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पढ़ाई बीच में छोड़ने पर बर्बाद नहीं होगा साल:एकेडमिक बैंक में सुरक्षित रहेगा हर स्टूडेंट का रिकॉर्ड; जानें क्या है ABC और इसके फायदे

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 नई शिक्षा नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिले 1 साल हो चुके हैं। 1986 के बाद यानी 34 साल बाद पहली बार देश की शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। प्राइमरी स्कूल से लेकर हायर एजुकेशन में एडमिशन लेने तक नई शिक्षा नीति में काफी कुछ बदलाव हुए हैं।

इस बदलाव को एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ स्कीम की शुरुआत करेंगे। इस स्कीम का फायदा उन स्टूडेंट्स को मिलेगा, जिन्हें किन्हीं कारणों से बीच मे ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। आइए छात्रों के लिए फायदेमंद इस स्कीम के बारे जानते हैं।

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट क्या है ?
यह एक वर्चुअल स्टोर-हाउस है, जो हर स्टूडेंट के डेटा का रिकॉर्ड रखेगा। इसके लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद वहां पढ़ने वाले हर स्टूडेंट का डेटा स्टोर होना शुरू हो जाएगा। यदि कोई स्टूडेंट बीच में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे टाइम पीरियड के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री दी जाएगी। फर्स्ट ईयर पास करने पर सर्टिफिकेट, सेकेंड ईयर पास करने पर डिप्लोमा और तीन साल या कोर्स पूर करने पर डिग्री दी जाएगी। यह कमर्शियल बैंक की तरह काम करेगा। स्टूडेंट इसके कस्टमर होंगे।

कैसे काम करेगा एकेडमिक बैंक?
एकेडमिक बैंक में स्टूडेंट का अकाउंट खोला जाएगा। इसके बाद उसे एक स्पेशल ID और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन करना होगा। स्टूडेंट्स के एकेडमिक अकाउंट में उच्च शिक्षा संस्थान स्टूडेंट्स को उनके किए जा रहे पाठ्यक्रमों के लिए क्रेडिट दिया जाएगा।

क्या एक ही संस्थान से मिलेंगे सभी क्रेडिट?
इस योजना का फायदा किसी भी इंस्टीट्यूट का छात्र उठा सकता है। शर्त सिर्फ इतनी है कि इंस्टीट्यूट ने अपना रजिस्ट्रेशन इस स्कीम के तहत कराया हो। अलग-अलग संस्थानों में सभी कोर्स नहीं होते, इसलिए किसी भी इंस्टीट्यूट को इसमें शामिल होने की छूट दी गई है। स्टूडेंट को सर्टिफिकेट, डिग्री या डिप्लोमा बैंक में जमा हो रहे क्रेडिट के आधार पर मिलेंगे।

एक बार पढ़ाई छोड़ने पर दोबारा कैसे एंट्री मिलेगी?
ये सारी प्रक्रिया नई शिक्षा नीति को लचीला बनाने के लिए ये स्कीम लाई गई है। इससे स्टूडेंट को अपने हिसाब से पढ़ाई पूरी करने की इजाजत मिलेगी। स्टूडेंट के पास यदि ABC में पुराने रिकॉर्ड जमा हैं तो वह पढ़ाई छोड़ने के बाद कभी भी दोबारा शुरू कर सकता है।

यानी कि स्टूडेंट्स के पास कॉलेज में मल्टिपल एंट्री और एक्जिट का ऑप्शन होगा। इसमें ग्रेजुएशन के लिए 3 से 4 साल के आधार पर डॉक्यूमेंटेशन रखा गया है। एक साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर एडवांस डिप्लोमा, 3 साल पर ग्रेजुएट डिग्री और 4 साल के बाद रिसर्च के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री मिलेगी।

स्टोर क्रेडिट करने का पीरियड क्या होगा?
ABC में स्टोर क्रेडिट की अधिकतम शेल्फ लाइफ 7 साल होगी। इसके बाद इसका फायदा नहीं मिलेगा। यदि इंस्टीट्यूशन में अलग नियम हैं तो उसका फायदा छात्रों को मिल सकता है।

ABC के काम क्या होंगे?
ABC रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट द्वारा दिए गए क्रेडिट को स्टूडेंट्स के अकाउंट्स में जमा करेगा। यह UGC के दिशा-निर्देशों और मानदंडों के मुताबिक क्रेडिट को भी मान्य करेगा। बैंक सिर्फ इंस्टीट्यूट्स के दिए गए क्रेडिट स्वीकार करेगा ना कि स्टूडेंट्स के।

कौन से कोर्स शामिल होंगे?
UGC से मान्य सभी हायर इंस्टीट्यूट के कोर्सेस के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, लॉ और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस को भी कवर करेगा। हालांकि, इनमें से कई कोर्सेस अलग-अलग प्रोफेशनल बॉडी द्वारा रेगुलेट किया जाएगा। क्रेडिट बैंक योजना के लिए उनकी मंजूरी मांगी जाएगी।

इसके अलावा सरकारी ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे SWAYAM, NPTEL, V-Lab या किसी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों पर भी क्रेडिट ट्रांसफर और स्टोर करने के बारे में विचार किया जाएगा।

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