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शौर्य के माथे अब गर्व की बिंदी:सेना में स्थायी कमीशन के साथ महिलाएं अब सेनाध्यक्ष भी बन सकेंगी, इसी वर्ष से एनडीए की परीक्षा में शामिल होंगी लड़कियां

सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी को संशोधित अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिए दाखिले पर बाद में फैसला लेगा सुप्रीम कोर्ट

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देश की बेटियां भी अब नेशनल डिफेंस एकेडमी की प्रवेश परीक्षा में हिस्सा ले सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में यह अंतरिम व्यवस्था दी है। इसी वर्ष 14 नवंबर को होने वाली एनडीए की परीक्षा में भी लड़कियों को शामिल किया जाएगा। दाखिले पर फैसला कोर्ट बाद में लेगा। महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन का रास्ता तो पहले साफ हो गया था, एनडीए से प्रवेश पर सर्विसकाल लंबा होने और सैन्य सेवाओं में भूमिका का दायरा बढ़ने से उनके पास पदोन्नत होकर सेनाध्यक्ष तक बनने का मौका होगा।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने कहा कि सेना को महिलाओं के प्रति रवैया बदलना चाहिए। कोर्ट ने यूपीएससी को परीक्षा पर संशोधित अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट में कुश कालरा, संस्कृति मोरे व कई अन्य ने याचिकाएं दायर कर लड़कियों को 12वीं कक्षा के बाद एनडीए की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की थी।

इस बार परीक्षा में एनडीए की 370 सीटों के लिए 4.5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी भाग लेने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र ने कहा था कि नीतिगत मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आपने महिलाओं को सेना में 5-5 साल रखा, स्थायी कमीशन नहीं दिया। वायुसेना व नौसेना अधिक उदार हैं। आपको लैंगिक तटस्थता का सिद्धांत समझना होगा।

कोर्ट रूम लाइव: हमारे कहे बिना सुधार क्यों नहीं होता
जस्टिस कौल (केंद्र सरकार से): 
सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के फैसले को लागू करने के बाद भी अब आप इस दिशा में आगे क्यों नहीं बढ़ रहे। आपका तर्क निराधार है और बेतुका सा लग रहा है। क्या देश की सेना न्यायिक आदेश पारित करने पर ही काम करेगी अन्यथा नहीं? जब तक कोर्ट निर्णय पारित नहीं करता तब तक सेना स्वेच्छा से कुछ भी सुधारात्मक प्रयास करने में विश्वास नहीं करती है।

ऐश्वर्या भाटी (एडिशनल सॉलीसिटर जनरल): हमने सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया है।
जस्टिस कौल (टोकते हुए): जब तक कोर्ट ने आदेश नहीं दिया, तब तक आप विरोध करते रहे। आपने खुद कुछ नहीं किया। लगता है सेना पूर्वाग्रह से ग्रसित है। सेना को महिलाओं के प्रति रवैया बदलना चाहिए।

ऐश्वर्या भाटी: ऐसा नहीं है। सेना में प्रवेश के 3 तरीके हैं। एनडीए, आईएमए व ओटीए। महिलाओं को आईएमए व ओटीए से प्रवेश की अनुमति है।

जस्टिस कौल: सह-शिक्षा समस्या क्यों है?
ऐश्वर्या भाटी: पूरा ढांचा ऐसे ही बना है। यह एक नीतिगत निर्णय है। इससे बाहर नहीं जा सकते।

जस्टिस कौल: आपका नीतिगत निर्णय लैंगिक भेदभाव पर आधारित है। महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के फैसले के मद्देनजर इस मामले पर रचनात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए।

याचिकाकर्ता कक्षा-6 की छात्रा संस्कृति मोरे ने कहा-आर्मी में जाने का मेरा सपना अब पूरा हो सकता है
मैं कक्षा 6 में हूं। मुझे बचपन से आर्मी का क्रेज है। मेरी बुआ का लड़का देहरादून के सैनिक स्कूल में जाने की तैयारी कर रहा है। उसने मुझे एनडीए के बारे में बताया था। फिर पता चला कि वहां लड़कियों को प्रवेश नहीं है। मेरे पापा कैलाश मोरे वकील हैं। मैंने उनसे पूछा कि स्कूल में लड़के-लड़कियां साथ पढ़ सकते हैं तो एनडीए में क्यों नहीं। कुछ दिनों बाद पापा ने कहा कि उन्होंने केस फाइल किया है। आज बताया कि हम जीत गए। मैं बड़ी होकर एनडीए में जा सकूंगी। मैं खुश हूं, अब सपना पूरा होगा।

मुख्य याचिकाकर्ता कुश कालरा ने कहा- अब बेटियों को बराबरी का मौका
लैंगिक असमानता के आधार पर लड़कियों को एनडीए की परीक्षा से वंचित करना समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। मैंने तय किया कि इस पर कुछ करना चाहिए। मैंने मामले में देशभर की लड़कियों के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी। मुझे खुशी है अब बेटियों को बराबरी का मौका मिलेगा।
(जैसा पवन कुमार को बताया)

यह फैसला अच्छा है, एनडीए में लड़कियों को मेरिट से मिले प्रवेश

  • एनडीए की प्रवेश प्रक्रिया में लड़के-लड़कियों के लिए भर्ती से ट्रेनिंग शेड्यूल तक समान स्टैंडर्ड होना चाहिए। लड़कियों के लिए आरक्षण नहीं, प्रवेश मेरिट पर होना चाहिए। एक दिन देश को महिला सैन्य प्रमुख भी मिलेगी। – कमांडर (रिटायर्ड) प्रसन्ना एडिलियम, नौसेना में लैंगिक समानता की जंग लड़ने वाली

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