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तालिबान कश्मीर में दखल देगा:प्रवक्ता ने कहा – कश्मीर क्या, भारत या किसी भी देश में मुस्लिमों के लिए आवाज उठाने का हमें हक है

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तालिबान ने अफनागिस्तान में अपनी सरकार के ऐलान से पहले रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने की बात करने वाले तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने गुरुवार शाम एक इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को कश्मीर समेत पूरी दुनिया के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक है। शाहीन ने कहा कि मुस्लिम हमारे अपने लोग हैं, हमारे नागरिक हैं और कानून के तहत उन्हें बराबरी का अधिकार है।

पहले तालिबान ने कहा था- कश्मीर द्विपक्षीय मामला
शाहीन से पहले तालिबानी नेताओं ने कहा था कि कश्मीर द्विपक्षीय और अंदरूनी मामला है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागजी ने कहा था कि भारत का लक्ष्य ये निश्चित करना है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि के लिए न हो।

अल-कायदा ने कहा- कश्मीर को इस्लाम के दुश्मनों से आजाद कराओ
आतंकी संगठन अल-कायदा ने अफगानिस्तान में जीत के लिए तालिबान को बधाई दी थी। अल-कायदा ने इस बधाई संदेश में इस्लाम के दुश्मनों से कश्मीर और दूसरी इस्लामी जमीनों की आजादी की बात कही थी। अल-कायदा ने फिलीस्तीन, लेवेंट, सोमालिया और यमन जैसे क्षेत्रों की आजादी की अपील की थी।

अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बोले- अफगानी नहीं चाहते कि कश्मीर मुद्दा यहां आए
अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन (HIG) पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार भी तालिबान से चर्चा कर रहे हैं। हिकमतयार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश के खिलाफ नहीं होने देने के वादे पर टिकना चाहिए। हिकमतयार के मुताबिक अफगानिस्तान के लोग नहीं चाहते कि कश्मीर विवाद, भारत-चीन सीमा विवाद और तिब्बत जैसे मुद्दे अफगानिस्तान पहुंचें।

 

तालिबानी हुकूमत LIVE:तालिबान ने पंजशीर पर जीत का किया दावा, पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह के ताजिकिस्तान भागने की खबर, वीडियो जारी कर किया खंडन

तालिबान ने शुक्रवार को पंजशीर जीतने का दावा किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक तालिबानी कमांडर के हवाले से बताया कि अब पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण हो गया है। पंजशीर में तालिबान के खिलाफ अहमद मसूद और पूर्व उपराष्ट्रपति अब्दुल्लाह सालेह के नेतृत्व में रेजिस्टेंस फोर्स लड़ाई कर रही थी।

तालिबानी कमांडर का दावा है कि रेजिस्टेंस फोर्स की सेना अब पीछे हट गई है और पंजशीर समेत पूरे अफगानिस्तान पर उनका नियंत्रण हो गया है।

तालिबान के दावों को सालेह ने बताया गलत
कुछ रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया कि पूर्व उपराष्ट्रपति अब्दुल्लाह सालेह पंजशीर छोड़कर ताजिकिस्तान भाग गए हैं। हालांकि, सालेह ने इन दावों का खंडन किया है। उनका कहना है कि वे अभी भी पंजशीर में हैं और तालिबानी लड़ाकों का मुकाबला कर रहे हैं।

सालेह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इन दावों को गलत बताया और कहा कि वे मरते दम तक तालिबान का विरोध करते रहेंगे। पंजशीर में तालिबानियों के कब्जे का दावा गलत है। हमारी सेना तालिबानियों का डटकर मुकाबला कर रही है। उन्होंने पाकिस्तान पर अपनी हत्या करवाने का भी आराेप लगाया है। सालेह ने एक वीडियो जारी कर अपना पक्ष रखा है।

पंजशीर या तो आज रात या कल सुबह तक समपर्ण कर देगा
तालिबान को आज सरकार की घोषणा करनी थी लेकिन पंजशीर की लड़ाई की वजह से नहीं हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पंजशीर या तो आज रात या कल सुबह तक समपर्ण कर देगा। उसके बाद ही तालिबान सरकार की घोषणा करेंगे। तालिबान ने पंजशीर को चारों तरफ से घेर लिया है। आज भीषण लड़ाई हुई है। दोनों तरफ के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि बिना बाहरी मदद के पंजशीर तालिबान के सामने बहुत दिन तक टिक नहीं पाएगा। पंजशीर के आत्मसमर्पण की घोषणा होते ही तालिबान नई सरकार की घोषणा कर देंगे।

तालिबान लड़ाकों ने काबुल में अंधाधुंध हवाई फायरिंग की
पंजशीर पर जीत की रिपोर्टों के बाद तालिबान लड़ाकों ने काबुल में अंधाधुंध हवाई फायरिंग की है। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी कर लड़ाकों से हवा में गोलियां न चलाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इस गोलीबारी से आम लोगों को खतरा हो सकता है।

तालिबानी मिलिट्री वाहन को मसूद की सेना ने रॉकेट से उड़ाया
पंजशीर में तालिबान के लड़ाकों को भारी नुकसान की खबर है। हामिद मसूद की रेजिस्टेंस फोर्स ने तालिबान के लड़ाकों का पंजशीर में घुसना मुश्किल कर दिया है। इस पहाड़ी प्रांत में मसूद के लड़ाकों ने हर रास्ते पर एम्बुश लगा रखा है। पंजशीर समर्थकों ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उनके लड़ाके तालिबानियों के सैन्य वाहनों को रॉकेट से उड़ाते हुए दिख रहे हैं। रॉकेट दागने के बाद सैन्य वाहन के परखच्चे उड़ गए हैं। इतना ही नहीं रॉकेट दागने के बाद पंजशीर समर्थक लड़ाके गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग भी करते दिख रहे हैं। यह वीडियो किस जगह का है इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

बुजुर्गों को माइन क्लियरेंस के तौर पर इस्तेमाल कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर तालिबान के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। सालेह ने बताया कि तालिबानी आम लोगों को पंजशीर आने से रोक रहे हैं। वे उन पर नस्लीय टिप्पणी कर रहे हैं। बुजुर्गों को माइन क्लियरेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जिन जगहों पर लैंड माइंस लगाए गए हैं, वहां उम्रदराज लोगों को आगे किया जा रहा है। इतना ही नहीं, तालिबानियों ने पंजशीर में फोन, बिजली और मेडिकल सुविधाओं को भी आने से रोक रहे हैं। लोग कम मात्रा में ही नकदी ले जा सकते हैं। पिछले 23 वर्षों में आपातकालीन अस्पताल की शुरुआत के बाद से हमने कभी भी तालिब की पहुंच को अवरुद्ध नहीं किया। तालिब युद्ध अपराध कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं। हमारी संयुक्त राष्ट्र और विश्व के नेताओं से अपील है कि वे तालिबानियों के इन अमानवीय कृत्यों पर ध्यान दें।

अमरूल्लाह सालेह तालिबान के खिलाफ हैं। वे पंजशीर में अहमद मसूद के लड़ाकों के साथ मिल कर तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान कर चुके हैं।
अमरूल्लाह सालेह तालिबान के खिलाफ हैं। वे पंजशीर में अहमद मसूद के लड़ाकों के साथ मिल कर तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान कर चुके हैं।

अफगानिस्तान में सरकार बनाने पर अब कल होगा फैसला
अफगानिस्तान में शुक्रवार को सरकार बननी थी, लेकिन तालिबान के शीर्ष नेताओं ने इसे टाल दिया है। अब नई सरकार के गठन को लेकर कल यानी 4 सितंबर को फैसला लिया जाएगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद के अनुसार, नई सरकार के गठन की घोषणा अब शनिवार को की जाएगी।

इससे पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सूत्रों ने बताया कि मुल्ला बरादर अफगानिस्तान की नई सरकार की कमान संभालेगा। वहीं तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई को भी तालिबानी सरकार में अहम पद दिए जाएंगे। ये सभी काबुल पहुंच चुके हैं। दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान की वास्तविक सत्ता शूरा समिति के हाथ में ही रहेगी।

कौन है मुल्ला बरादर?

  • तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर संगठन में दूसरे नंबर का नेता है। तालिबान के 1996 से 2001 तक के शासन में मुल्ला बरादर ने अहम भूमिका निभाई थी। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार का रक्षा मंत्री था। 2001 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में कब्जा किया तो मुल्ला बरादर पाकिस्तान चला गया।
  • 2010 में पाकिस्तान ने मुल्ला बरादर को जेल में डाल दिया, क्योंकि उस पर आरोप लगा कि उसने पाकिस्तान को भरोसे में लिए बिना अफगानिस्तान सरकार से बात करने की कोशिश की थी। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने बरादर को छोड़ दिया था।
  • 2018 में तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला था। वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।

शूरा समिति के के हाथ में रहेगी वास्तविक सत्ता
दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान की वास्तविक सत्ता शूरा समिति के हाथ में ही रहेगी। बता दें शूरा अरबी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ एक ऐसी समिति या कमेटी से है जो सलाह या परामर्श देती है। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल किसी इस्लामिक देश में पूरी तरह शूरा लागू नहीं है। कई देश ऐसे हैं जहां किसी न किसी रूप में इसका अस्तित्व है, लेकिन वहां इसका आदेश आखिरी आदेश नहीं कहा जा सकता है।

काबुल में राष्ट्रपति भवन के बाहर महिलाओं का प्रदर्शन

राजधानी काबुल में शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के बाहर महिलाओं ने अपने अधिकारों को लेकर प्रदर्शन किया है। ये महिलाएं आने वाली तालिबान सरकार से अपने अधिकारों को बनाए रखने की मांग कर रही थीं। उनका कहना था कि हमें पिछली सरकार में जो अधिकार दिए गए थे, एसे तालिबान सरकार को बनाए रखना चाहिए। साथ ही नई सरकार में भी महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना चाहिए। महिलाएं तख्तियां लेकर राष्ट्रपति भवन के बाहर पहुंचाी थीं। इन तख्तियों पर लिखा हुआ था- हम अतीत में नहीं लौटना चाहते। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि, अफगान महिलाओं को देश के भविष्य में शिक्षा, सामाजिक और राजनीतिक योगदान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित सामान्य स्वतंत्रता का पूरा अधिकार दिया जाए।

अपडेट्स

  • पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक बयान में तालिबान और पंजशीर में रेजिस्टेंस फोर्स के बीच लड़ाई रोकने और बातचीत के जरिए मसलों को सुलझाने को कहा है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, करजई ने दोनों पक्षों से लड़ाई को रोकने और बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों को हल करने के लिए कहा है।
  • ब्रिटेन ने तालिबान को काबुल में नई सरकार के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है। विदेश सचिव डॉमिनिक रैब ने कहा कि हम नई सरकार को मान्यता नहीं देंगे। अफगानिस्तान को वास्तविकता से निपटना होगा। हम अफगानियों के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को टूटा हुआ नहीं देखना चाहते।

पंजशीर में तालिबान के खिलाफ लड़कियों और महिलाओं ने भी हथियार उठाए

पंजशीर में तालिबान की तरफ से लड़ाई का नेतृत्व कारी फशीह कर रहे हैं। ये तस्वीर अंदराब के खवाक पास की है।
पंजशीर में तालिबान की तरफ से लड़ाई का नेतृत्व कारी फशीह कर रहे हैं। ये तस्वीर अंदराब के खवाक पास की है।

पंजशीर से मिल रही रिपोर्टों के मुताबिक वहां लड़कियों और महिलाओं ने भी हथियार उठा लिए हैं। भीषण लड़ाई जारी है। दोनों तरफ के अपने दावें हैं। अब तक पंजशीर अपने दम पर लड़ रहा है। किसी बाहरी मदद की पुष्टि नहीं हो रही है। पंजशीर में तालिबान की तरफ से लड़ाई का नेतृत्व कारी फशीह कर रहे हैं। तालिबान सूत्रों का दावा है कि ये तस्वीर अंदराब के खवाक पास की है। कारी फशीह ताजिक मूल के हैं और पंजशीर में भी अधिकतर लोग ताजिक मूल के ही हैं।

अपडेट्स

  • न्यूज एजेंसी AFP ने खबर दी है कि अफगानिस्तान में घरेलू उड़ानें आज से शुरू हो जाएंगी। दूसरी तरफ काबुल में स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी तकनीकी खामियां दूर की जा रही हैं और वहां से भी जल्द अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है।
  • संयुक्त अरब अमीरात का एक विमान राहत सामग्री लेकर काबुल एयरपोर्ट पर उतरा है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी अफगानिस्तान के लोगों को मदद भेजी जा रही है।
  • दिल्ली में आज विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक होगी। इसमें अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और वैश्विक आतंकवाद से निपटने के उपायों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

पंजशीर में तालिबान का साथ दे रहा अलकायदा
अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान से जंग लड़ रही अहमद मसूद की रेजिस्टेंस फोर्स ने दावा किया है कि उसने तालिबान के खिलाफ अच्छी बढ़त बना ली है। इससे पहले रेजिस्टेंस फोर्स ने कहा था कि पंजशीर में आतंकी संगठन अलकायदा भी तालिबान के साथ शामिल हो चुका है। वहीं पंजशीर समर्थकों ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें दिख रहा है कि पहाड़ों से तालिबानियों पर जमकर गोलियां और रॉकेट दागे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस लड़ाई में 40 से ज्यादा तालिबानी मारे गए हैं, जबकि 19 तालिबानियों को पंजशीर की सेना (नॉर्दर्न अलायंस) ने गिरफ्तार कर लिया है।

तालिबान ने कहा- कश्मीर समेत दुनियाभर के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक
तालिबान ने अफनागिस्तान में अपनी सरकार के ऐलान से पहले रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने की बात करने वाले तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने गुरुवार शाम एक इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को कश्मीर समेत पूरी दुनिया के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक है। शाहीन ने कहा कि मुस्लिम हमारे अपने लोग हैं, हमारे नागरिक हैं और कानून के तहत उन्हें बराबरी का अधिकार है।

अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बोले- अफगानी नहीं चाहते कि कश्मीर मुद्दा यहां आए
अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन (HIG) पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार भी तालिबान से चर्चा कर रहे हैं। हिकमतयार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश के खिलाफ नहीं होने देने के वादे पर टिकना चाहिए। हिकमतयार के मुताबिक अफगानिस्तान के लोग नहीं चाहते कि कश्मीर विवाद, भारत-चीन सीमा विवाद और तिब्बत जैसे मुद्दे अफगानिस्तान पहुंचें।

हेकमतयार के पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसीज के साथ भी लिंक हैं, इसलिए तालिबान सरकार के गठन में उनकी भूमिका काफी अहम मानी जा रही है।
हेकमतयार के पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसीज के साथ भी लिंक हैं, इसलिए तालिबान सरकार के गठन में उनकी भूमिका काफी अहम मानी जा रही है।

चीन ने दिया तालिबान को मदद का भरोसा
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन के मुताबिक तालिबान के पॉलिटिकल ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर अब्दुल सलाम हनफी ने चीन के उप विदेश मंत्री वू जियांगहाओ से फोन पर बात की है। इस दौरान दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और भविष्य में अफगानिस्तान और चीन के रिश्तों को लेकर चर्चा की है। चीन ने कहा है कि वह काबुल में अपना दूतावास चालू रखेगा।
साथ ही कहा है कि क्षेत्रीय सुरक्षा में अफगानिस्तान की भूमिका अहम होगी। अफगानिस्तान में चीन मानवीय मदद जारी रखेगा और इसका दायरा बढ़ाएगा। चीन अफगानिस्तान में कोविड-19 महामारी के इलाज में भी सहयोग करेगा।

ज्यादातर अमेरिकी नहीं मानते कि अफगानिस्तान के हालात के लिए जो बाइडेन जिम्मेदार हैं
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना वापस बुलाने के फैसले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर अमेरिकी नहीं मानते कि अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए बाइडेन जिम्मेदार हैं। एक पोल के मुताबिक सिर्फ 21% अमेरिकी बाइडेन को जिम्मेदार मानते हैं, जबकि सबसे ज्यादा 36% लोग पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को जिम्मेदार मानते हैं। बराक ओबामा को 15% वहीं डोनाल्ड ट्रम्प को सिर्फ 12% अमेरिकी जिम्मेदार मानते हैं। ये बात अमेरिका के सर्वे रिसर्च सेंटर न्यू मेरिस्ट के पोल में सामने आई है।

भारत ने कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए न हो अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल
काबुल एयरपोर्ट से फ्लाइट ऑपरेशन शुरू होने पर भारत एक बार फिर से अपने लोगों को वहां से निकालने का सिलसिला शुरू करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए इसकी जानकारी दी है। बागची ने बताया कि फिलहाल काबुल हवाई अड्डा बंद है। वहां ऑपरेशन फिर से शुरू होते ही काबुल से लोगों को निकालने के लिए अभियान शुरू करेंगे।

अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बनेगी? इस सवाल पर बागची ने कहा कि हम अटकलें नहीं लगा सकते। अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बन सकती है, इसके बारे में हमारे पास कोई ठोस जानकारी नहीं है। तालिबान से भारत की अगली बातचीत के रोडमैप के सवाल पर बागची ने बताया कि यह हां और ना की बात नहीं है। हमारा उद्देश्य है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए न हो।

पाकिस्तान का कबूलनामा: हमने तालिबान के लिए सब कुछ किया
पाकिस्तान के एक मंत्री ने इस बार तालिबान से नजदीकियों की बात कबूली है। इमरान सरकार में मंत्री शेख राशिद ने तालिबान का खुले तौर पर समर्थन करते हुए खुद को तालिबान का संरक्षक बताया है। राशिद ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा है कि हमने तालिबान के नेताओं की लंबे वक्त तक हिफाजत की है। तालिबानी नेताओं ने हमारे यहां शरण ली, शिक्षा ली और यहां घर बनाया। हमने तालिबान के लिए सब कुछ किया है।

इससे पहले 15 अगस्त को जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे अफगानियों की आजादी बताया था। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने भी तालिबान का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि तालिबान इस बार एक पॉजिटिव माइंडसेट के साथ आया है। वह महिलाओं को भी सत्ता में भागीदार बनाएगा।

अमेरिका सड़क के रास्ते भी लोगों को निकालने का प्लान बना रहा
अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट भले ही तालिबान को सौंप दिया है, लेकिन वह अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों और अफगानियों को निकालने का सिलसिला जारी रखेगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की अंडर सेक्रेटरी विक्टोरिया नुलैंड ने कहा है कि जो लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं उन्हें निकालने के लिए हवाई और सड़क मार्ग समेत सभी विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने जानकारी दी है कि 31 अगस्त की रात तक 24 हजार अफगानियों समेत 31,107 लोग अफगानिस्तान से अमेरिका पहुंच चुके हैं।

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