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जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव / लॉकडाउन के कारण 148 साल में पहली बार राजधानी बदलने का समय बदला, जम्मू से 46 ट्रक फाइल और सामान श्रीनगर भेजा गया

खतरनाक मौसम के कारण राजधानी बदलने की यह परंपरा महाराजा रणबीर सिंह ने शुरू की थी गर्मी में श्रीनगर और सर्दी में जम्मू हो जाती है जम्मू-कश्मीर की राजधानी इस साल कोरोना के कारण श्रीनगर के साथ ही जम्मू में भी ऑफिस खुले रहेंगे

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जम्मू. जम्मू-कश्मीर में रविवार को दरबार मूव किया गया। इसके लिए फाइल, दस्तावेज और अन्य जरूरी सामान भरकर 46 ट्रक जम्मू से श्रीनगर रवाना किए गए। यह परंपरा 148 साल पहले शुरू की गई थी। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण पहली बार दरबार मूव मई की जगह जून में किया गया। दरबार मूव के तहत करीब 10 हजार कर्मचारी, दस्तावेज, कम्प्यूटर और फर्नीचर और दूसरे जरूरी सामान ट्रकों में भरकर ले जाए जाते हैं।

1872 में यह परंपरा शुरू हुई थी
दरबार मूव 1872 में महाराजा रणबीर सिंह ने शुरू किया था। वे गर्मियों में अपनी राजधानी श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू कर देते थे, ताकि इन जगहों पर खतरनाक मौसम से बचा जा सके। गर्मी के दिनों में जम्मू ज्यादा गर्म हो जाता है, जबकि सर्दी में श्रीनगर में पारा जीरो से नीचे चला जाता है।

कोरोना के कारण दोनों जगहों से कामकाज होगा
इस बार, कोरोना महामारी के कारण श्रीनगर के साथ ही जम्मू से भी कामकाज होता रहेगा। जम्मू का ऑफिस 1 जुलाई को खुलेगा। 18 विभाग यहीं से काम करेंगे। 19 विभागों को श्रीनगर ट्रांसफर किया गया है। यहां 6 जुलाई से कामकाज शुरू किया जाएगा।

भाजपा यह परंपरा बंद करने के पक्ष में
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद अब भाजपा यहां से दरबार परंपरा भी बंद करना चाहती है। इसमें हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। मूव करने वाले हर एक कर्मचारी हो पिछले साथ 25 हजार रुपए भत्ता दिया गया था। इस साल भी इतनी ही राशि दी जाना तय हुआ है। भाजपा चाहती है कि जब जम्मू और श्रीनगर दोनों जगह बुनियादी सुविधाएं हैं तो फिर 12 महीने दोनों जगहों से कामकाज होना चाहिए।

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