चुनावी राज्यों में जोर पकड़ेगा किसान आंदोलन:राकेश टिकैत बोले- दिल्ली की तरह लखनऊ घेरेंगे, उत्तराखंड और पंजाब भी जाएंगे
पिछले करीब 1 साल से दिल्ली की बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन जल्द ही यूपी, पंजाब और उत्तराखंड सहित कई चुनावी राज्यों में भी शुरू हो सकता है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को इन राज्यों में आंदोलन शुरु करने की बात कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरह लखनऊ का भी घेराव किया जाएगा। जिस तरह दिल्ली में चारों तरफ के रास्ते सील हैं, ऐसे ही लखनऊ के भी सील होंगे।
टिकैत ने कहा कि संयुक्त मोर्चा ने फैसला किया है कि देशभर में जाकर किसानों के सामने अपनी बात रखी जाएगी। इसकी तैयारी के लिए 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में बड़ी पंचायत की जाएगी।
ट्रैक्टर रैली निकालना बुरी बात नहीं
राकेश टिकैत ने हरियाणा में जींद के किसानों की तरफ से 15 अगस्त को ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा का समर्थन किया है। टिकैत ने रविवार को कहा कि ट्रैक्टर रैली निकालना कोई बुरी बात नहीं है। जींद के लोग क्रांतिकारी हैं। उन्होंने 15 अगस्त को ट्रैक्टर परेड करने का सही फैसला लिया है। देखते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा आगे क्या फैसला करता है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, हापुड़ और अमरोहा से किसानों के जत्थे दिल्ली आएंगे और 15 अगस्त को सड़कों पर ट्रैक्टर परेड करेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर परेड को राष्ट्रीय ध्वज के साथ देखना गर्व का क्षण होगा। इसे देशभक्ति की भावना और मजबूत होगी।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में ही हुआ था बवाल
टिकैत का यह बयान ऐसे समय सामने आया है, जब कुछ ही महीने पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की वजह से ही दिल्ली की सड़कों पर किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई थी। इस दौरान कुछ उपद्रवी ऐतिहासिक लाल किले में पहुंच गए थे और तिरंगे का अपमान किया था। इसके बाद टकराव और बढ़ गया था।
हरियाणा सरकार से मांग की
टिकैत ने हरियाणा सरकार से स्वतंत्रता दिवस पर जींद में किसानों को झंडा फहराने की अनुमति देने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘अगर जींद के क्रांतिकारी लोगों ने ठान लिया है कि वे मंत्रियों को अपने गांवों में तिरंगा नहीं फहराने देंगे, तो वे ऐसा ही करेंगे। ऐसे में मंत्री झंडा फहराकर क्या करेंगे? यह किसानों को करने दिया जाए।
जंतर-मंतर पर किसान संसद लगा रहे किसान
टिकैत इन दिनों जंतर मंतर पर किसान संसद लगा रहे किसानों के साथ बैठे हैं। हर दिन 200 किसान साइट पर आते हैं और सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक धरना देते हैं। इसके जरिए पिछले साल सितंबर में संसद में पारित 3 कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग आठ महीने से चल रहे उनके विरोध में जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं।