मोदी, शाह और सोनिया एक साथ:लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बुलाई बैठक, संसद चलाने के मुद्दे पर एक राय बनाने की कोशिश; इस सत्र में 74 घंटे बर्बाद हुए
लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद लाेकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाई। ये बैठक बिड़ला के कक्ष में हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी मौजूद रहे।
बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, द्रमुक के TR बालू, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, YSRCP के मिथुन रेड्डी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और JDU के राजीव रंजन सिंह लल्लन, BSP के रितेश पांडेय और तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव भी शामिल हुए।
बिड़ला ने सभी दलों के नेताओं से आग्रह किया कि भविष्य में सदन में चर्चा और संवाद को प्रोत्साहित किया जाए। चर्चा और संवाद से ही जनता का कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से कुछ सांसदों ने व्यवहार किया, वह ठीक नहीं था। संसद की मर्यादा बनी रहनी चाहिए। इस बारे में सभी पार्टियों को सोचना चाहिए।
सहमति और जिम्मेदारी के साथ चलनी चाहिए कार्यवाही
मीडिया से बातचीत में बिड़ला ने मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चलने पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही सहमति और जिम्मेदारी के साथ चलनी चाहिए, लेकिन चेंबर के पास आकर सांसदों का तख्तियां लहराना, नारे लगाना परंपराओं के खिलाफ है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में हंगामे के कारण महज 22% ही कामकाज हुआ। मेरी कोशिश थी कि सदन पहले की तरह चलता और सभी मुद्दों पर चर्चा होती। सभी सदस्य चर्चा करते, जनता के मुद्दे रखते, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया।
लोकसभा की 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ
उन्होंने बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई। इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ। हंगामे के कारण 96 घंटे में से करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका। कुल 20 बिल पास हुए। इस दौरान OBC से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किए गए। चार नए सदस्यों ने शपथ ली।
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ, जिसे 13 अगस्त को समाप्त होना था। सेशन के दौरान पेगासस जासूसी मामला और केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों और दूसरे मुद्दों पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण कामकाज बाधित रहा। सरकार ने हंगामे के बीच ही कई विधेयकों को पारित कराया।