बठिंडा. राजस्थान से सटे मालवा में टिड्डी दल का संभावित हमला फिलहाल टल गया है। दो दिन पहले जितने हालात क्रिटिकल थे, शुक्रवार को उसमें कुछ राहत मिली है, मगर फिर भी राजस्थान की सीमा व उसके नजदीकी एरिया के 8 जिलों को कृषि विभाग ने अलर्ट पर रखा है।
एग्रीकल्चर विभाग के इनपुट के अनुसार दो दिन पहले तक पंजाब के हालात बेहद क्रिटिकल थे, लेकिन शुक्रवार को हवा का रुख बदलने से बार्डर के 8 जिलों में फिलहाल खतरा एक बार टल गया है जो पंजाब के लिए अच्छी खबर है।
हनुमानगढ़ में पहुंच चुका टिड्डी दल प्रभावशाली तरीके से पंजाब में 48 घंटे पहले दाखिल होने की जो संभावना थी, उसे शुक्रवार शाम को तेज हवाओं ने राजस्थान की तरफ मौड़ दिया। इससे यह दल हनुमानगढ़ जिला में रावलसर के गांव देईदास व गांव भगवान में देर शाम तक पहुंच गया।
बठिंडा के चीफ एग्रीकल्चर अधिकारी डॉ. बहादुर सिंह ने बताया कि, शुक्रवार शाम को टिड्डी दल का रुख राजस्थान की ओर मुड़ने से पंजाब को राहत मिली है। इस समय टिड्डी दल का आकार काफी कम हुआ है, लेकिन हम पूरी तरह तैयारी रखकर ही चल रहे हैं। वहीं, डायरेक्टर एग्रीकल्चर डॉ. सुतंतर एरी के अनुसार इससे पहले 1971 में टिड्डी दल का हमला हुआ था। लेकिन इस बार आया यह टिड्डी दल बेहद बड़ा था, जो आज से पहले पंजाब में उनकी जानकारी के अनुसार पहले कभी नहीं देखा गया है।
किसान खेत में रोज जाएं, बर्तन खड़काएं और म्यूजिक बजाएं
खेतीबाड़ी विभाग ने टिड्डी दल के खतरे से जागरूक करने के लिए जिला कंट्रोल रूम के अलावा सर्विलांस टीमों का गठन किया है। किसानों को अपने खेत में बनी डिग्गियां पानी से भरने के अलावा ट्रैक्टर से चलने वाले स्प्रे ड्रम भरने समेत फायर बिग्रेड विभाग को अलर्ट किया गया है। किसानों को बर्तन खड़काने, गांव के संयुक्त स्थानों पर डरावनी व ऊंची आवाज के ध्वनि यंत्र बजाने की भी सलाह दी है।