दूसरे देशों से प्रवासी जो पैसा घर भेजते हैं उसमें 20% की कमी, भारत में 23% की गिरावट; गरीबी, भुखमरी और मानव तस्करी के मामले बढ़ सकते हैं
नई दिल्ली. नेपाल की रहने वाली शीबा काला एक हाउस वाइफ हैं। कभी शाम का खाना खाती हैं तो सुबह का नहीं और सुबह का खाती हैं तो शाम का नहीं। वह हर रोज एक वक्त का खाना छोड़ देती हैं, ताकि उनकी पांच साल की बच्ची भूखी न रहे। शीबा के पति खाड़ी देश कतर में जॉब करते थे। कोरोनाकाल में उनकी नौकरी चली गई। इसलिए वे अब घर पर पैसे नहीं भेज पा रहे हैं। शीबा बताती हैं कि उनके पति पहले हर महीने करीब 12 हजार रुपए भेजते थे जिससे फ्लैट का किराया और घर की जरूरतें पूरी होती थीं। पिछले 6 महीने में उन्हें सिर्फ 25 हजार रुपए मिले हैं।
शीबा की तरह ही नेपाल की राधा मरासिनी भी आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। उनके पति भारत के लुधियाना में एक फैक्ट्री में गार्ड की नौकरी करते थे। लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई। जो कुछ पैसे पति भेजते थे वह बंद हो गया। मजबूरी में राधा को कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है। शीबा और राधा की तरह करोड़ों ऐसे लोग हैं जिन्हें कोरोनाकाल में आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा है।
कोरोना की वजह से ग्लोबल रेमिटेंस में 20 % की कमी
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल कोरोना की वजह से दुनियाभर में रेमिटेंस में 20 फीसदी से ज्यादा की कमी आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में दुनियाभर में एक देश से दूसरे देश में करीब 40 लाख करोड़ रुपए रेमिटेंस के तौर पर भेजे गए। इस साल कोरोना की वजह से भारी संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं। इसका सीधा-सीधा असर रेमिटेंस पर पड़ा है। इस साल 20 फीसदी घटकर रेमिटेंस करीब 33 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। यानी करीब 7 लाख करोड़ रुपए की कमी।
रेमिटेंस क्या होता है
दरअसल दुनियाभर में लोग रोजगार की तलाश में एक देश से दूसरे देश में जाते हैं और वहां से अपने घर कुछ पैसे भेजते हैं। जिससे उनका घर चलता है। इस राशि को रेमिटेंस कहा जाता है। खाड़ी देशों में बसे भारतीय सबसे अधिक रेमिटेंस भेजते हैं। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विकसित देशों में काम करने वाले भारत में अपने परिवार के लिए पैसे भेजते हैं।
जो प्रवासी दूसरे देशों से अपने देश रेमिटेंस के तौर पर राशि भेजते हैं उसका करीब 75 फीसदी खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों के लिए उपयोग किया जाता है। 10 फीसदी शिक्षा पर और बाकी 15% बचत के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में रेमिटेंस में 23 फीसदी की गिरावट
भारत में भी रेमिटेंस पर कोरोना का बुरा प्रभाव पड़ा है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस साल रेमिटेंस में 23 फीसदी कमी का अनुमान है। पिछले साल भारत में दूसरे देशों से लोगों ने करीब 6 लाख करोड़ रुपए भेजे थे। इस साल यह आंकड़ा घटकर 4.8 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। भारत की तरह ही दुनिया के दूसरे देशों के भी रेमिटेंस पर कोरोना का असर पड़ा है। साउथ एशिया में 27.5 फीसदी कमी का अनुमान है। वहीं पाकिस्तान में 23%, नेपाल में 19%, श्रीलंका में 14% और बांग्लादेश में करीब 22 फीसदी गिरावट का अनुमान है।