Newsportal

मॉर्निंग वॉक पर निकले थे सीजेआई जस्टिस एस.ए.बोबडे, इस बीच बाइक दिख गई तो खुद को रोक न पाए; की सुप्रीम राइड

सीजेआई जस्टिस एस.ए.बोबडे की नजर मॉर्निंग वॉक के दौरान हार्ले डेविडसन बाइक पर पड़ी तो इस पर सवार होने से वे खुद को रोक नहीं पाए। जस्टिस एस.ए. बोबडे को फोटोग्राफी और किताबें पढ़ने का भी शौक है कोरोना के दौर में वह नागपुर में अपने घर से ही महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर रहे हैं

0 213

नागपुर. हार्ले डेविडसन बाइक पर बैठे यह शख्स कोई और नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबड़े हैं। फिलहाल वे नागपुर में अपने घर से ही सुप्रीम कोर्ट में आने वाले महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। रविवार सुबह जब मॉर्निंग वॉक पर निकले तो उनकी नजर हार्ले डेविडसन बाइक पर पड़ गई। बस फिर क्या था। उन्होंने भी बाइक की सवारी की। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने उनकी फोटो खींच ली।

दरअसल, फोटोग्राफी और किताबें पढ़ने के शौकीन सीजेआई एस.ए.बोबडे बाइक का भी शौक रखते हैं।

जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े सुप्रीम कोर्ट के 47वें चीफ जस्टिस हैं। पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई के बाद इन्होंने 18 नवंबर 2019 को पदभार ग्रहण किया था। चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस बोबड़े का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा। 23 अप्रैल 2021 को वे रिटायर हो जाएंगे।

नागपुर स्थित अपने आवास पर जस्टिस एस.ए. बोबड़े फोटोग्राफी करते हुए।

नागपुर में जन्म हुआ, फोटोग्राफी का काफी शौक है

जस्टिस एस.ए.बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जस्टिस एस.ए. बोबडे ने मार्च, 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में शपथ ली।

16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। निजी जिंदगी में जस्टिस एस.ए.बोबडे को फोटोग्राफी का भी काफी शौक है। बताया जाता है कि जब भी उन्हें मौका मिलता है, वह कैमरा लेकर फोटोग्राफी जरूर करते हैं।

जब भी उन्हें मौका मिलता है, वह कैमरा लेकर फोटोग्राफी जरूर करते हैं। उन्हें किताबें पढ़ने का शौक भी है।

राममंदिर पर फैसला देने वाले बेंच का हिस्सा रहे, किताबें पढ़ना अच्छा लगता है

जस्टिस एस.ए.बोबडे के पिता मशहूर वकील थे। यही कारण है की शुरू से ही पिता की तरह जस्टिस एस.ए.बोबडे को भी किताबें पढ़ने का शौक रहा। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक किया।

अयोध्या में राम मंदिर निमार्ण को लेकर फैसला देने वाले जस्टिस एस.ए.बोबडे कई और महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस एस.ए.बोबडे ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था।

वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने के बाद जस्टिस एस.ए.बोबडे ने सबसे पहले घर जाकर मां के पैर छुए थे।

मां से अटूट प्रेम

जस्टिस एस.ए.बोबडे का अपनी मां के साथ बेहद खूबसूरत रिश्ता है। चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने के बाद सबसे पहले उन्होंने घर जाकर मां के पैर छुए। उनकी मां लंबे समय से बीमार चल रहीं हैं। वह बोल नहीं पाती हैं।

सीजेआई जस्टिस एस.ए.बोबडे ने नागपुर में अपने घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई की।

जब जस्टिस बोबडे बोले- घर बहुत पुराना है

हाल ही में कोरोना संकट के बीच जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की सुनवाई हो रही थी। सीजेआई जस्टिस एस.ए. बोबडे नागपुर स्थित अपने घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले पर फैसला देने वाले थे। सुनवाई शुरू ही हुई थी, तभी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई से कहा कि आपका नागपुर का घर बहुत सुंदर है। हम लोगों का सौभाग्य है कि हमें आपके ड्राइंग रूम को देखने का मौका मिला। इस पर सीजेआई जस्टिस एस.ए.बोबडे मुस्कुराते हुए बोले कि घर बहुत पुराना है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यही तो इस घर की खूबसूरती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.