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रेल मुलाजिमों के लिए हर संघर्ष करने को वचनबद्ध है यूआरएमयू और एनएफआईआर: संजीव चौहान

पुरानी पेंशन बहाली के लिए यूआरएमयू और एनएफआईआर ने बीसी शर्मा के नेतृत्व में कसी कमर , यूआरएमयू के शाखा सचिव संजीव चौहान और प्रधान मंगल सैन बोले, रेल मुलाजिमों के हको के लिए लड़ते जान गंवाने से नहीं करेंगे गुरेज

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बठिंडा, 25 अप्रैल (श्रीवास्तव)पुरानी पेंशन बहाली के लिए उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) और एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन) ने आंदोलन की तैयारी कर ली है। इस संबंध में रणनीति बनाई जा रही है। एनएफआईआर के महामंत्री बीसी शर्मा के नेतृत्व में अंबाला मंडल के सचिव मनमीत सिंह विभिन्न स्टेशनों पर रेल मुलाजिमों से विचार चर्चा कर रहे हैं। उक्त जानकारी आज बठिंडा में उत्तरीय रेलवे मज़दूर यूनियन (यूआरएमयू) के शाखा सचिव संजीव चौहान और प्रधान मंगल सैन ने दी। दोनों नेताओं ने कहा कि
संगठन ने रणनीति तैयार की है कि हर रेलवे स्टेशन पर गेट मीटिंग का आयोजन कर रेल कर्मचारियों को आंदोलन से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि रेल मुलाजिमों के हको के लिए लड़ते जान गंवाने से वह गुरेज नहीं करेंगे। चौहान ने कहा कि
जब तक नई पेंशन स्कीम को बंद कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू नहीं की जाती तब तक आंदोलन शांत नहीं होगा। एनएफआईआर और यूआरएमयू के सभी सदस्यों ने कमर कस ली है।

चौहान और सैन ने कहा कि सरकार रेलवे का निजीकरण कर रही है। सरकार रेलवे की मुद्रीकरण नीति का सहारा लेकर कुछ व्यक्तिगत एकाधिकारवादियों को लाभ पहुंचना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को ध्यान देने चाहिए कि कई देशों ने निजीकरण प्रयास विनाशकारी रहे हैं। निजी कंपनियों द्वारा जो भी नीति लागू करेगी उसका असर आम जनता पर भारी पड़ेगा। कार्यकर्ताओं ने महंगाई भत्ते की तीनों किश्तों के एरियर का शीघ्र भुगतान करने निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा बंद करने, वर्कशाप प्रोडक्शन यूनिट एवं प्रिटिग प्रेस को नहीं बेचने, जनता को बेहतर सुविधा देने के लिए खाली पदों पर शीघ्र नियुक्ति किए जाने, ट्रैकमैन को पदोन्नति ओपन टू आल किए जाने, एनपीएस हटाकर पुरानी पेंशन बहाल किए जाने, रेलकर्मियों के आश्रित माता-पिता को मेडिकल व पास सुविधा दिए जाने सहित विभिन्न मांगों को उठाया। रेलवे यूनियन नेताओं ने कहा कि रेल मुलाजिमों के लिए वह हर संघर्ष करने को वचनबद्ध है। इस दौरान ओमप्रकाश, हेमराज, अमित ओबराय, संजीव कुमार, राज कुमार, काला राम, हरजिंदर सिंह आदि ने अपने विचार प्रकट किए।

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