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भूटान की आड़ में भारत पर निशाना / चीन ने कहा- भूटान से लगे बॉर्डर पर तीन जगहों पर बॉर्डर तय नहीं होने से विवाद, कोई भी तीसरा देश दखलअंदाजी न करे

चीन ने कहा- भूटान से सटी सीमा पर पूर्वी, मध्य और पश्चिमी इलाकों में कभी सीमांकन नहीं हुआ, इसे लेकर लंबे समय से विवाद इससे पहले चीन ने भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य की जमीन को अपना हिस्सा बताया था, भूटान ने इसका विरोध किया था

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  • चीन ने भूटान बॉर्डर से सटे तीन इलाको को विवादित बताया है। इससे पहले चीन ने भूटान के एक अभयारण्य पर भी अपनी दावेदारी की थी।चीन ने भूटान बॉर्डर से सटे तीन इलाको को विवादित बताया है। इससे पहले चीन ने भूटान के एक अभयारण्य पर भी अपनी दावेदारी की थी।

थिंपू. चीन ने भूटान के इलाकों को लेकर नई दावेदारी की है। शनिवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा चीन और भूटान की बॉर्डर का तीन जगहों पर कभी सीमांकन नहीं हुआ। सीमा पर पूर्वी, मध्य और पश्चिमी इलाकों पर लंबे समय से विवाद है। ऐसे में कोई भी तीसरी पार्टी ( भारत) इसमें दखलअंदाजी न करे। इससे पहले चीन ने भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य (Sakteng Wildlife Sanctuary ) की जमीन को विवादित बताया था। इसके भूटान ने साफ किया था कि यह अभयारण्य उसके देश का अभिन्न हिस्सा है।

सकतेंग अभयारण्य अरुणाचल प्रदेश के सेला पास से करीब 17 किमी की दूरी पर है। यह भूटान के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 650 वर्ग किमी में फैला है। यह अभयारण्य लाल पांडा, हिमालयन ब्लैक बियर और हिमलयन मोनाल तीतर जैसे दुर्लभ वन्यजीवों का घर है।

चीन के विरोध के बाद भी भूटान को मिली फंडिंग

भूटान ने सकतेंग अभयारण्य प्रोजेक्ट के लिए वर्ल्ड बैंक या आईएमएफ से फंडिंग मांगी थी। एन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल में जब अभयारण्य को फंड देने की बात आई तो चीन ने नई चाल चली और जमीन को ही अपना बता दिया। हालांकि, चीन का विरोध दरकिनार हो गया। काउंसिल ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। काउंसिल में चीन का एक प्रतिनिधि है। वहीं, भूटान का सीधे तौर पर कोई प्रतिनिधि नहीं है। भूटान का प्रतिनिधित्व भारतीय आईएएस अधिकारी अपर्णा सुब्रमणि ने किया। वे वर्ल्ड बैंक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका की प्रभारी हैं।

2017 में भूटान में घुसी थी चीन की सेना

2017 में चीन की सेना डोकलाम में भूटान की सीमा में घुस गई थी। इसके बाद भारतीय सेना को दखल देना पड़ा था। भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को झामफेरी पहाड़ी तक सड़क बनाने से रोक दिया था। भारतीय और चीनी सैनिक करीब 72 दिनों तक एक-दूसरे के आमने-सामने रहे थे। इस साल भी खबरें आई कि चीन भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक पहुंच बनाने के लिए टोरसा तक सड़क बना रहा है। भारत ने चीन पर सीमा का विस्तार करने का आरोप लगाया था। इस पर चीनी दूतावास ने कहा था कि इसने अपने 14 पड़ोसियों में से 12 के साथ सीमा समझौते किए हैं।

 

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