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पेड पोस्ट पर नया पेंच:1000 करोड़ का हुआ इन्फ्लुएंसर मार्केट, इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट से 5 करोड़ तक की कमाई कर रहे सेलेब, ASCI की नई गाइडलाइन

ASCI की गाइडलाइन से फिल्मों के पेड रिव्यू पर भी गिर सकती गाज

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अखबार, टीवी और होर्डिंग में सेलेब के एड देखकर तुरंत पता चल जाता है कि वे कुछ पैसे लेकर एड कर रहे हैं, मगर सोशल मीडिया में ऐसा नहीं है। इस प्लेटफॉर्म में किसी भी ब्रांड को प्रमोट करके सेलेब न केवल अपनी हर पोस्ट से खूब कमाई कर रहे हैं, बल्कि यह पेड कंटेंट है, यह बताने से भी कतराते हैं। हालांकि अब ASCI की गाइडलाइन के बाद कई सेलेब ने अपनी पोस्ट पर ‘पेड कोलैबरेशन’ या ‘एड’ का टैग लगाना शुरू कर दिया है।

ASCI की गाइडलाइन : पेड पोस्ट टैग अनिवार्य

एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की 14 जून 2021 से लागू गाइडलाइन के अनुसार जिसके बदले में पैसे या किसी और वस्तु का लेनदेन हुआ हो, ऐसी प्रमोशनल पोस्ट के साथ पेड कोलैबरेशन या एडवर्टाइजमेंट का टैग लगाना जरूरी है।

फॉलोअर्स और प्रति पोस्ट पर कमाई में विराट टॉप पर

इंस्टाग्राम पोस्ट से सर्वाधिक कमाई कर रहे टॉप 30 ग्लोबल सेलिब्रिटीज की लिस्ट होपर्स ने जारी की है। इसमें भारत से विराट कोहली दुनिया में 19वें स्थान पर हैं। उनकी हर पोस्ट से कमाई पांच करोड़ रुपए बताई गई है। वहीं, प्रियंका चोपड़ा इस लिस्ट में 27वें स्थान पर हैं और उनकी हर पोस्ट 3 करोड़ की कमाई करती है।

हालांकि डिजिटल मार्केटिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग बताते हैं कि सेलेब सोशल मीडिया प्रमोशन से खूब कमा रहे हैं, यह सच है, लेकिन हर पोस्ट का इतना पैसा है, ऐसा कोई रेट कार्ड नहीं है। ज्यादातर केस में पूरा मल्टीपल मीडियम प्रमोशन पैकेज होता है। इस पैकेज में साफ-साफ बताया जाता है कि सोशल मीडिया पर क्या और कितनी पोस्ट डाली जाएंगीं।

फॉलोअर्स काउंट, प्रति पोस्ट इंगेजमेंट रेट, लाइक्स जैसी बातों को ध्यान में रखकर सेलेब्स की प्रति पोस्ट इंस्टाग्राम कमाई का अनुमान लगाया जाता है।
फॉलोअर्स काउंट, प्रति पोस्ट इंगेजमेंट रेट, लाइक्स जैसी बातों को ध्यान में रखकर सेलेब्स की प्रति पोस्ट इंस्टाग्राम कमाई का अनुमान लगाया जाता है।

कोहली फंसे, ऋतिक पहले से सावधान

देश के सबसे बड़े इन्फ्लुएंसर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी को एंडोर्स करती एक पोस्ट डाली थी, लेकिन इस पर पेड पोस्ट का टैग नहीं था। विराट सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए। ASCI ने नोटिस भेजा, इसके बाद विराट ने वह पोस्ट एडिट करके ‘पेड पोस्ट’ का टैग लगा दिया।

इसके बाद सारे बड़े सेलेब सावधान हो गए हैं और पेड पोस्ट में पेड पार्टनरशिप का डिस्क्लेमर भी डाल रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि छोटे-मोटे इन्फ्लुएंसर नियम का उल्लंघन करते हैं तो किसी का ध्यान नहीं जाता, मगर विराट जैसे बड़े सेलेब फंस जाते हैं।

दूसरी और ऋतिक रोशन जैसे सेलेब पहले से ही पेड प्रमोशन वाली पोस्ट पर टैग लगा रहे हैं और अपने फॉलोअर्स के साथ ट्रांसपेरेंसी बरत रहे हैं।

ASCI ने एक फ्रेंच कंपनी के ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर की मदद ली है। जिससे ज्यादातर पोस्ट्स पर नजर रखी जा रही है। आम लोग भी ASCI को किसी ऐसी पोस्ट के बारे में शिकायत कर सकते हैं।

अभी तो बस शुरुआत है

भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग अभी कुल डिजिटल मार्केटिंग का 10% है। लॉकडाउन में इसको काफी पुश मिला। इसका कद सालाना 1000 करोड़ तक का हो चुका है। इन्फ्लुएंस मार्केटिंग में 70% हिस्सा सिर्फ इंस्टाग्राम का है।

मिलेनियल्स ने बढ़ाया मार्केट

जनरेशन वाइज (1981 से 1996 के बीच जन्मे मिलेनियल्स) और उसके बाद की जनरेशन के युवा सोशल मीडिया पर ज्यादा समय गुजारते हैं। वह अपनी हर खरीदी में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर से प्रभावित होते हैं।

मिस लीडिंग एड के लिए 50 लाख तक जुर्माना

रेडिफ्यूजन के मैनेजिंग डायरेक्टर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन ब्रांड्स के चीफ मेंटर डॉ. संदीप गोयल ने बताया कि ASCI एक टूथलेस बॉडी है। इसकी गाइडलाइन कानूनी रूप से बाध्य नहीं करती, मगर यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार मिस लीडिंग एडवर्टाइजमेंट की बात साबित होती है तो पहली बार में 10 लाख रुपए और बार-बार उल्लंघन पर 50 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है।

पेड रिव्यू समेत फिल्म प्रमोशन भी दायरे में

कई सेलेब सीधा प्रमोशन करने की बजाय अपनी बायो में ब्रांड से जुड़ा लिंक डाल देते हैं, मगर ऐसे में उनको भी बताना होगा कि यह पेड एक्टिविटी है। कुछ सेलेब लंबे अरसे से किसी ब्रांड को एंडोर्स करते आ रहे हैं और सबको इसका पता भी है। फिर भी ऐसी ब्रांड की पोस्ट पर भी उन्हें पेड का टैग लगाना होगा।

डॉ. गोयल कहते हैं कि इंस्टा पर अगर किसी फिल्म के पेड रिव्यू की पोस्ट डाली जा रही है तो उसमें भी बताना होगा कि यह पेड पोस्ट है। आखिर फिल्म या वेब सीरीज भी एक प्रोडक्ट ही है, जिसे बेचा जा रहा है।

शुरू में शायद कम हो जाएं पेड पोस्ट, बाद में फायदा है

डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी अब्रिज एंटरटेनमेंट वेंचर्स की फाउंडिंग पार्टनर्स देवांशी सोढ़ानी और अदिति कनकिया कहती हैं- ‘पेड पार्टनरशिप’ का टैग लगने से पोस्ट की अपील कम हो जाती है। हो सकता है कि शुरू में पेड पोस्ट कम हो जाएं, लेकिन कुछ समय बाद सब इससे सहज होने लगेंगे और इसके फायदे भी दिखाई देंगे। आगे सोशल मीडिया में भी एड ट्रेडिशनल मीडिया की तरह ही दिखने लगेंगे। एक लेवल प्लेइंग फील्ड बनेगा। ब्रांड्स सोशल मीडिया पर नि:संकोच एड करेंगे और अपने क्लेम के बारे में ज्यादा रिस्पॉन्सिबल भी रहेंगे।

अभी सिर्फ 15-20% इन्फ्लुएंसर्स फॉलो कर रहे गाइडलाइन

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एजंसी वावो डिजिटल की सीईओ नेहा पुरी का कहना है- हम सुनिश्चित करते हैं कि ‘पेड पार्टनरशिप’ का टैग लगाया जाए। यह सच है कि आज भी सिर्फ 15 से 20 इन्फ्लुएंसर्स ही यह गाइडलाइन फॉलो कर रहे हैं।

नेहा बताती हैं कि जो ब्रांड अपने मैसेज को लेकर पूरी तरह से भरोसा रखते हैं, उनको अपना संदेश एक पेड एडवर्टाइजमेंट के रूप में दिखे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

सोशल मीडिया प्रमोशन और पारदर्शी बनेगा

नेहा कहती हैं कि ऑडियंस को पता होना चाहिए कि वह किस प्रकार के कंटेंट को कन्ज्यूम कर रहा है। इस गाइडलाइन से मीडिया लिटरेसी बढ़ेगी। ऑर्गेनिक कंटेंट और पेड कंटेंट के बीच एक पतली सी रेखा होती है। अब यह फर्क साफ-साफ दिखेगा, यह अच्छा ही है।

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