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90% बच्चों को स्कूल में पढ़ना अच्छा लगता है, ऑनलाइन क्लास से उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो रहीं

सीबीएसई स्कूलों के 6 हजार बच्चों और 350 शिक्षकों के सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों को तनावमुक्त रखने के सुझाव देने के लिए बने समूह ने यह सर्वे किया

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लाकडाउन में स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, लेकिन अभी यह कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई है। देशभर में सीबीएसई के पहली से बारहवीं तक के 6 हजार छात्रों और 350 शिक्षकों के बीच किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 90.6% बच्चों को स्कूल में पढ़ना अच्छा लगता है। अभी 78.3% बच्चे खुद के या परिवार के सदस्य के फोन से वाॅट्सऐप का प्रयोग करके पढ़ाई कर रहे हैं। 8.7% गूगल क्लास रूम और बाकी दूसरे माध्यमों से पढ़ाई कर रहे हैं। 37.5% बच्चों को ही स्कूल का काम घर पर करना पसंद है।

 

ये सर्वे रिपोर्ट राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों की समस्याओं के समाधान और उन्हें तनावमुक्त रखने और सुझाव देने के लिए बने सलाहकार समूह ने किया है। देशभर से अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ इसमें शामिल हैं। उनका मानना है कि घर में ऑनलाइन पढ़ाई करना आसान नहीं है। ऑनलाइन टीचिंग से छात्रों की शैक्षिक जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। एक बड़ा तबका ऑनलाइन टीचिंग सिस्टम से अभी भी दूर है।

कुछ सराहनीय प्रयास, लेकिन अभी नाकाफी
सलाहकारों ने सवाल किया है कि क्या यह संभव है कि सरकार प्राइवेट टीवी चैनलों को सब्सिडी दे, ताकि वे फ्री टू एयर समय दे सकें। उनका कहना है कि टीवी पर छात्रों को बॉलीवुड के कलाकारों, संगीतकारों, साहित्यकारों, खिलाड़ियों, वैज्ञानिकों और लेखकों से सीधा संवाद करने दें, ताकि हर छात्र बिना तनाव के सीख सके। जहां बिजली और इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां दिक्कतें और हैं। ऑनलाइन या रेडियो-टीवी पर प्रसारण से शिक्षा एकतरफा संवाद जैसा है।

बच्चे नैतिक शिक्षा, ज्ञान और मनोरंजन से दूर हुए

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों को दोस्तों की याद सता रही है। स्कूल में नैतिक शिक्षा, ज्ञान और मनोरंजन मिलता है, जो अब नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सीबीएसई, एनसीईआरटी और अन्य शिक्षण संस्थाएं इसके लिए बेहतर कोशिशें करने में जुटी हैं।

हेल्पलाइन और सलाहकार लगाए
वरिष्ठ लोकसंपर्क अधिकारी रमा शर्मा की अगुआई में सीबीएसई ने टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800118002 और 1800118004 शुरू किया है। चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड्स के लिए विशेष सेवा शुरू की है। छात्र, उनके माता-पिता और शिक्षक इन नंबरों पर फोन करके अपनी समस्या पर सलाह ले सकते हैं।

ऑनलाइन शिक्षा के कुछ उलट नतीजे
छात्र कुछ नया नहीं कर पा रहे, स्कूल का काम अधिक है। इससे वे बोर होने लगे हैं। खेल नहीं पा रहे। छात्रों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, डर, अकेलापन, भूख अधिक लगना या बिल्कुल न लगना, ज्यादा सोने या नींद न आने जैसी समस्याएं दिखने लगी हैं।

ऑनलाइन शिक्षा पर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

  • बच्चों को सही दिशा दें: ई स्कूल के एम.डी रुपिंदर सिंह सरसुआ का कहना है कि छात्रों से माता-पिता सही तरीके से सही विषय पर बात करें, ताकि बच्चों में पनप रहे विचारों को सही दिशा दी जा सके। कोरोना से डर की बजाय सतर्क रहना बेहतर है।
  • आयुर्वेद को अपनाएं
  •  विजय पाल अस्पताल की एमडी डॉक्टर विजय सतपाल भटेजा का कहना है कि घरेलू नुस्खों को सही ढंग से अपनाकर छात्र मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य बेहतर कर सकते हैं। योग और संगीत से शरीर की कई परेशानियों को दूर किया जा सकता है।♠
  • छात्रों के खानपान पर ध्यान दें: संतुलित और सही समय पर भोजन करने से मानसिक तनाव को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे शरीर और बुद्धि का विकास हो सकता है।
  • छात्र जीवन कौशल भी सीखें:   शिक्षा शास्त्री प्रोफेसर एनके गोसाईं का कहना है कि छात्रों को जिंदगी जीने का सही तरीका सीखना चाहिए। अपने करियर को बिना किसी दबाव के अपनी इंटरेस्ट, एटीट्यूड, एपटीट्यूड और पर्सनालिटी के अनुसार चुनना चाहिए। इंटरनेट और ऑनलाइन कोचिंग के अलावा रेडियो, टीवी अौर अखबार भी मददगार हो सकत हैं।
  • माता-पिता के लिए भी कठिन समय  मैडीलाईफ अस्पताल की एम.डी डाक्टर मुकेश अर्जुन शारदा के अनुसार न सिर्फ छात्र, बल्कि माता-पिता कठिन दौर से गुजर रहे हैं। अनिश्चितता और अनचाहा डर कहीं न कहीं सबको सता रहा है। आगे बढ़ना होगा और सहयोग देना होगा। पर्यावरण प्रेमी बनें, प्रकृति के करीब रहें, जीव जंतुओं के प्रति दया और उदार भाव रखें। 

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