कोविड-19 पर मीडिया ज्यादातर कवरेज बुरी चीजों पर केंद्रित नजर आता है। बीमारी से जुड़े आरोप लगाना बहुत आसान है और इससे अच्छी सुर्खियां बनाई जा सकती हैं। लेकिन क्या ये सही है? बहुत से ऐसी बातें हैं, जिन पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए था। जैसे कोविड-19 के परीक्षण के बारे में बहुत कम बताया गया है। परीक्षण एक जटिल मुद्दा है, इस पर लोगों की शंकाओं को दूर किया जाना चाहिए। नकारात्मकता की बजाय सकारात्मक सुधारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लोग किस तरह इस बीमारी का सामना करें, दूसरी लहर से कैसे बचा जाए जैसे मुद्दों की विशेष चर्चा होनी चाहिए। लेकिन शंका और चिंताओं के बीच जानिए ये पांच बातें जो उम्मीद हैं।
1. कोविड-19 कई देशों में नियंत्रण में है: महामारी के शुरुआत में संक्रमण की दर प्रति व्यक्ति तीन थी, जो अब एक के करीब रह गई है। इस गिरावट का अर्थ है कि बीमारी नियंत्रण में है। हालंकि अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, इसलिए इसे उपलब्धि नहीं समझना चाहिए। यदि ब्रिटेन या अन्य जगहों पर ऐसा नहीं हुआ तो पीपीई, वेंटिलेटर और अस्पतालों की अव्यवस्थाएं थीं। फिर भी अस्पताल बेहतर कर रहे हैं।
2. जीवन जीने के नए तरीके : यह कोई बहुत सकारात्मक नहीं है, लेकिन ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के समाज के भीतर गहरे विभाजन को देखते हुए यह एकता दर्शाने वाला वक्त है, जब मदद के लिए लोग दायरों से बाहर निकल आए। कुुछ दिन पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। किसी भी वैज्ञानिक ने इसकी भविष्यवाणी नहीं की होगी कि यह वायरस पूरी दुनिया को एक साथ खींच लेगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग कठिन जरूर है, लेकिन इसने काम किया।
3. बीमारी से लडऩा सीख लिया: एक ऐसा वायरस, जिसे हम पंाच महीने पहले नहीं जानते थे, उसने हमें अब तक के सारे डेटा और तरीकों को याद दिला दिया। आज हम उस जगह हैं, जहां से कोविड-19 के इलाज, जांच और टीकों की उम्मीद की जा सकती है। आगे की चुनौतियों के बारे में भी हम जानते हैं। मसलन हम बीमारी के अगले दौर के बारे में सोच सकते हैं। हालांकि टीका भले ही नहीं बना, लेकिन व्यवहार से हमने वायरस को जीतना सीख लिया।
4. हमने सीखा, कैसे पूरी दुनिया एक साथ खड़ी हो गई : कोविड-19 की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि पूरी दुनिया जैसे एक हो गई। इससे यह साबित हुआ कि हमने एक बड़ी आपदा को टाल दिया और धरती पर बड़े संकट से निपटने के लिए संगठनात्मक क्षमता भी है।
5. अपनी खामियों और क्षमताओं के बारे में जान गए : प्रत्येक देश ने इस आपदा से लड़ते हुए काफी कुछ सीखा है। सोशल डिस्टेंसिग के चलते अर्थव्यवस्था कठिन दौर हमें आ गई है। हालांकि इससे आर्थिक प्रबंधन, नीति और धैर्य की सीख भी मिलती है। बड़ी चुनौतियों के बीच लागत और लाभ के बीच अंतर को समझने में मदद मिली।