Newsportal

कांग्रेस हाईकमान ने CM कैप्टन से इस्तीफा मांगा:विधायक दल की बैठक में नया नेता चुनने का आदेश; कुर्सी से हटाए जाने पर अमरिंदर की पार्टी छोड़ने की चेतावनी

0 378

पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान अब इस हद तक बढ़ गया है कि अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की CM की कुर्सी जाती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन से इस्तीफा मांग लिया है। इसके अलावा शाम को होने वाली विधायक दल की बैठक में नया नेता चुनने का आदेश दिया है। इसका पता चलते ही अब कैप्टन ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ व सांसद मनीष तिवारी से बात की। सूत्रों की मानें तो कैप्टन ने आज ही पूरी कलह खत्म करने को कहा है। कैप्टन ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उन्हें CM पद से हटाया गया तो वो पार्टी भी छोड़ देंगे। उन्होंने यह संदेश पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने के लिए कहा है। इससे पहले सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार मुहम्मद मुस्तफा ने साढ़े 4 साल बाद कांग्रेसी CM चुनने के मौके का बड़ा बयान दिया है।

अब बड़ा सवाल यह हो गया है कि सम्मानजनक विदाई के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह इस्तीफा देंगे या फिर विधायक दल की बैठक में ही अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। कैप्टन ने करीब 2 बजे अपने खेमे की बैठक बुलाई है और विधायकों को वहां आने को कहा है। हालांकि उनके खेमे के विधायक उनसे किनारा करने लगे हैं। कैप्टन के करीबी राजकुमार वेरका ने कहा कि वो शाम को CLP की बैठक में ही जाएंगे।

इससे पहले कैप्टन से नाखुश 40 विधायकों की चिट्ठी के बाद कांग्रेस हाईकमान ने बड़ा फैसला लिया। हाईकमान ने आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक बुला ली। पहले पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। जिसके बाद रावत ने शुक्रवार आधी रात को सोशल मीडिया पर विधायक दल की मीटिंग के बारे में जानकारी दी है। इस मीटिंग में केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर अजय माकन और हरीश चौधरी भी मौजूद रहेंगे और पूरी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेजेंगे।

इसी बीच प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व DGP मुहम्मद मुस्तफा ने ट्वीट के जरिए कहा कि पंजाब के विधायकों के पास साढ़े 4 साल बाद कांग्रेसी CM चुनने का मौका है। साफ तौर पर उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेसी होने को ही नकार दिया। मुस्तफा बोले कि 2017 में पंजाब ने कांग्रेस को 80 MLA दिए। इसके बावजूद कांग्रेसियों को आज तक कांग्रेसी CM नहीं मिला। मुस्तफा ने यहां तक कहा कि करीब साढ़े 4 साल में कैप्टन ने पंजाब और पंजाबियत के दर्द को दिल से नहीं समझा। मुस्तफा ने कहा कि 80 में से 79 (कैप्टन को छोड़कर) विधायकों के पास सम्मान पाने व जश्न मनाने का मौका है।

पंजाब कांग्रेस की तरफ से प्रधान नवजोत सिद्धू ने भी विधायक दल की बैठक को लेकर ट्वीट किया है। वहीं, उनके करीबी संगठन महासचिव विधायक परगट सिंह ने कहा कि पार्टी की अंदरुनी नीतियों पर चर्चा को लेकर यह बैठक बुलाई गई है। हर किसी का अपना नजरिया है और उसे विधायक दल की बैठक में सुना जाना चाहिए। इसमें क्या परेशानी है।

कैप्टन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी

बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक हाईकमान के 18 सूत्रीय फॉर्मूले को लेकर है, लेकिन बागियों के रुख को देखकर साफ है कि इसके जरिए कैप्टन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है। बागी ग्रुप की तरफ से हरीश रावत पर भी सवाल उठाए जा रहे थे, ऐसे में आज की बैठक के लिए दो केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे जा रहे हैं, ताकि बाद में किसी को सवाल उठाने का मौका न मिले।

कैप्टन ने बुलाए अपने करीबी विधायक

कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाए जाने का पता चलते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपने करीबी विधायकों को सिसवां फार्म हाउस पर बैठक के लिए बुला लिया है। माना जा रहा है कि कैप्टन ये स्ट्रैटजी बनाने में जुटे हैं कि अगर बागी ग्रुप अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो उससे कैसे निपटा जाए।

अगले साल चुनाव हैं, इसलिए विवाद खत्म करने की कोशिश होगी

नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के बाद से ही कांग्रेस में खींचतान बढ़ गई थी। खासतौर से कैप्टन के विरोधी गुट ने दूसरी बार मोर्चा खोल दिया है, जबकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि जल्द से जल्द इस मामले को सुलझा लिया जाए। हालांकि कैप्टन के खिलाफ बगावत का हर दांव अभी तक फेल रहा है। ऐसे में अब सिद्धू खेमा पूरा जोर लगाएगा कि आज की बैठक में ही कैप्टन को कुर्सी से हटाने का फैसला हो जाए।

बड़ा सवाल- कैप्टन हटे तो किसे मिलेगी कमान?

  • बागी ग्रुप अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भारी पड़ा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी तो पंजाब कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल ये भी होगा कि कमान किसे सौंपी जाए। हालांकि बागी ग्रुप की अगुवाई कर रहे सुखजिंदर रंधावा भी CM बनने की इच्छा रखते हैं, लेकिन ऐसा करने पर कैप्टन ग्रुप के विधायक नाराज हो जाएंगे
  • इसके अलावा सोशल मीडिया पर नवजोत सिद्धू को CM बनाने की मांग हो रही है, हालांकि वो पहले ही संगठन के प्रधान हैं। फिर उनको लेकर कैप्टन ग्रुप की नाराजगी भी रहेगी।
  • पंजाब में अभी मुख्यमंत्री और पार्टी प्रधान (सिद्धू) दोनों ही सिख चेहरे हैं। इससे हिंदू और सिखों के तालमेल का सियासी गणित गड़बड़ाया हुआ है। ऐसे में चर्चा है कि क्या किसी हिंदू चेहरे को 5 महीने के लिए CM की कुर्सी दी जा सकती है? ऐसी स्थिति में सुनील जाखड़ का नाम सामने आ रहा है।
  • पूर्व प्रधान लाल सिंह भी इन दिनों कैप्टन के करीबी बने हुए हैं। उधर सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी लंबे समय से कुर्सी पाने की कोशिश कर रहे हैं। इनके अलावा राजिंदर कौर भट्‌ठल पर भी नजरें टिकी हैं जो पहले ही CM रह चुकी हैं।

पंजाब ही नहीं इन 5 राज्यों में भी कांग्रेस में है अंदरूनी झगड़ा, अगले 2 साल में चुनाव होने हैं, लेकिन 500 ज्यादा पदाधिकारियों के पद खाली हैं

पंजाब कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के 5 महीने पहले बवंडर मचा है। हाईकमान से कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा मांगा है। चार दिन पहले प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खेमे के 40 विधायकों ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कैप्टन पर कार्रवाई की मांग की थी।

कांग्रेस में अंदरूनी झगड़े वाला ये इकलौता प्रदेश नहीं है। अगले 2 साल में कुल 16 राज्यों में चुनाव हैं। इनमें से 5 प्रमुख राज्यों में कांग्रेस अंदरूनी झगड़े का शिकार है। इनमें पंजाब, राजस्‍थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य सबसे आगे हैं जहां कांग्रेस की सरकार है।

कांग्रेस उन्हीं 10 राज्यों में 500 से ज्यादा पदों पर पदाधिकारी ही नियुक्त नहीं कर पाई है। जबकि भारतीय जनता पार्टी का एक भी पद खाली नहीं है। आइए एक-एक उन राज्यों 5 बड़े राज्यों की ओर चलते हैं, जहां कांग्रेस आपस में ही लड़ रही है।

1. पंजाब: चुनाव फरवरी 2022 में, कांग्रेस की 208 सदस्यों की टीम दो फाड़, BJP में 29 पदाधिकारी पहले से थे, अब 200 नए पद भरे जाने का दावा

पंजाब के पिछले चुनाव में कुल 117 सीटों में से BJP ने सिर्फ 23 पर चुनाव लड़ा था और जीत सिर्फ 3 सीटों पर मिली। फिर भी पार्टी में प्रदेश के सभी 29 पदाधिकारियों के पद भरे हुए हैं। पार्टी का दावा है कि 200 नए पदाधिकारी बनाए गए हैं। वो जमीन पर काम करने के लिए भेज दिए गए हैं, लेकिन उनकी जानकारी अभी पब्लिक नहीं की गई है।

117 में से 77 सीटें जीतने वाली पंजाब कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में 208 सदस्य हैं, लेकिन दो धड़ों में बंटे हुए। एक को प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू चलाते हैं और दूसरे को CM अमरिंदर सिंह। दो दिन पहले ही सिद्धू कैंप के 40 विधायकों ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ सोनिया गांधी को चिट्ठी भेजी थी। अब हाईकमान ने कैप्टन से इस्तीफा मांग लिया है।

2. राजस्‍थान: चुनाव दिसंबर 2023 में, कांग्रेस में जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की समितियां भंग हो चुकी हैं, बीजेपी वहीं सबसे ज्यादा मेहनत कर रही है

BJP अगले चुनाव की तैयारी में लगी है। उसके पास 26 मुख्य पदा​धिकारी हैं, 93 प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और 50 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं, यानी 170 से ज्यादा की लोगों की जमी-जमाई टीम है। इसके अलावा हाल ही में जिला, मंडल, मोर्चे, प्रकोष्ठ में नई भर्तियां की गई हैं। इनमें युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा, किसान मोर्चा में अध्यक्ष और पूरी कार्यकारिणी बनाकर अगले चुनाव की तैयारी की जा रही है।

पिछले चुनाव में BJP को मात देने वाली कांग्रेस की मौजूदा हालत ये है कि सभी प्रकोष्ठ, विभाग, 39 जिलाध्यक्ष और 400 ब्लॉक अध्यक्षों, जिला और ब्लॉक कार्यकारिणी सचिन पायलट की बगावत के बाद 14 जुलाई 2020 से भंग है। तब से केवल 39 पदाधिकारियों से कांग्रेस चल रही है।

3. मध्य प्रदेश: चुनाव दिसंबर 2023 में, कांग्रेस ने आखिरी बार 2018 में पदाधिकारी चुने थे, BJP के सारे पद भरे हुए हैं

BJP ने अपने 59 मुख्य पदाधिकारियों के साथ 180 से ज्‍यादा की टीम का नाम-पता-कॉन्टैक्ट नंबर वेबसाइट पर शेयर कर रखा है। हमने तीन नंबर पर फोन किया तो फोन उन्हीं लोगों ने उठाया, जिनके नाम के सामने नंबर लिखे थे।

पिछले चुनाव में BJP को मात देने और बाद में फूट के चलते सरकार खोने वाली पार्टी कांग्रेस में आखिरी बार 7 जुलाई 2018 को तब के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 84 पदाधिकारी नियुक्त किए थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद अब इनमें से कई पदाधिकारी पार्टी बदल चुके हैं। पदाधिकारियों की मौजूदा हालत पर कांग्रेस फिलहाल कोई जवाब नहीं दे रही है।

4. गुजरात: चुनाव दिसंबर 2022 में, BJP ने CM समेत मंत्रिमंडल बदल डाला और यह 160 पदाधिकारियों का संगठन, वहीं कांग्रेस में सिर्फ 3 कार्यकारी अध्यक्ष

चुनाव से 15 महीने पहले BJP ने CM बदलकर भूपेंद्र पटेल को कमान थमाई है। संगठन के तौर पर पार्टी में 160 लोगों की मुख्य कार्यकारिणी है। इसमें 40 मुख्य प्रदेश पदाधिकारी, 80 प्रदेश कार्य समिति सदस्य और 40 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। इसके अलावा 100 से ज्यादा जिला और मंडल स्तर के पद भी भरे हुए हैं।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश संगठन का पूरा ढांचा 6 महीने से चरमराया हुआ है। स्थानीय नेता हाई कमान के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में फिलहाल सिर्फ 3 कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल, करसनदास सोनेरी और डॉ. तुषार चौधरी ही पार्टी चला रहे हैं। पहले यहां 234 पदाधिकारियों की टीम थी।

पिछले चुनाव में कुल 182 सीटों में से BJP ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में कांग्रेस के 12 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। BJP के पास फिलहाल 115 विधायक हो गए हैं।

5. छत्तीसगढ़: चुनाव दिसंबर 2023 में, कांग्रेस और BJP दोनों के पद भरे हुए, लेकिन कांग्रेस में दूसरा खेमा भी

BJP​​​​​​​ ने डेढ़ साल पहले चुनाव कर के सभी 81 सदस्य चुने लिए थे, कोई पद खाली नहीं है। हाल ही में एक सभा में प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी देवी ने कहा कि अगर BJP कार्यकर्ता पलट कर थूक दें तो बघेल की सरकार बह जाएगी। दोनों ओर से चुनावी मोड ऑन हो गया है। पिछले चुनाव में कुल 90 सीटों में से कांग्रेस ने 67 और BJP ने 15 सीटें जीती थीं।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में 40 सदस्यों वाली कार्यकारिणी है। सभी नियुक्तियां मार्च 2020 की हैं, लेकिन अगस्त में पार्टी में CM बदलने की चर्चा के जोर पकड़ने के बाद भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव को दिल्ली तलब किया गया था, तब जाकर मामला सुलझा, लेकिन महीने भर बाद ही अब फिर से आपसी लड़ाई पर बैठक चल रही है।

इसी क्रम में हम 5 और बड़े राज्यों की चर्चा कर रहे हैं, जो बड़े हैं और अगले दो सालों में यहां चुनाव होने हैं-

6. उत्तर प्रदेश: चुनाव फरवरी 2022 में। BJP की 172 की टीम, कांग्रेस कमेटी में 114 सदस्य

UP BJP​​​​​​​ संगठन में एक भी पद खाली नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कार्यालय संपर्क प्रभारी तक सभी कुल 172 पद भरे हुए हैं। सभी जिलाध्यक्षों की फोटो, मोबाइल नंबर, ईमेल ID के साथ UP BJP की वेबसाइट अपडेट है। हमने उन्हीं में से कुछ रैंडम नंबर्स चुने और कॉल किया, वो नंबर्स ऑन थे, उन्हीं पदाधिकारियों ने उठाए, जिनका नाम वेबसाइट पर दिख रहा था।

कांग्रेस में अब वेबसाइट की व्यवस्‍था नहीं है। 24 अकबर रोड कांग्रेस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी यानी UPCC में कुल 114 सदस्य हैं। इनमें से ज्यादातर को प्रियंका गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के वक्त चुना था। हां, 2020 में भी कुछ भर्तियां हुई हैं।

इन 114 सदस्यों के अलावा अभी 15 सितंबर को कांग्रेस ने एक ‘स्पेशल 26 मीडिया पैनल’ लॉन्च किया है। ये 26 लोग योगी सरकार में घोटाले ढूंढेंगे और मीडिया तक ले जाएंगे। पिछले चुनाव में कुल 403 सीटों में से BJP ने 312 और कांग्रेस ने 7 सीटें जीती थीं।

7. उत्तराखंड: चुनाव फरवरी 2022 में, BJP​​​​​​​ ने CM बदलकर 34 पदाधिकारियों की टीम तैनात की, कांग्रेस ने नई टीम बनाई है, लेकिन पदाधिकारियों के चुनाव नहीं हुए

उत्तराखंड BJP की वेबसाइट पर 34 प्रदेश पदाधिकारियों की सूची दी गई है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष से लेकर किसान मोर्चा, महिला मोर्चा और अनुसूचित जाति मोर्चे तक पदाधिकारी तैनात हैं। उनसे संपर्क करने की जानकारी भी मौजूद है। 3 जुलाई को CM बदलकर BJP चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।

जबकि कांग्रेस प्रदेश की नई कार्यकारिणी का चुनाव तक नहीं करा पाई है। पुरानी कार्यकारिणी में 150 से ज्यादा लोग थे। उन्हें अभी यही स्पष्ट नहीं है कि वो पद पर बने हुए हैं या नहीं। चुनाव की खातिर एक नई टीम बनी है, लेकिन पार्टी हरीश रावत और प्रीतम सिंह के दो खेमों में बंटी हुई है।

पिछले चुनाव में BJP को 46.5% वोट मिले थे तो कांग्रेस को 33.5%। हालांकि कुल 70 सीटों में से BJP​​​​​​​ ने 57 और कांग्रेस ने 11 ही जीती थीं।

8. गोवा: चुनाव फरवरी 2022 में, BJP के 142 पदाधिकारी मोर्चे पर तैनात, 200 से ज्यादा नए पदाधिकारी भी भर्ती किए, कांग्रेस ने बस चिदंबरम को भेजकर सुध ली है

गोवा BJP चुनावी मोड में है। प्रदेश कार्यकारिणी में 142 पदाधिकारियों के मोर्चे पर तैनात होने के बावजूद 200 से ज्यादा महिला और युवा पदाधिकारी चुने गए हैं।

जबकि कांग्रेस का संगठन बीते 4 साल में ‌बिखर चुका है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कितने लोग हैं, इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।

इसके पीछे की वजह पिछले चुनाव के बाद घटी घटनाएं हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 40 सीटों में से 17 कांग्रेस ने जीतीं और 13 BJP ने। अन्य के खाते में 10 सीटें गई थीं। ये सभी 10 विधायक कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे थे और सरकार बनाने की उम्मीद थी, लेकिन तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छुट्टी पर थे। पार्टी CM कैंडिडेट ही तय नहीं कर पाई।

इधर तब के BJP अध्यक्ष अमित शाह और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर गोवा पहुंचे और सभी 10 अन्य विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया। फिर शपथ के पहले भी 2 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।

2019 आते-आते बचे हुए 15 कांग्रेस विधायकों में से भी 10 ने BJP जॉइन कर ली। अब कांग्रेस के पास सिर्फ 5 विधायक बचे हैं। इस साल अगस्त में कांग्रेस ने पी चिदंबरम को पर्यवेक्षक बनाकर गोवा भेजा था। उनकी रिपोर्ट का इंतजार है।

9. हिमाचल प्रदेश: चुनाव दिसंबर 2022 में, BJP ने CM को दिल्ली तलब करके हिसाब लिया, कांग्रेस हमलावर

BJP ने गुजरात में CM बदलने के बाद हिमाचल के CM जयराम ठाकुर को दिल्ली तलब किया था। BJP की हिमाचल प्रदेश की ऑफिशियल वेबसाइट अभी चल नहीं रही है। कार्यालयों से मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में 34 पदाधिकारी हैं। इसके अलावा जिला, मंडल, मोर्चा, अलग-अलग प्रकोष्ठ और स्थाई आमंत्रित सदस्यों को मिलाकर 225 लोगों से ज्यादा की टीम काम कर रही है।

कांग्रेस का दावा है कि पार्टी के 150 प्रदेश पदाधिकारी हैं। इनमें से 2019 में चुने गए 40 पदाधिकारियों की सूची इंटरनेट पर मौजूद है।

10. मणिपुर: चुनाव फरवरी 2022 में, दोनों ही पार्टियों के पदाधिकारियों की सूची सार्वजनिक जगहों से नदारद

BJP की मणिपुर की वेबसाइट काम नहीं कर रही है। पिछले साल जून में 9 विधायकों ने CM बीरेन सिंह से अपना समर्थन हटाने को कहा था। तब उन्हें दिल्ली बुलाया गया। नॉर्थ-ईस्ट के BJP के चेहरे हिमंता बिस्वा शर्मा को मणिपुर भेजा गया और सरकार बचाई गई।

कांग्रेस की ओर से कोई सुगबुगाहट फिलहाल नजर नहीं आती। पिछले चुनाव में कुल 60 सीटों में से BJP के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 37 सीटें जीती थीं। अकेले BJP को 24 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस के गठबंधन को सिर्फ 17 सीटें मिलीं थीं, जिसमें कांग्रेस की 16 थीं।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के मीडिया स्टडीज के HOD धनंजय चोपड़ा कहते हैं कि जब तक कांग्रेस में अहमद पटेल थे, तब तक संगठन दुरुस्त रहता था, लेकिन फिलहाल कांग्रेस में संगठन को संभालने वाला कोई नेता नहीं है, जबकि BJP में अब भी संगठन की बात आती है तो सबसे पहले अमित शाह की ओर देखा जाता है।

पंजाब कांग्रेस में आखिर हो क्या रहा है? क्या सिद्धू लगाएंगे सिक्सर या हो जाएंगे हिट विकेट या कैप्टन की पारी का होगा अंत?

कांग्रेस में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। राजस्थान में शांति हुई तो छत्तीसगढ़ और पंजाब भड़क उठे। अब तो स्थिति इस हद तक पहुंच गई है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कांग्रेस ने कैप्टन से इस्तीफा मांग लिया है। हालांकि, कैप्टन खेमा इसका खंडन कर रहा है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू राज्य में विधानसभा चुनावों से ठीक छह महीने पहले कैप्टन के खिलाफ बगावत का नेतृत्व कर रहे हैं। कांग्रेस के 40 विधायकों ने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखकर अमरिंदर को हटाने की मांग की थी। पंजाब के प्रभारी हरीश रावत ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इसके बाद शुक्रवार रात को ही रावत ने शनिवार शाम 5 बजे पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक बुलाने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी। इस मीटिंग में केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर अजय माकन और हरीश चौधरी भी मौजूद रहेंगे।

इस पूरे घटनाक्रम पर सवाल उठ रहे हैं कि शाम को विधायक दल की बैठक में क्या होगा? क्या अमरिंदर को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी? सिद्धू और अमरिंदर में आखिर विवाद क्या है? क्या सीएम पद की कुर्सी पर नवजोत सिंह सिद्धू बैठेंगे या दूसरे उम्मीदवार भी हो सकते हैं? अगर इस्तीफा मांगा गया तो अमरिंदर का अगला कदम क्या होगा?

पंजाब कांग्रेस में आखिर हो क्या रहा है?

  • यह महत्वाकांक्षा की लड़ाई है। सिद्धू एक पापुलर चेहरा हैं और वे मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें यह मौका देने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। इसी वजह से यह विवाद इतना बढ़ गया है। पंजाब में अमरिंदर के विरोधी भी सेलिब्रिटी चेहरे के तौर पर सिद्धू के साथ खड़े दिख रहे हैं।
  • सिद्धू का आरोप है कि कैप्टन अकाली दल (बादल) के नेताओं के खिलाफ नरमी दिखा रहे हैं। 2017 के चुनावों से पहले तो उन्होंने 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब के साथ बेअदबी के मामले में आरोपियों को जेल में डालने का वादा किया था, पर कैप्टन इसमें नाकाम रहे। इसी तरह रोजगार और नशाखोरी रोकने में भी कैप्टन पर सिद्धू के तीखे आरोप हैं।
  • इस दौरान कैप्टन के विरोधी विधायक और मंत्री भी सिद्धू के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। इसमें कैप्टन के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले सुखजिंदर रंधावा और राजिंदर सिंह बाजवा जैसे मंत्री ऐसे हैं, जो कभी मुख्यमंत्री के खास माने जाते थे। सिद्धू ने विरोध में बिगुल फूंका तो यह दोनों भी सक्रिय हो गए। इस तरह कैप्टन की सभी निगेटिव फोर्सेस साथ काम कर रही हैं।
  • शनिवार को विधायक दल की बैठक में पार्टी के बड़े नेता विधायकों से रायशुमारी करेंगे। एक रिपोर्ट बनाएंगे और दिल्ली में सोनिया गांधी को सौंपेंगे। उसके आधार पर ही तय होगा कि अमरिंदर सिंह की कुर्सी जाती है या नहीं। यह भी साफ हो सकेगा कि कैप्टन की जगह कौन मुख्यमंत्री बनेगा?
सिद्धू और अमरिंदर सिंह भले ही सार्वजनिक मंचों पर साथ दिखाई दिए हो, उनके बीच विवाद काफी पुराना है।
सिद्धू और अमरिंदर सिंह भले ही सार्वजनिक मंचों पर साथ दिखाई दिए हो, उनके बीच विवाद काफी पुराना है।

सिद्धू और कैप्टन के बीच विवाद क्या है?

  • पंजाब के पॉलिटिकल एनालिस्ट कहते हैं कि दोनों के बीच वैचारिक मतभेद हैं। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। दोनों के ही रिश्ते तल्ख रहे हैं। सिद्धू 2004 से 2014 तक अमृतसर से सांसद रहे। इस दौरान 2002-2007 तक अमरिंदर के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के सिद्धू कटु आलोचक रहे थे।
  • 2014 के चुनावों में भाजपा ने सिद्धू के बजाय अमृतसर से अरुण जेटली को मैदान में उतारा था और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें हराकर भाजपा से यह सीट जीत ली थी। 2014 के चुनावों में टिकट न मिलने से सिद्धू भाजपा से नाराज थे और खबरें चल रही थी कि वे आम आदमी पार्टी या कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
  • 15 जनवरी 2017 को तमाम नानुकूर के बीच सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली थी। उनकी इंट्री राहुल गांधी के मार्फत हुई थी, इस वजह से वह कहते रहे कि मेरा कैप्टन तो राहुल गांधी है। अमरिंदर सिंह नहीं। यह बात अलग है कि तीन महीने पहले ही उनकी पत्नी नवजोत कौर कैप्टन के मार्फत कांग्रेस की सदस्य बन चुकी थी।
  • 2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थी और इस तरह भारी बहुमत के साथ कैप्टन सीएम बने। तब चर्चा चल रही थी कि सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ नहीं। इसके बजाय सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
  • इसके बाद भी दोनों के बीच की तल्खी दूर नहीं हुई। कभी टीवी शो में जज की भूमिका को लेकर तो कभी विभागीय फैसलों को लेकर सिद्धू मुख्यमंत्री के निशाने पर ही रहे। तब कैप्टन ने सिद्धू का विभाग बदल दिया। उन्हें बिजली महकमा दे दिया, जो सिद्धू ने स्वीकार नहीं किया और घर बैठ गए।
  • वे शांत ही बैठे थे। पर कुछ ही समय पहले उन्होंने बेअदबी मामले को लेकर ट्वीट करना शुरू किए। बादलों को बचाने के आरोप कैप्टन पर लगाए। जब उन्हें कैप्टन विरोधियों का साथ मिला तो वे सक्रिय हो गए। हाइकमान ने हस्तक्षेप करते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
राहुल गांधी के जरिए ही नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस में इंट्री हुई थी। इस वजह से सिद्धू कहते रहे हैं कि मेरा कैप्टन तो सिर्फ राहुल गांधी है।
राहुल गांधी के जरिए ही नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस में इंट्री हुई थी। इस वजह से सिद्धू कहते रहे हैं कि मेरा कैप्टन तो सिर्फ राहुल गांधी है।

किसके साथ कितने विधायक हैं?

  • पंजाब प्रदेश अध्यक्ष बनते ही सिद्धू ने विधायकों की मीटिंग बुलाई। दावा किया कि 70 विधायक उनके साथ हैं। कैप्टन को हटाने की मुहिम शुरू की। उधर, कैप्टन भी सक्रिय हुए। महलों में रहने वाले कैप्टन ने फार्म हाउस और अन्य जगहों पर विधायकों से मिलना शुरू किया। उनके खिलाफ मुखर हो रहे एक मंत्री के दामाद को दो दिन पहले कैबिनेट मीटिंग में फैसला कर सरकारी नौकरी दी गई है। यानी हरसंभव कोशिश है कि विधायक उनके साथ बने रहे।
  • दैनिक भास्कर के लुधियाना संपादक नरेंद्र शर्मा का कहना है कि कई विधायक ऐसे हैं जो दोनों की बैठकों में जा रहे हैं। ऐसे में नंबर पर कयास लगाना ठीक नहीं हैं। हाईकमान सक्रिय हुआ तो कई विधायक ऐसे हैं जो पांच-छह महीने के लिए विधायकी छोड़ने का रिस्क नहीं उठाना चाहेंगे।
  • 2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 77, आम आदमी पार्टी के 20, अकाली दल के 15 और भाजपा के 3 विधायक जीतकर आए थे। ऐसे में अगर पार्टी टूटी तो आप और अकाली दल के विधायकों का रुख महत्वपूर्ण हो जाएगा।
तस्वीर 22 जुलाई की है। पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने विधायकों की बैठक बुलाई और उनके साथ ही अमृतसर में गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने पहुंचे थे।
तस्वीर 22 जुलाई की है। पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने विधायकों की बैठक बुलाई और उनके साथ ही अमृतसर में गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने पहुंचे थे।

अगर हटाया गया तो अमरिंदर सिंह का क्या होगा?

  • कैप्टन ने इस संभावना को देखते हुए अपनी जमावट पर काम शुरू कर दिया है। 2017 की बात करें तो पार्टी में कैप्टन को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट बनने को लेकर कशमकश जारी थी। तब कैप्टन ने जाट महासभा खड़ी की थी। उसके बड़े-बड़े सम्मेलन लेकर पार्टी हाइकमान तक संदेश पहुंचाया था कि अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो वे पार्टी छोड़ देंगे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जाट महासभा भी शांत हो गई थी।
  • मौजूदा संकट की बात करें अमरिंदर ने दो-तीन महीने पहले ही जाट महासभा को फिर एक्टिव कर दिया है। पदाधिकारी अपॉइंट किए जा रहे हैं। अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया तो वे पार्टी छोड़ देंगे। कमलनाथ समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं तक अमरिंदर ने यह बात पहुंचा भी दी है।
  • अमरिंदर की आम आदमी पार्टी या अकाली दल के साथ जाने की संभावना न के बराबर है। ऐसे में एक संभावना यह भी है कि कैप्टन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से अपने अच्छे रिश्तों को आगे बढ़ाए। किसान कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को बड़ा फैसला लेने को राजी करें और भाजपा के साथ मिलकर 2022 के चुनावों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा करें।

क्या सिद्धू मुख्यमंत्री बन जाएंगे?

  • कहना मुश्किल है। बागी ग्रुप अगर कैप्टन को इस्तीफे के लिए दबाव बनाने में कामयाब भी हुआ तो संकट बना रहेगा। सुनील जाखड़, प्रताप सिंह बाजवा, सुखविंदर रंधावा, राजिंदर कौर भट्ठल से लेकर कई नेता ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं।
  • यह बात जरूर है कि अगर सिद्धू की अगुवाई वाले बागी ग्रुप ने कैप्टन को मजबूर किया तो इससे पूर्व क्रिकेटर की राज्य में ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। 2022 के चुनावों में उनका वजन भी बढ़ेगा और उम्मीदवारों के सिलेक्शन में उनकी चलेगी।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.