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यूएन ने कहा- अफगानिस्तान में पाकिस्तान के 6500 आतंकी, भारत बोला- साबित हो गया कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र

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न्यूयॉर्क. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के 6500 आंतकवादी मौजूद हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के भी आतंकी हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में इन आतंकियों की मौजूदगी चिंता की बात है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट से हमारी बात साबित होती है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र है।

यूएनएससी की रिपोर्ट पर भारत ने क्या कहा?

  • भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूएनएससी की रिपोर्ट से यह साबित होता है कि पाकिस्तान अभी भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का एपिसेंटर है। यहां पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन और लोग सरकार द्वारा दिए जा रहे समर्थन का फायदा उठा रहे।
  • आतंकियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगाह है और यहां आतंकी संगठन उन्हें भर्ती करने के साथ ही ट्रेनिंग दे रहे। उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है और उन्हें सरकार का समर्थन हासिल है। वे बिना किसी डर के अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। साथ ही उससे कहना चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ लगातार, प्रामाणिक और ठोस कदम उठाए। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की हर कोशिश में भारत अपना योगदान जारी रखेगा।
  • भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के प्रस्ताव के मुताबिक वह यह कदम उठाने में विफल रहा है कि उसकी जमीन से आतंकवाद को समर्थन ना किया जाए।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर के 800 और जैश के 200 लड़ाके हैं, जो नंगरहार प्रांत के मोहमंद दर्रा, दुर बाबा और शेरजाद जिलों में तालिबान के साथ मौजूद हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) भी मोहमंद दर्रा के सीमावर्ती क्षेत्र के पास लाल पुरा जिले में उपस्थिति बनाए रखता है।
  • कुनार प्रांत में लश्कर के 220 और जैश के 30 आतंकी हैं, जो तालिबान के साथ मिलकर हमले करते हैं। यूएनएससी की निगरानी टीम ने कहा कि टीटीपी, जैश और लश्कर कुनार, नंगरहार और नूरिस्तान में मौजूद हैं। वहां वे अफगान तालिबान के नीचे काम करते हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के कई बड़े आतंकी भले ही मारे जा चुके हो, लेकिन वरिष्ठ नेतृत्व अभी भी अफगानिस्तान में ही मौजूद है। साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा और विदेशी आतंकियों के समूहों ने तालिबान के साथ गठजोड़ कर लिया है।

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