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विकास दुबे और उसके गुर्गों की दरिंदगी / सीओ के सिर पर गोली मारी; घर से घसीटते हुए बाहर ले जाकर कुल्हाड़ी से पैर काटा; एक के ऊपर एक 5 शव रखे मिले थे

घायल पुलिसवाले मदद के लिए दरवाजे खटखटाते रहे, पीछे से आए बदमाशों ने गोलियां दागीं कानपुर में गुरुवार रात मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, आरोपी विकास दुबे फिलहाल फरार

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  • कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरू गांव में हुए हत्याकांड के बाद मौके पर पिस्टल पड़ी मिली थी। बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के मरने के बाद उनके शवों पर भी कई गोलियां दागी थीं।कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरू गांव में हुए हत्याकांड के बाद मौके पर पिस्टल पड़ी मिली थी। बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के मरने के बाद उनके शवों पर भी कई गोलियां दागी थीं।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों ने गुरुवार रात 8 पुलिसकर्मियों को बेहद बेरहमी से मारा था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ के वक्त पोजिशन लेने के लिए सीओ देवेंद्र मिश्रा दीवार फांदकर एक घर के आंगन में कूद गए थे। यह घर विकास के मामा का था। इस दौरान पीछा करते हुए बदमाश घर में घुसे और सीओ के सिर पर कई गोलियां दाग दीं। उनके शव को घसीटते हुए बाहर लाए। यहां कुल्हाड़ी से उनके पैर को काट कर अलग कर दिया। बदमाशों ने पुलिसवालों की हत्या करने के बाद 5 शवों को एक के ऊपर रखा था।

बदमाशों ने पुलिस टीम को संभलने का मौका नहीं दिया
गुरुवार देर रात चौबेपुर थाना इलाके के बिकरू गांव में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा की अगुआई में पुलिसबल हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गया था। पुलिस टीम में शिवराजपुर, चौबेपुर और बिठूर थाने का स्टाफ था। यहां विकास के घर से पहले ही रास्ता रोकने के लिए एक जेसीबी रखी मिली। पुलिस कुछ समझ पाती, इससे पहले विकास दुबे ने साथियों के साथ मिलकर पुलिस टीम पर छतों से फायरिंग करना शुरू कर दी। बदमाशों के पास आधुनिक हथियार थे। वे छतों से निशाना लगाकर पुलिस पर फायरिंग कर रहे थे। इससे उलट पुलिस दीवारों की आड़ अंदाजा लगाकर ही फायरिंग कर रही थी।

कानपुर में घटनास्थल से मिले हथियार ओर कारतूस।
पुलिस को घटनास्थल से बड़ी संख्या में कारतूस और हथियार मिले थे।

शवों पर भी गाेलियां दागते रहे बदमाश
सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ में सबसे पहले शिवराजपुर एसओ महेश यादव और मंधना चौकी इंचार्ज अनूप सिंह गंभीर रूप से घायल हुए। दोनों मदद के लिए घरों के दरवाजे खटखटा रहे थे, तभी पीछे आए बदमाशों ने दोनों की पीठ पर दर्जनों गोलियां दाग दीं। इसके बाद शवों को घसीटते हुए एक जगह इकट्ठा करके रखते गए। बदमाशों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। मृत शरीरों पर भी कई राउंड फायरिंग की।

घटनास्थल पर पड़ी रायफल। बाद में पुलिस ने इसे अपने कब्जे में ले लिया।
घटनास्थल पर पड़ी रायफल। बाद में पुलिस ने इसे कब्जे में ले लिया।

बदमाशों ने पुलिस के असलहे लूटे
बदमाशों ने पुलिस की एक एके 47, एक इंसास रायफल और दो पिस्टलें लूटी थीं। पुलिस से लूटे गए असलहों से भी गोलियां चलाई गईं हैं। पोस्टमाॅर्टम रिपोर्ट में पता चला है कि चार जवानों के शरीर से गोलियां आर-पार निकल गईं। सीओ देवेंद्र मिश्रा के सिर और सीने में गोली मारी गईं। मंधना चौकी इंचार्ज अनूप सिंह को सात गोलियां लगी थीं। शिवराजपुर एसओ महेश यादव को पांच गोलियां और सिपाही जितेंद्रपाल को 6 गोलियां लगी थीं। बाकी पुलिसकर्मियों को चार-चार गोलियां लगीं।

यह है मामला
चौबेपुर इलाके के राहुल तिवारी के ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन पर विकास ने जबरन कब्जा कर लिया था। राहुल ने कोर्ट में विकास के खिलाफ केस दर्ज कराया। बीती 1 जुलाई को विकास ने साथियों के साथ मिलकर राहुल को रास्ते से उठा लिया और बंधक बनाकर पीटा। जान से मारने की धमकी भी दी। राहुल ने इसकी थाने में शिकायत की।

पूछताछ के लिए थानाध्यक्ष आरोपी विकास के घर पहुंचे। यहां विकास ने थाना प्रभारी के साथ हाथापाई कर दी। इसके बाद थानाध्यक्ष ने राहुल की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और खुद के साथ हुई बदसलूकी की चर्चा भी किसी से नहीं की। बाद में अधिकारियों के आदेश पर चौबेपुर थाने में विकास दुबे पर केस दर्ज हो गया। गुरुवार देर रात पुलिस दबिश देने के लिए पहुंची थी। यहां सीओ, तीन एसआई, चार कांस्टेबल शहीद हो गए थे। इसके अलावा, दो ग्रामीण, एक होमगार्ड और 4 पुलिसवाले घायल हो गए थे।

 

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का परिवार / दो बेटों में से एक लंदन में पढ़ता है; छोटे भाई की पत्नी 10 साल प्रधान रहीं, उन्हें अब्दुल कलाम पुरस्कृत कर चुके

  • ब्लैक कोट में साथियों के साथ विकास दुबे। 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद से यह फरार है। इसको पकड़ने के लिए पुलिस की 100 टीमें लगाई गई हैं।ब्लैक कोट में साथियों के साथ विकास दुबे। 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद से यह फरार है। इसको पकड़ने के लिए पुलिस की 100 टीमें लगाई गई हैं।
  • कानपुर के बिकरु गांव में गुरुवार रात विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत 8 पुलिसवालों की गोली मारकर हत्या कर दी थी
  • 36 घंटे बाद भी विकास का सुराग नहीं, तलाश में एसटीएफ की 8 टीम समेत पुलिस की 100 टीम लगाई गई
  • विकास की करतूत पर लखनऊ में मां बोलीं- कर दो एनकाउंटर, दुःख नहीं होगा, उसने बड़ा अपराध किया
  • प्रशासन ने शनिवार सुबह विकास का घर और वाहन कुर्क किए, उसके पास 100 करोड़ रुपए की सम्पत्ति होने का अनुमान

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाले 50 हजार का इनामी विकास दुबे 36 घंटे बाद भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ पुलिस के आला अधिकारी उसकी तलाश में कानपुर में कैंप कर रहे हैं। इसी बीच, विकास समेत 35 लोगों के खिलाफ हत्या और हथियारों की लूट का केस दर्ज कराया गया है। पुलिस की 100 टीमें तलाश में लगाई हैं। यूपी की सीमा को सील कर दिया गया है। परिवारवालों से पूछताछ की जा रही है।

विकास के परिवार में पत्नी, दो बच्चे, मां-पिता के अलावा मामा हैं। शुक्रवार सुबह पुलिस ने मामा समेत दो को मुठभेड़ में मार गिराया था। वहीं, लखनऊ में रह रही विकास की मां ने कहा कि मेरे बेटे का एनकाउंटर कर दिया जाए। इसका मुझे तनिक भी दुःख नहीं होगा।

बड़ा इंग्लैंड और छोटा बेटा कानपुर में पढ़ाई कर रहा
विकास जितना बड़ा कुख्यात बदमाश है, उसका परिवार उतना ही सरल नजर आता है। अब उसके अपराध की कीमत परिवार को भी चुकानी पड़ रही है। विकास का बड़ा बेटा इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहा है। एक भाई दीपू दुबे है जो लखनऊ स्थित आवास में मां सरला के साथ रहता है। मां का कहना है कि विकास के कारण पूरे परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बेहतर है कि वो खत्म हो जाए।

बहू को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कृत कर चुके हैं
विकास की मां सरला काफी समय से बीमार चल रही हैं। वह कहती हैं- छोटे बेटे दीपू की पत्नी अंजली बिकरु गांव में 10 साल प्रधान रहीं। उसके काम से खुश होकर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कृत कर चुके हैं। दिल्ली में एक समारोह में कलाम ने अंजली के कार्यों की खूब तारीफ की थी। फिलहाल, अंजली का इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है। मां का कहना है कि उनके पति रामकुमार गांव में ही रहते हैं। लंबे अरसे से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है।

लखनऊ में विकास के घर ताला लगा मिला
लखनऊ में पुलिस छोटे भाई दीप प्रकाश की पत्नी अंजली और उसकी भांजी को पूछताछ के लिए थाने लेकर गई है। अंजली के नाम लाइसेंसी रिवॉल्वर जब्त कर ली है। दीप प्रकाश का मोबाइल बंद जा रहा है। वह घटना के बाद से फरार है। विकास का कृष्णानगर कोतवाली क्षेत्र के इंद्रलोक कॉलोनी में घर है। जब पुलिस यहां गई तो ताला लगा मिला। इसे तोड़कर एक-एक कमरे की तलाशी ली गई।

संपत्ति और बैंक खातों को खंगाल रही पुलिस
विकास पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने उसके बैंक खाते और संपत्ति की जांच शुरू कर दी है। बिकरु गांव के स्थानीय लोगों की मानें तो विकास के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। उसने परिजन समेत रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति बनाई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गांव में ही डेढ़-दो सौ बीघा खेतीलायक जमीन है, जबकि कानपुर में 30 से ज्यादा विवादित प्लाटों पर उसका कब्जा है। गांववालों के मुताबिक, विकास के पास करीब 100 करोड़ की संपत्ति होगी।

यूपी का बॉर्डर सील, नेपाल के रास्ते पर चौकसी बढ़ाई
विकास दुबे का 36 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं मिल रहा है। तलाश में 100 पुलिस टीमें लगी हैं। इनमें 8 एसटीएफ की टीमें हैं। अब तक लखनऊ, कन्नौज, सोनभद्र, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा, सहारनपुर और बांदा में छापे मार गए हैं। यूपी के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए। एसटीएफ को नेपाल बॉर्डर तक अलर्ट किया गया है।

एसटीएफ की रडार पर विकास के खास 5 आदमी
सूत्रों के मुताबिक, विकास के गैंग में यूं तो कई लड़के थे, जो उसके इशारे पर किसी भी घटना को अंजाम दे देते थे। लेकिन 5 खास लोग चिह्नित किए गए हैं, जो एसटीएफ की रडार पर हैं। यह पांचों लोग हमेशा विकास के साथ रहते थे।

  • हीरू: विकास का खास आदमी। वित्तीय काम देखता है। कहां किससे कब पैसा लाना है- कहां कितना पैसा पहुंचाना है, यह सब इसके ही जिम्मे रहता है।
  • गोपाल सैनी: यह विकास की जमीनों का काम देखता है। यही विकास का मुख्य धंधा है। किसी भी विवादित जमीन को कब्जा करना या फिर किसी शरीफ आदमी की जमीन पर कब्जा कर उसे छोड़ने की एवज में वसूली करने जैसे काम सब इसी के जिम्मे हैं। यही जमीनों की टिप भी विकास को देता था।
  • अमर दुबे: यह विकास का पर्सनल बॉडी गार्ड है, जो हमेशा असलहे से लैस रहता है। यह विकास पर आने वाली किसी विपत्ति को सबसे पहले खुद पर झेल लेता है।
  • गुड्डू शुक्ला: यह विकास के साथ ही रहता है। यह अन्य कामों के बारे में मदद करता है। गांव में किसको क्या जरूरत है। गैंग में नया, पुराना कौन। किससे क्या काम लेना है, यह सब जिम्मेदारी गुड्डू की है।
  • बड्डे दुबे: यह विकास के खाने पीने हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल रखता है। बड्डे इन पांचों में विकास का सबसे विश्वासपात्र भी है।

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कानपुर / 19 साल पहले 30 पुलिसकर्मी विकास दुबे के खिलाफ थाने में हत्या की गवाही से ना मुकरते तो उनके 8 साथी जिंदा होते

  • कानपुर के पास एक गांव में पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे। (फाइल)कानपुर के पास एक गांव में पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे। (फाइल)
  • यूपी के वांटेड अपराधी विकास दुबे का वर्दी वालों से वास्ता बहुत पुराना
  • 2001 में जिस दर्जा प्राप्त मंत्री की हत्या की थी, उनके भाई ने किए कई अहम खुलासे

कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में वांटेड विकास दुबे का वर्दी वालों से वास्ता बहुत पुराना है। यूपी में 19 साल पहले भाजपा की सरकार थी। तब विकास ने कानपुर के ही शिवली थाने में दिनदहाड़े दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उस समय थाने में 5 सब इंस्पेक्टर और 25 सिपाही मौजूद थे।

घटना की एफआईआर संतोष के भाई मनोज शुक्ला ने दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने इन सभी पुलिस कर्मियों को गवाह बनाया था, पर वे गवाही से मुकर गए थे। मनोज की गवाही पर निचली अदालत ने भरोसा नहीं किया। साल 2001 की इस घटना में नामजद विकास 2006 में बरी हो गया। तब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी।

राज्य सरकार को अपराध के मुकदमों में निचली अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट में अपील करना होता है, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील नहीं की। हत्या का यह केस बंद हो गया।

मनोज ने कहा, प्रशासनिक तंत्र ने विकास की मदद की। इसलिए अपराध की दुनिया का पौधा वटवृक्ष बन गया। मैं न्याय की गुहार लगता रहा, लेकिन तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां विकास के पक्ष में थीं। मेरी कहीं सुनवाई नहीं हुई। कुछ मंत्री विकास की मदद कर रहे थे। विकास के पास एक लाल डायरी है। इसमें वह अपने खास अधिकारियों, नेताओं और उनसे जुड़े लोगों का हिसाब रखता है। अगर पुलिस को डायरी मिलती है तो काफी खुलासे हो सकते हैं।’

विकास का फेसबुक पर पेज, एक हजार से ज्यादा फॉलोवर
विकास को अब तक दो मामलों में निचली अदालतों से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। वह गरीबों को शादी, बीमारी और घर की मरम्मत में आर्थिक सहयोग करता रहा है। फेसबुक पर उसका पेज भी है। इसका नाम ‘ब्राह्मण शिरोमणी पं. विकास दुबे’ है। इस पेज पर उसके एक हजार से ज्यादा फॉलोवर हैं।

हालांकि, उनमें अधिकांश छात्र और विभिन्न संगठनों से जुड़े हुए युवा हैं। विकास का कानपुर के कई इलाकों में प्रभाव है। उसने जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। अभी विकास की पत्नी जिला पंचायत सदस्य है।

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