ड्रैगन नहीं आग उगलेगा india ; चीन के लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर एलएसी पर मंडरा रहे, भारत ने निगरानी के लिए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तैनात किया
एक तरफ विवाद शांत करने के लिए बातचीत चल रही तो दूसरी ओर चीन एलएसी पर लड़ाकू विमान उड़ा रहा अगर चीन का कोई विमान एलएसी पार करता है तो एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम उसे तुरंत ध्वस्त कर देगा
लेह. चीन की हरकतों के कारण सीमा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर उसके लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर मंडरा रहे हैं। चीन की यह गतिविधियां एलएसी के 10 किलोमीटर एरिया में जारी हैं। ऐसे में भारत ने भी अब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है।
सैन्य सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि एलएसी पर चीन के लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर पर नजर रखने के लिए सेना ने पूर्वी लद्दाख में ‘आकाश’ एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तैनात कर दिया है। इससे भारतीय सेना आसानी से चीन की हरकतों पर नजर रख सकती है। ऐसे में अगर चीन का कोई विमान एलएसी क्रॉस करेगा तो उसे एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तुरंत मार गिराएगा।
तनाव वाले इलाकों में उड़ रहे चीनी विमान
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों यह माना कि मई से ही चीन लगातार लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश में जुटा हुआ है। 15 जून की रात गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन ने एलएसी पर सेना बढ़ाई है। यही नहीं कई तरह की मिसाइल, हथियार, तोप की तैनाती भी बढ़ा दी है।
चीन की एयरफोर्स ने एलएसी के पास सुखोई-30 जैसे फाइटर प्लेन तैनात किए। सूत्रों ने बताया कि चीन के हेलिकॉप्टर्स एलएसी के बेहद करीब उड़ान भर रहे हैं। इनमें दौलत बेग ओल्डी सेक्टर, गलवान घाटी, पेट्रोलिंग पॉइंट 14, 15, 17 और 17 ए के अलावा पैंगोंग त्सो फिंगर 3 इलाके के नजदीक चीनी विमान देखे गए।
भारत को रूस से हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम मिलेगा
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में ‘आकाश’ मिसाइलें भी भेजी हैं जो किसी भी तेज रफ्तार एयरक्राफ्ट या ड्रोन को पलक झपकते ही मार गिराने में सक्षम है। पहाड़ी इलाकों में इस्तेमाल के लिए आकाश मिसालों को अपग्रेड किया गया था। इसके अलावा भारत को जल्द ही रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। यह लंबी दूरी तक हवाई निगरानी करने के साथ ही दुश्मन की मिसाइलों को गिरा सकता है।
India China Air Defence Systems: पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान बॉर्डर के बेहद करीब उड़ान भरते देखे गए हैं। उनके इरादों को भांपते हुए सेना और एयरफोर्स ने एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर दिए हैं।
आसमान की सुरक्षा ‘आकाश’ के जिम्मे
आसमान में ऊंचाई पर उड़ता एयरक्राफ्ट हो या निचले इलाकों में मंडराता ड्रोन, भारत का ऐडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल किसी भी एलियन ऑब्जेक्ट को उड़ाने में सक्षम है। इसी का हिस्सा है Akash मिसाइल। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल 30 किलोमीटर तक के दायरे में बैलिस्टिक मिसाइल्स को इंटरसेप्ट कर सकती है। 720 किलो वजनी आकाश मिसाइल सुपरसोनिक स्पीड से चलती है। इतना काफी न हो तो 18 किलोमीटर ऊंचाई तक मौजूद दुश्मन की मिसाइल को निशाना बनाने में सक्षम है। इसे ट्रैक या व्हील, दोनों सिस्टम से फायर किया जा सकता है।
लेटेस्ट गैजेट्स से लैस है आकाश मिसाइल
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आकाश मिसाइल सिस्टम में ऐडवांस्ड कम्प्यूटर और एक इलेक्ट्रो-मेकेनिकल ऐक्टिवेटर लगा है। यह ‘राजेंद्र’ नाम के रडार से सिग्नल लेकर निशाना साधती है। ‘राजेंद्र’ में कई ऐडवांस्ड फीचर्स हैं जैसे वह अपनी रेंज में 64 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। यह एक साथ चार निशानों की तरफ 8 मिसाइलें छोड़ने में सक्षम है।
प्रद्युम्न से बचकर जा पाना बहुत मुश्किल
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आकाश के बाद, अब बारी पृथ्वी की। पृथ्वी एयर डिफेंस यानी PAD सिस्टम 80 से 120 किलोमीटर तक की रेंज में इनकमिंग मिसाइल्स को संभाल सकता है। पृथ्वी मिसाइल पर ‘प्रद्युम्न’ असल में टूज मिसाइल है। यह सुपरसोनिक मिसाइल आसानी से 300 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल्स को हवा में ही ढेर कर सकती है। यह मिसाइल सिस्टम वातावरण के बाहर से आने वाली मिसाइल्स को भी उड़ा सकता है। इसमें लॉन्ग रेंज का ट्रैकिंग रडार लगा है जो इसे टारगेट लॉक करने में मदद करता है। ट्रैजेक्टरी ऑप्टिमाइजेशन फीचर की बदौलत यह डिफेंस सिस्टम हाई और लो, दोनों तरह के ऑल्टीट्यूड्स में यूज किया जा सकता है।
धरती से बाहर भी चीन ही हरकत का जवाब देने में सक्षम
भारत के पास सिर्फ धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी युद्ध लड़ने की क्षमता है। दुनिया में सिर्फ तीन और देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल है। भारत ने पिछले साल 17 मार्च को ‘मिशन शक्ति’ सफलतापूर्वक पूरा किया था। तब हमने धरती की निचली कक्षा में मौजूद एक सैटेलाइट को ऐंटी सैटेलाइट मिसाइल से उड़ाकर पूरी दुनिया में अपनी स्पेस पावर का लोहा मनवाया था।
‘अश्विन’ और SPYDER से बचकर कहां जाएगा चीन
भारत के पास इजरायल की SPYDER मिसाइल भी है जो 5 से 50 किलोमीटर तक की रेंज में मार कर सकती है। इसके अलावा ‘अश्विन’ नाम की एक स्वदेशी मिसाइल भी है जो करीब 30 किलोमीटर तक के ऑल्टीट्यूट पर मिसाइल्स को इंटरसेप्ट कर लेती है।
जल्द भारत को मिलने वाला है ‘ब्रह्मास्त्र’
भारत को रूस की ओर से जल्दी ही S-400 Triumf एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम मिलने वाला है। यह सिस्टम भारतीय एयरफोर्स की रीच को चार गुना तक बढ़ा देगा। S-400 Triumf दुनिया के सबसे ऐडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम्स में से एक है। इसमें जो रडार लगे हैं वह 1,000 किलोमीटर दूर से ही आ रहे ऑब्जेक्ट को पकड़ सकते हैं। दर्जनों ऑब्जेक्ट्स पर एकसाथ नजर रखने में सक्षम यह डिफेंस सिस्टम फाइटर एयरक्राफ्ट्स पर निशाना लगाने में जल्दी चूकता नहीं। एक S-400 सिस्टम से एक पूरे स्पेक्ट्रम को हवाई खतरे से सुरक्षित किया जा सकता है। चीन के साथ बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच इस सिस्टम को जल्द हासिल करने की कोशिश हो रही है ताकि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सिर्फ एक डिफेंस सिस्टम से ही ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखी जाए।
दो टन वजनी है चीन की HQ-9 मिसाइल
रूस के S-300V जैसी चीन की HQ-9 भी टू-स्टेज मिसाइल है। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल सिस्टम करीब दो टन वजनी और 7 मीटर लंबी है। HQ-9 चीन का मेन एयर डिफेंस सिस्टम है। इसके वारहेड की अधिकतम रेंज 200 किलोमीटर और स्पीड 4.2 मैच है। इस मिसाइल में खामी यह है कि इसका थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल एक साइड से नजर आता है। यह मिसाइल पहले बहुत बड़ी थी, रूस की मदद से अब इसे इतना छोटा बना लिया गया है कि ट्रांसपोर्ट लॉन्चर से छोड़ा जा सके। फिर भी इसकी बैलिस्टिक क्षमता पर एक्सपर्ट्स को शक है।
चीन ने रूस से खरीदा है S-300 मिसाइल सिस्टम
भारत और चीन के म्युचुअल फ्रेंड यानी रूस ने दोनों देशों को हथियार बेचे हैं। रशियन S-300 एयर डिफेंस सिस्टम को चीन ने खरीदा और फिर उसे अपने यहां और डेवलप किया। S-300V का चीनी वर्जन HQ-18 के नाम से जाना जाता है। इन मिसाइल सिस्टम की रेंज 100 किलोमीटर तक है। कुछ मिसाइलें 150 किलोमीटर तक भी मार कर सकती है। इसका रडार एक साथ 200 टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
चीन के पास पहले से है S-400 डिफेंस सिस्टम
दुनिया के सबसे ऐडवांस्ड मिसाइल सिस्टम्स में से एक, S-400 Triumf की एक खेप चीन के पास पहले से मौजूद है। इस साल फरवरी में रूस ने दूसरी खेप चीन को भेजी थी। 2014 में चीन ने दो S-400 सेट मांगे थे। पहले सेट की डिलीवरी 2018 में पूरी हुई। यानी तुलनात्मक रूप से देखें तो दोनों देशों के पास मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम है। हालांकि लॉन्च रेंज में भारत अभी थोड़ा कमजोर नजर आता है मगर S-400 आ जाने से उसकी स्थिति और मजबूत हो जाएगी।