पंजाब कैबिनेट के नए मंत्रियों की लिस्ट फाइनल:कैप्टन के 5 करीबियों की छुट्टी और 8 की वापसी, 7 नए चेहरों को भी जगह; कल शाम 4.30 बजे शपथग्रहण
पंजाब कैबिनेट के नए मंत्रियों की लिस्ट फाइनल हो गई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी 5 मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है। इसके अलावा 8 मंत्री वापसी कर गए हैं। वहीं, नई कैबिनेट में 7 नए मंत्री शामिल किए जाएंगे। मंत्रियों की लिस्ट फाइनल करने के बाद राहुल गांधी वापस शिमला पहुंच गए हैं। वे बैठक करने वहीं से दिल्ली आए थे। मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी भी पंजाब लौटे। जिसके बाद उन्होंने गवर्नर बीएल पुरोहित से मुलाकात की। बाहर आकर मुख्यमंत्री ने कहा कि कल यानी रविवार शाम काे 4.30 बजे सभी मंत्रियों का शपथग्रहण होगा। इससे पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और डिप्टी CM के तौर पर सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी शपथ ले चुके हैं।
इन 5 मंत्रियों की छुट्टी
कैप्टन की कैबिनेट से साधु सिंह धर्मसोत, बलवीर सिद्धू, राणा गुरमीत सोढ़ी, गुरप्रीत कांगड़ और सुंदर शाम अरोड़ा को नई कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। इनमें साधु सिंह धर्मसोत पर पोस्टमैट्रिक घोटाले के आरोप लगे थे। राणा सोढ़ी ने सिद्धू खेमे की बगावत के बाद कैप्टन के शक्ति प्रदर्शन के लिए डिनर करवाया था। कांगड़ पर हाल ही में दामाद को सरकारी नौकरी दिलवाने के बाद हमले हो रहे थे। उनके लिए सुनील जाखड़ ने भी लॉबिंग की थी, लेकिन काम नहीं आई। सुंदर शाम अरोड़ा भी कैप्टन के करीबी हैं और उन पर भी कुछ वक्त पहले जमीन से जुड़े कुछ आरोप लगे थे।
इन मंत्रियों की वापसी
पंजाब मंत्रिमंडल में मनप्रीत बादल, विजयेंद्र सिंगला, रजिया सुल्ताना, ब्रह्म मोहिंदरा, अरुणा चौधरी, भारत भूषण आशु, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया की वापसी हो रही है। मनप्रीत बादल ने चन्नी के नाम पर कांग्रेस हाईकमान को राजी करने में अहम भूमिका निभाई थी। विजयेंद्र सिंगला के शिक्षा मंत्री रहने के समय ही पंजाब स्कूलों में नंबर वन आया था।
रजिया सुल्ताना सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार मुहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं। अरुणा चौधरी को भी हटाने की तैयारी थी लेकिन CM चन्नी के साथ रिश्तेदारी की वजह से उनकी वापसी हो गई। भारत भूषण आशु कैप्टन के ज्यादा करीब नहीं थे बल्कि राहुल गांधी के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले ग्रुप में शामिल थे।
नए मंत्रियों में यह शामिल
मंत्री पद पाने वालों में राजकुमार वेरका, परगट सिंह, संगत गिलजियां, गुरकीरत कोटली, कुलजीत नागरा, राणा गुरजीत और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग शामिल हैं। राजकुमार वेरका कैप्टन के करीबी रहे लेकिन मंत्री नहीं बनाए गए। अमृतसर से विधायक वेरका अनुसूचित जाति के बड़े नेता हैं। परगट सिंह सिद्धू के करीबी हैं। वे कैप्टन पर लगातार हमला बोलते रहे। उनका खेल मंत्री बनना तय है। संगत सिंह गिलजियां लगातार कहते रहे कि अनुसूचित जाति का CM बनाने के बाद OBC को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए। वह फिलहाल वर्किंग प्रधान भी हैं।
गुरकीरत कोटली लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू के चचेरे भाई हैं और पूर्व CM बेअंत सिंह के परिवार से हैं। कुलजीत नागरा वर्किंग प्रधान हैं। अमरिंदर राजा वड़िंग भी कैप्टन के खिलाफ बगावत के बाद खामोश रहे। पहले भी वो सिद्धू के पंजाब प्रधान बनने के बाद लगातार उनके साथ चले। राणा गुरजीत पहले कैप्टन की कैबिनेट में थे, लेकिन बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया।
3 बार बैठक, फिर भी फैसले पर पेंच फंसा रहा
पंजाब कैबिनेट के विस्तार को लेकर कांग्रेस हाईकमान कंफ्यूज है। 3 बार बैठक के बाद भी मंत्रियों की लिस्ट फाइनल नहीं हो सकी। राहुल गांधी के घर शुक्रवार रात फिर 2 बजे तक 4 घंटे मंथन चला। इसमें सबसे बड़ा खतरा अब कैप्टन अमरिंदर सिंह बने हुए हैं। हाईकमान इस बात की आशंका है कि अगर पुराने मंत्रियों को हटाया तो वे कैप्टन के साथ मिल सकते हैं।
अब फूट पड़ी तो कैप्टन का ग्रुप मजबूत हो जाएगा। नई सरकार के खिलाफ भी बगावत शुरू हो जाएगी। चुनाव में करीब 3 महीने बचे हैं। बगावत हुई तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। बैठक में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी, हरीश रावत, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे।
मनप्रीत के लिए चुनौती बनेंगे वड़िंग
नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार रात को विधायक वड़िंग से मुलाकात की थी। यह भी चर्चा है कि अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को मंत्री बनाने से मनप्रीत बादल खुश नहीं हैं। वड़िंग गिद्दड़बाहा से विधायक हैं। यह मनप्रीत बादल का भी गढ़ है। पिछली बार उन्हें बठिंडा से आना पड़ा। वड़िंग के मंत्री बनने के बाद गिद्दड़बाहा में मनप्रीत की वापसी मुश्किल हो जाएगी। बठिंडा में उनके लिए बादल परिवार बड़ी चुनौती है। मनप्रीत ने चन्नी को CM बनाने के मामले में हाईकमान को राजी करने में अहम भूमिका निभाई थी।