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यूजर का डेटा लंबे समय तक स्टोर नहीं करेगा गूगल, 18 महीने बाद सर्च हिस्ट्री तो 36 महीने बाद यूट्यूब हिस्ट्री खुद डिलीट हो जाएगी

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न्यूयॉर्क. गूगल अपने यूजर्स का कलेक्ट किया गया डेटा ऑटोमैटिक डिलीट करने के लिए सेटिंग्स में बदलाव कर रहा है। यूजर्स ने किस पेज पर विजिट किया, कौन सी वेबसाइट सर्च की और क्या ऐप एक्टिविटी की और उसका लोकेशन डेटा आदि अपने आप ही 18 महीने के बाद गूगल सर्वर से डिलीट हो जाएगा, जबकि यूट्यूब हिस्ट्री जैसे कि कौन सी क्लिप देखी गई और कितनी देर तक देखी गई आदि जानकारियां 36 महीने बाद डिलीट हो जाएंगी।

फिलहाल यह बदलाव केवल नए अकाउंट पर ही लागू होता है, लेकिन मौजूदा यूजर्स को अपनी सेटिंग्स में बदलाव करने की सुविधा दी जा सकती है। गूगल ने यह घोषणा तब कि जब अन्य टेक्नोलॉजी कंपनियां डेटा कलेक्ट करने और उससे बिजनेस करने के मामले में कई तरह की जांचों का सामना कर रही हैं।

सर्चिंग निगरानी को लेकर विवादों में है गूगल

  • वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट को इस हफ्ते के आखिर में गूगल के एंटी-कॉम्पिटीटिव बिहेवियर के लिए उसे सजा देने के लिए चर्चा करनी है, गूगल पर आरोप है कि इसने ऑनलाइन सर्च में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया है।
  • मंगलवार को एक जर्मन अदालत ने फेसबुक पर लोकल यूजर्स का डेटा कलेक्शन करने पर रोक लगाई है। चिंता जताई जा रही है कि कंपनी सोशल नेटवर्किंग के बीच अपनी अच्छी पोजीशन का दुरुपयोग कर रही है।

2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत

  • गूगल ने मई 2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत की ताकि यूजर्स को कंपनी द्वारा उनके बारे में इकट्ठा किए गए लॉग के नियमित काट-छांट के लिए मजबूर किया जा सके, लेकिन उस समय यह एक ऑप्ट-इन ऑप्शन बनाया गया। मतलब कि डेटा स्टोर करने के लिए यूजर की सहमति जरूरी होती है। अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी इकट्ठा किए गए इस डेटा को यूजर्स के लिए विज्ञापन दिखाने और अन्य चीजों के लिए इस्तेमाल करती हैं।

यूट्यूब रिकॉर्ड को लंबे समय तक रखेगा

  • गूगल के प्रोडक्ट मैनेजर डेविड मोनसे ने कहा- हम जानते हैं कि जानकारी हमारे प्रोडक्ट को बेहतर बनाने में मदद करती है, लेकिन डेटा कम से कम समय तक रखना हमारी नीतियों में है और गूगल अब अनिश्चित काल तक डेटा नहीं रखेगा।
  • गूगल ने कहा कि वह इंटरनेट एक्टिविटी की तुलना में यूट्यूब रिकॉर्ड को अधिक समय तक रखना चाहता है, क्योंकि इससे यूजर्स के हिसाब से सिफारिशें देने और अन्य कामों में मदद मिलेगी, जिसके लिए एक लंबी सर्च हिस्ट्री जरूरी है।
  • उन्होंने आगे बताया कि डेटा के ऑटोमैटिक डिलीट होने की सुविधा से फोटो, जीमेल और इसकी ड्राइव में स्टोर डेटा डिलीट नहीं होगा, क्योंकि यह विज्ञापन और अन्य कामों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता।

लॉन्ग टाइम यूजर्स को भी बताए जाएंगे टिप्स

  • लॉन्ग टाइम यूजर्स अन्य तरीकों से प्रभावित होंगे, हालांकि उन्हें नए गाइडेड टिप्स भी दिखाए जाएंगे। उदाहरण के लिए, अगर कोई यह जानने के लिए गूगल सर्च का उपयोग करते हैं कि क्या उनका अकाउंट सुरक्षित है, तो एक बॉक्स उनकी सेटिंग्स दिखाएगा और उन्हें इसे एडजस्ट करने का तरीका भी बताएगा।
  • उदाहरण के तौर पर, यदि कोई यूजर अपने हैंडसेट की लोकेशन को किसी मित्र के साथ साझा करता है, तो उन्हें बाद में याद दिलाया जाएगा कि परमिशन अभी भी एक्टिव है और पूछा गया कि क्या वे इसे बंद करना चाहते हैं।

इनकॉग्निटो मोड को आसान बनाया

  • गूगल ने कहा कि उसने अपने ऐप्स में इनकॉग्निटो मोड (यह सेटिंग जो डेटा कलेक्ट नहीं करती) को आसान बना दिया है। यह मोड यूजर्स को अपनी जानकारी छिपाकर सर्चिंग करने की सुविधा देता है।

कई लोग गूगल के पास रखी जानकारी से असहज हैं

  • ओपन राइट्स ग्रुप के कार्यकारी निदेशक जिम किलॉक ने कहा, बहुत से लोग गूगल में स्टोर अपनी जानकारी से असहज हैं। इसका मतलब है कि लोग कई चीजों को अनदेखा कर सकें। गूगल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी ने इस बारे में एक स्पष्ट संकेत दिया है कि क्या वे चाहते हैं कि उनकी हिस्ट्री कलेक्ट हो बजाय इसके कि उनकी जानकारियां मिटा दी जाए जिसे वे आधे पढ़ चुके हैं।

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