिर की 250 रुपये की पर्ची भी कटाई और जैसे आम लोग दर्शन करते है वेसे ही दर्शन करने लाइन में लगा था। उसे इनकाउंटर का डर भी था यहि कारण है कि उससे अपने आप को सरेंडर किया है। तमाम सवाल भी इसके बाद उपज रहे है कि विकास दुबे इतनी सख्ती के बाद मध्य प्रदेश में प्रवेश कैसे कर गया और उज्जैन तक कैसे पहुंचा। एसपी मनोज सिंह तुरंत महाकाल चौकी पर पहुंचे और इस मामले में आगे पुछताछ की जा रही है बाद में उसे महाकाल थाने के बाद किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है जहां उससे पुछताछ की जा रही है।
8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी गैंगस्टर महाकाल दर्शन करने गया था;
गैंगस्टर विकास दुबे की यह फोटो महाकाल मंदिर के पास की है। यहीं मंदिर के सिक्युरिटी गार्ड ने बैठा लिया था।
उज्जैन. कानपुर के बिकरू में हुए शूटआउट का मुख्य आरोपी विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि वह महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम उसे पिछले छह दिन से खोज रही थी।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि गैंगस्टर विकास दुबे मध्यप्रदेश पुलिस की कस्टडी में है। गिरफ्तारी कैसे हुई, इसके बारे कुछ भी कहना ठीक नहीं है।
कानपुर शूटआउट केस में अब तक क्या हुआ?
2 जुलाई: विकास दुबे को गिरफ्तार करने 3 थानों की पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी, विकास की गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
3 जुलाई: पुलिस ने सुबह 7 बजे विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। 20-22 नामजद समेत 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
5 जुलाई: पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को घेर लिया। पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया। उसने खुलासा किया कि विकास ने पहले से प्लानिंग कर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
6 जुलाई: पुलिस ने अमर की मां क्षमा दुबे और दयाशंकर की पत्नी रेखा समेत 3 को गिरफ्तार किया। शूटआउट की घटना के वक्त पुलिस ने बदमाशों से बचने के लिए क्षमा दुबे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन क्षमा ने मदद करने की बजाय बदमाशों को पुलिस की लोकेशन बता दी। रेखा भी बदमाशों की मदद कर रही थी।
8 जुलाई: एसटीएफ ने विकास के करीबी अमर दुबे को मार गिराया। प्रभात मिश्रा समेत 10 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया।
9 जुलाई: प्रभात मिश्रा और बऊआ दुबे एनकाउंटर में मारे गए।
शिवराज ने उत्तरप्रदेश पुलिस को सौंपने की बात कही
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की। शिवराज ने विकास को उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंपने की बात कही है।
विकास की गिरफ्तारी की 3 बातें सामने आईं
1. विकास ने गुरुवार सुबह बाबा महाकाल के दर्शन के लिए वीआईपी एंट्री के लिए 250 रुपए की रसीद कटवाई। इस दौरान उसने अपना सही नाम विकास दुबे ही लिखवाया। इसके बाद वह महाकाल बाबा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पहुंचा। दर्शन के बाद विकास वहां मौजूद जवानों के पास गया और बोला कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं, मुझे पकड़ लो।
2. उधर, विकास को पकड़वाने वाले सिक्योरिटी गार्ड गोपाल सिंह ने बताया, ‘‘मैंने शक होने पर उसे पूछताछ के लिए रोका तो वह आनाकानी करने लगा। मुझे और ज्यादा शक हुआ, तो मैंने पुलिस को बुलाया। इस पर उसने मेरे साथ झूमाझटकी की। थोड़ी देर में पुलिस आई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।’’
3. ऐसा कहा जा रहा है कि वह खुद सरेंडर करने गया था।
विकास ने अपने मोबाइल पर वीडियो भी बनवाए
विकास ने गिरफ्तारी से पहले अपने मोबाइल पर कुछ वीडियो भी बनाए। इसके बाद जवानों ने उसे पकड़ लिया। एग्जिट मार्ग से बाहर ले जाकर चौकी में बैठा दिया। इसके बाद पुलिस के अफसरों को जानकारी दी। बाद में पुलिस उसे अज्ञात स्थान पर ले गई।
शिवराज ने पुलिस को शाबासी दी
अखिलेश यादव ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाए
अपडेट्स
- भोपाल से बड़े पुलिस अधिकारी उज्जैन पहुंच रहे हैं। उत्तरप्रदेश पुलिस की टीम भी शाम तक पहुंच सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कि आज ही उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।
- विकास की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर चर्चा की।
7 दिन में विकास दुबे गैंग के 5 बदमाशों का एनकाउंटर
- इससे पहले बुधवार देर रात विकास दुबे के एक और करीबी प्रभात मिश्रा मारा गया है। प्रभात को पुलिस ने बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। यूपी पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर ले जा रही थी। रास्ते में प्रभात ने भागने की कोशिश की, उसने पुलिस की पिस्टल छीनकर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में प्रभात मारा गया।
- पुलिस ने बुधवार को ही विकास के करीबी अमर दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया था। अमर हमीरपुर में छिपा था। अब तक विकास गैंग के 5 लोग एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।
सरेंडर के मकसद से विकास दुबे उज्जैन आया, महाकाल मंदिर में वीआईपी दर्शन की पर्ची कटवाई और उस पर सही नाम लिखवाया
- गुरुवार सुबह करीब 9 बजे विकास शंख द्वार वाले वीआईपी दर्शन के टिकट काउंटर पर गया, 250 रु. की टिकट कटवाई
- इसके बाद विकास एक दुकान पर गया और कहा कि बैग रखना चाहता हूं, इसके बाद मंदिर परिसर में दाखिल हो गया
- कानपुर के बिकरू में 2 जुलाई को विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी
उज्जैन. कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसवालों की शूटआउट में हत्या के बाद फरार हुआ विकास दुबे गुरुवार को नाटकीय तरीक से पुलिस की गिरफ्त में आ गया। एक दिन पहले ही यह खबरें आई थीं कि वह फरीदाबाद के एक होटल में कमरा लेकर रुका था। इसके सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे, लेकिन इसके बाद गुरुवार सुबह वह उज्जैन पहुंचा और सरेंडर के इरादे से ही वह महाकाल मंदिर में गया। उज्जैन पुलिस के सूत्रों ने भास्कर को बताया कि विकास दुबे यूपी पुलिस के एनकाउंटर से बचने के लिए उज्जैन आया था।
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कानपुर शूटआउट: 24 घंटे में 3 एनकाउंटर / विकास दुबे का करीबी प्रभात मिश्रा कानपुर में मारा गया, दूसरा साथी बऊआ दुबे इटावा में ढेर
- प्रभात की गिरफ्तारी फरीदाबाद से हुई थी, कानपुर लाते वक्त उसने भागने की कोशिश की थी
- विकास दुबे का राइट हैंड अमर दुबे बुधवार को हमीरपुर में एनकाउंटर में मारा गया
कानपुर. चौबेपुर के बिकरू में हुए शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे का एक और करीबी प्रभात मिश्रा मारा गया है। प्रभात को पुलिस ने बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। यूपी पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर ले जा रही थी। रास्ते में प्रभात ने भागने की कोशिश की, उसने पुलिस की पिस्टल छीनकर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में प्रभात मारा गया। दूसरी ओर विकास गैंग के ही बऊआ दुबे उर्फ प्रवीण को पुलिस ने इटावा में मार गिराया। दोनों बदमाश 2 जुलाई को बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे।
बऊआ के 3 साथी फरार, 1 पिस्टल और 1 बंदूक बरामद
इटावा के एसएसपी आकाश तोमर ने बताया कि गुरुवार सुबह बकेवर इलाके के महेवा कस्बे के पास बऊआ और उसके 3 साथियों ने एक स्विफ्ट डिजायर गाड़ी (डीएल-1 जेडए-3602) को लूटा था। चेकिंग के दौरान सिविल लाइन इलाके की कचौरा घाट रोड पर पुलिस ने बदमाशों को घेर लिया, लेकिन उन्होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में 50 हजार रुपए का इनामी बदमाश बऊआ मारा गया। उसके साथी भाग गए। मौके से 1 पिस्टल, 1 दुनाली बंदूक और कारतूस मिले हैं।
7 दिन में विकास दुबे गैंग के 5 बदमाशों का एनकाउंटर
पुलिस ने बुधवार को ही विकास के करीबी अमर दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया था। अमर हमीरपुर में छिपा था। अब तक विकास गैंग के 5 लोग एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।
चौबेपुर थाने के एसओ और दरोगा गिरफ्तार
जिस थाने में बिकरू गांव आता है, उस चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा को भी बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि तिवारी और शर्मा 2 जुलाई को बिकरु गांव में मौजूद थे, लेकिन, शूटआउट शुरू होते ही भाग गए थे। एसएसपी दिनेश प्रभु ने बताया कि विनय तिवारी और केके शर्मा ने विकास दुबे को जानकारी दी थी कि पुलिस की रेड पड़ने वाली है।
कानपुर शूटआउट केस में अब तक क्या हुआ?
2 जुलाई: विकास दुबे को गिरफ्तार करने 3 थानों की पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी, विकास की गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
3 जुलाई: पुलिस ने सुबह 7 बजे विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। 20-22 नामजद समेत 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
5 जुलाई: पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को घेर लिया। पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया। उसने खुलासा किया कि विकास ने पहले से प्लानिंग कर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
6 जुलाई: पुलिस ने अमर की मां क्षमा दुबे और दयाशंकर की पत्नी रेखा समेत 3 को गिरफ्तार किया। शूटआउट की घटना के वक्त पुलिस ने बदमाशों से बचने के लिए क्षमा दुबे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन क्षमा ने मदद करने की बजाय बदमाशों को पुलिस की लोकेशन बता दी। रेखा भी बदमाशों की मदद कर रही थी।
8 जुलाई: एसटीएफ ने विकास के करीबी अमर दुबे को मार गिराया। प्रभात मिश्रा समेत 10 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया।
9 जुलाई: मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार। प्रभात मिश्रा और बऊआ दुबे एनकाउंटर में मारे गए।
कानपुर शूटआउट की इनसाइड स्टोरी / सीओ-एसओ की आपसी खींचतान में 8 पुलिसवालों की जान गई, नेताओं से लेकर सीनियर पुलिस अफसर तक सवालों के घेरे में
- 2 जुलाई की रात बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने पहुंचे सीओ समेत 8 पुलिसवालों की हत्या हुई थी
- चौबेपुर के एसओ रहे विनय तिवारी और एसआई केके शर्मा की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर गिरफ्तार किए गए
कानपुर. कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला 5 लाख का इनामी गैंगस्टर विकास दुबे 7वें दिन मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया। विकास केस में अब तक की जांच में पुलिस अफसरों की संलिप्तता साफ नजर आ रही है। बुधवार को पुलिस ने चौबेपुर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी और एक एसआई को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने पुलिस दबिश की जानकारी विकास को लीक की। मुठभेड़ के दौरान भाग खड़े हुए थे।
पूरे केस के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी
पुलिस हत्याकांड के बाद से महकमे में पत्र और ऑडियो वायरल हो रहे हैं। चर्चाओं का दौर जारी है। आधिकारिक तौर पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने पुलिस विभाग में भी यह चर्चा है कि इस पूरे केस के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी है। कानपुर शूटआउट में दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्रा की सामने आई चिट्ठी और वायरल ऑडियो से यह तो साफ है कि कानपुर की पुलिस खेमों में बंटी हुई थी। इस तनातनी की तह में जाने पर कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।
विकास दुबे प्लाटिंग, खनन, अवैध वसूली का नेटवर्क चला रहा था। उसे लंबे समय से राजनीतिक और पुलिस अफसरों का संरक्षण है। जिले के चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली में पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है। कहा जाता है कि यह खनन जिले के दो सत्ताधारी विधायकों के संरक्षण में होता है और विकास अवैध खनन के इस पूरे धंधे का सुपरविजन करता है। लोगों का दबी जुबां से यहां तक कहना है कि स्थानीय स्तर पर विकास के प्रभाव को कम करने के लिए थानों का परिसीमन तक बदला गया। पहले विकास का गांव शिवली थाने के तहत आता था। बाद में वह चौबेपुर में आने लगा। विकास ने चौबेपुर थाने में भी अपनी पकड़ बना ली।
अब मौजूदा घटनाक्रम को समझने के लिए जनवरी 2019 में चलते हैं। उस समय आईपीएस अनंत देव तिवारी कानपुर एसएसपी का कार्यभार संभालते हैं। उन्होंने रुटीन में जिले के बड़े गैंगस्टरों की कुंडली खंगालनी शुरू की। तब चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली थानों में खनन से संबंधित वसूली में विकास का नाम सामने आया। यहां तक सब कुछ पुलिस के नियमित कार्यों का हिस्सा लगता है। लेकिन, 2019 में ही विनय तिवारी चौबेपुर थाने के इंचार्ज बन जाते हैं। चौबेपुर थाने में ही विकास का गांव है। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन एसएसपी अनंत देव से विनय के अच्छे संबंध रहे हैं। हालांकि, इसकी वजह यह भी बताई जाती है कि विनय की चित्रकूट में तैनाती रही है और अनंतदेव भी चित्रकूट में कप्तान के रूप में पदस्थ रहे। हालांकि, वजह चाहे जो रही हो लेकिन कानपुर शूटआउट केस में यह नियुक्ति भी जांच के दायरे में है।
साल 2019 में ही देवेंद्र मिश्रा कानपुर में बतौर सीओ पहुंचते हैं। सिपाही से सीओ तक पहुंचने वाले देवेंद्र मिश्र महकमे के तिकड़मों से वाकिफ थे और जल्द ही समझ गए कि चौबेपुर के एसओ विनय को उच्च स्तर से संरक्षण है। फिलहाल, जो चिट्ठी और ऑडियो वायरल है, उससे साफ है कि देवेंद्र ने विनय की तत्कालीन एसएसपी से कई मामलों में शिकायत की थी। एक वायरल ऑडियो में एसएसपी अनंतदेव, विनय और देवेंद्र काॅन्फ्रेंस काॅल पर हैं। हालांकि, इसमें एसएसपी एसओ विनय को सीओ को संतुष्ट करने और ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात करते हैं। इसके अलावा, विनय और विकास दुबे के बीच मिलीभगत को लेकर लिखी गई सीओ की चिट्ठी का रिकाॅर्ड में न होना भी अपने आप में अजीब है। इन्हीं सब बातों के चलते कानपुर के तत्कालीन एसएसपी पर भी सवाल उठ रहे हैं। शायद यही वजह है कि बतौर एसटीएफ डीआईजी कानपुर शूटआउट की जो जांच वह कर रहे थे, वह उनसे वापस ले ली गई है। जांच वापस लेने के साथ उनका तबादला भी डीआईजी स्टाफ से डीआईजी पीएसी, मुरादाबाद कर दिया गया है।
विकास के दुश्मन चचेरे भाई अनुराग की भी भूमिका
सीओ देवेंद्र और विनय के बीच तनातनी की एक वजह यह भी बताई जाती है कि दोनों के अलग-अलग खेमों के राजनीतिक लोगों से संबंध थे। सूत्रों के मुताबिक, चौबेपुर एसओ विनय विकास दुबे का करीबी था। वहीं, सीओ देवेंद्र को विकास के चचेरे भाई अनुराग दुबे का खास माना जाता था। अनुराग 2017-18 तक विकास के साथ ही काम करता था, लेकिन एक जमीन के विवाद के बाद दोनों अलग-अलग हो गए। एक-दूसरे पर हमला भी करवाया। इसी एक मामले में विकास जेल भी गया था। सूत्रों के अनुसार, फिलहाल अनुराग एक बार फिर अपने मददगार राजनीतिज्ञों और पुलिसवालों की मदद से विकास पर पुलिस का शिकंजा कसवाना चाह रहा था। वहीं, एसओ विनय और चौबेपुर थाने का अन्य स्टाफ विकास का करीबी था।
अब होती है राहुल तिवारी की एंट्री
राहुल तिवारी वही शख्स है, जिसकी शिकायत पर पुलिस टीम विकास को पकड़ने गई थी और वहां हुई फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे। राहुल से विकास का विवाद इसी साल मार्च में हुआ था। आरोप है कि विकास के लोगों ने राहुल की पिटाई की थी और उसकी बाइक छीन ली थी। बाद में पंचायत में इस मामले में समझौता हो गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि समझौते के बाद अनुराग इस केस में आ गए और उन्होंने राहुल को विकास के खिलाफ शिकायत करने को कहा। सीओ देवेंद्र ने भी विकास के खिलाफ एसएसपी से शिकायत करने को कहा। राहुल ने एसएसपी कार्यालय में शिकायत की, लेकिन लाॅकडाउन के चलते कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अनंतदेव का ट्रांसफर हो गया। राहुल को एक बार फिर नए आए एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु के पास भेजा गया। इस बार एसएसपी ने शिकायत दर्ज करने के निर्देश दे दिए।
थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद सीओ देवेंद्र ने चौबेपुर एसओ विनय पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह विकास के खिलाफ एक्शन लें। हालांकि, इस दौरान एसओ विनय यह कोशिश करते रहे कि राहुल शिकायत वापस ले ले। इसके लिए पहले हल्का इंचार्ज एसआई शर्मा राहुल को लेकर विकास के घर पहुंचा। लेकिन, वहां बात बनने के बजाय मारपीट हो गई। इसके बाद फिर एसओ विनय भी राहुल को लेकर विकास के घर गए,लेकिन बात नहीं बनी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस बीच सीओ देवेंद्र ने विकास के आपराधिक इतिहास और एसओ विनय से उसके संबंधों का पूरा काला चिट्ठा नए एसएसपी के सामने रख दिया। इसके बाद कप्तान कार्यालय से सीओ देवेंद्र को विकास के घर पर दबिश के निर्देश दिए गए। इसके बाद ही 2 जुलाई की रात को सीओ देवेंद्र पांच थानों का पुलिसबल के साथ बिकरु गांव दबिश के लिए पहुंचे थे।
विकास के शुभचिंतकों ने कहा था- भागना मत, एनकाउंटर हो जाएगा
एसओ चौबेपुर विनय इस आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं कि उन्होंने इस दबिश की सूचना लीक है। बताते हैं कि दबिश की सूचना मिलने के बाद विकास ने अपने शुभचिंतकों को फोन घुमाना शुरू किया। इसमें ज्यादातर ने उसे सलाह दी थी कि भागना मत, नहीं तो एनकाउंटर हो जाएगा। घर पर ही पुलिस से बातचीत करना।
लेकिन, विकास के घर दबिश के लिए पहुंची पुलिस टीम के रास्ते में जेसीबी खड़ी थी। जिसकी वजह से पुलिस टीम अलग-अलग ग्रुप में हो गई। नए लड़के आगे ही रहे । जबकि चौबेपुर एसओ सरीखे अनुभवी लोग पीछे रहे। सीओ देवेंद्र जिधर जेसीबी का मुंह था, उस ओर से घर की तरफ चले गए। जबकि एसआई अनूप विकास के घर में चले गए। सूत्रों का कहना है कि विकास अपने घर के अहाते में ही था और वह वहां डील करने के उद्देश्य से बैठा था। लेकिन, एकाएक कहासुनी होने के बाद पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू हो गई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि दबिश के लिए टीम के पहुंचते ही चौतरफा ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई, इसमें 8 पुलिसवालों की जान चली गई।
जांच पूरी होने तक कुछ भी कहना जल्दबाजी: आईजी
कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि अभी जांच हो रही है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर कार्रवाई भी की जाएगी।