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केंद्र सरकार से 51 हजार 102 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद मांगेगी कैप्टन सरकार, मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी

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चंडीगढ़. काेरोना वायरस के चलते लंबे समय तक रहे लॉकडाउन से सूबे को हुए वित्तीय नुकसान को लेकर अब पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार पर वित्तीय मदद मांगने को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। सूबा सरकार की ओर से तालाबंदी के चलते आए आर्थिक संकट को लेकर केंद्र सरकार से 51 हजार 102 करोड़ की वित्तीय मदद की मांग की जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में इससे संबंधित ज्ञापन को  मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। लेकिन मंत्रिमंडल ने जरूरी संशोधनों को लेकर सीएम को अधिकृत किया है।

इसमें सूबा सरकार ने 21 हजार 500 करोड़ रुपए की डायरेक्ट पैकेज के अलावा कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) के कर्ज को माफ करने के अलावा वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार की सभी योजनाओं में केंद्र से 100% योगदान डालने की मांग की है। केंद्र सरकार की योजनाओं में सूबा सरकार को 60:40 के अनुपात में पैसा डालना होता है।

कोविड-19 के बाद की स्थिति को देखते हुए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए 6603 करोड़ की मांग की है। जिसमें  विज्ञान के एडवांस सेक्टर को बनाना भी शामिल है। सरकार 650 करोड़ लागत की जमीन फ्री में देने की पेशकश कर चुकी है। कोविड को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों को कचरा प्रबंध के लिए 5068 करोड की मांग की है।

बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा के लिए 3073 करोड़ मांगे

सरकार ने स्कूलों की जरूरतों को लेकर 3073 करोड़ रुप की मांग रखी है। सूबा सरकार की ओर से पंजाब के उद्योगों के लिए भी मदद मांगी गई है। जिसमें सरकार ने विशेष रूप से एमएसएमई के लिए ब्याज माफी,ईएसआई,ईपीएफ अंशदान और जीएसटी के रिफंड की मांग की गई है।

सरकार ने नेशनल रोजगार गारंटी एक्ट का प्रावधान करने का भी प्रस्ताव रखा

सरकार के मेमोरेंडम में एग्रीकल्चर और फार्मिंग सेक्टर के लिए 12 हजार 560 करोड़ रुपए की मांग की गई है। जिसमें मुख्य रूप से फार्म गेट के अपग्रेडेशन के लिए। इसके अलावा पशुपालन एवं डेयरी सेक्टर के लिए 1161 करोड़ की मांग की है। शहरों में रोजगार गारंटी के लिए नेशनल रोजगार गारंटी एक्ट का प्रावधान करने का भी प्रस्ताव रखा है। अन्य योजनाओं अमृत, स्मार्ट सिटी, पीएमएवाई सहित अन्य योजनाओं के लिए 2302 करोड़ और रेवन्यू लॉस के लिए 1137 करोड़ रुपये की मांग की है।

दूसरे राज्यों की अपेक्षा पंजाब पर सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ

मंत्रिमंडल ने इस बात की ओर भी ध्यान दिया है कि लॉकडाउन ने सूबा सरकार के 3 वर्षों के मुकाबले के राजस्व के लक्ष्यों को खतरे में डाल दिया है। सूबा सरकार के पास अपने राजस्व जुटाने के सीमित साधन होते हंै। खासतौर पर जीएसटी लागू होने के बाद  जनरल कैटागिरी स्टेट होने के नाते पंजाब पर काफी कर्ज का भार है। पंजाब पर कुल घरेलू उत्पाद की 40.7 फीसद रेशो के हिसाब के साथ कर्ज खड़ा है, जोकि महाराष्ट्र का 17.9 फीसदी, कर्नाटक (18.2 फीसदी)ज़्यादा है।

2020-21 में आय में 30% की कमी आने का अनुमान

2020-21 में राज्य को प्राप्त राजस्व में 30% की कमी के अनुमान के मद्देनजर मंत्रीमंडल ने कई सुधारों को मंजूरी दी है, जिससे पंजाब को कुल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 1.5 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने के योग्य बनाया जा सके।

स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे पड़ाव को मंजूरी

फैसला हुआ कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे पड़ाव को 15वें वित्त कमीशन से प्राप्त ग्रांटें, मगनरेगा और केंद्रीय व राज्य सरकार से स्पांसर स्कीमों को मिला कर लागू किया जाएगा।

कैबिनेट की मीटिंग में मंत्रिमंडल ने गांवों के विकास के लिए लिया फैसला

ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याओं को दूर करने और रोजार सुरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2020 -2022 की नीति को मुख्य कार्यक्रमों के तहत फंड एकत्रित करने का फैसला किया है।

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