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चीन के सामान का बहिष्कार करने के लिए नया प्लान तैयार! ई-कॉमर्स कंपनियों को बताना होगा कहां बना है प्रोडक्ट

सामान का बहिष्कार सिर्फ ऑफलाइन बाज़ारों में ही नहीं ऑनलाइन भी किया जाएगा इसके लिए सरकार एक नया प्लान बना रही है. भारत सरकार ई कॉमर्स कंपनियों (E-Commerce Companies) के लिए एक नया नियम बनाने पर विचार कर रही है जिसमें उन्हें अपने प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले किसी प्रोडक्ट पर यह लिखना होगा कि यह देश में बना है या नहीं.

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नई दिल्ली. भारत और चीन (India-China Tension) में बीच चल रही बॉर्डर टेंशन से भारतीयों का गुस्सा बढ़ गया है. उन्होंने अब चीनी सामान का पूरी तरह से बहिष्कार करने की ठान ली है. सामान का बहिष्कार सिर्फ ऑफलाइन बाज़ारों में ही नहीं ऑनलाइन भी किया जाएगा. इसके लिए सरकार एक नया प्लान बना रही है. भारत सरकार ई कॉमर्स कंपनियों (E-Commerce Companies) के लिए एक नया नियम बनाने पर विचार कर रही है जिसमें उन्हें अपने प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले किसी प्रोडक्ट पर यह लिखना होगा कि यह देश में बना है या नहीं.

भारत सरकार वास्तव में चीन से बढ़ते आयात को कम करने के लिए यह कदम उठा रही है. भारत की ई-कॉमर्स पॉलिसी में यह प्रावधान जोड़ा जा सकता है. यह पॉलिसी अभी भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से तैयार की जा रही है. इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने ET को बताया कि हम ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह जरूरी बना रहे हैं कि वह हर प्रोडक्ट पर यह लिखे कि यह भारत में बना है या नहीं. हम वास्तव में इस प्रावधान को कड़े तरीके से लागू करना चाह रहे हैं. इससे देश में सस्ते चीनी आयात को रोकने में मदद मिलेगी.

चीन का ट्रेड सरप्लस इस समय 47 अरब डॉलर के करीब है. 31 मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष के पहले 11 महीने में हमने चीन से आयात अधिक किया है जबकि उसे निर्यात कम किया गया है. अधिकारी ने यह भी बताया कि यह कदम वास्तव में मेड इन इंडिया को बढ़ावा देने के हिसाब से महत्वपूर्ण कदम होगा. यहां ग्राहक यह फैसला कर सकेंगे कि वह भारत में बना सामान खरीदना चाहते हैं या नहीं.

भारत सरकार की इस नीति को जल्द ही पब्लिक डोमेन में प्रतिक्रिया के लिए रखा जाएगा. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग आम जनता और कंपनियों की टिप्पणी व सुझाव के लिये शीघ्र ही ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को सार्वजनिक करने जा रहा है.इसके साथ ही उभरते उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए इस बात पर विचार किया जा रहा है कि स्टार्टअप उपक्रमों को प्रत्यक्ष व परोक्ष कर व्यवस्था के तहत किस तरह की और छूट दी जा सकती हैं.

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