पंजाब की ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा कैप्टन अमरिंदर को पड़ा भारी, झेलना पड़ा साथियाें का भी विरोध, ताजपोशी पर प्रियंका को बुला एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं सिद्धू, दुविधा में पड़़ेंगे अमरिंदर
नवजोत सिद्धू ने अमृतसर में दिखाई ताकत, कांग्रेस के 83 विधायकों में से 62 आए साथ, कमजोर पड़े कैप्टन,
♣Rift in Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह का बड़ा कारण राज्य की नौकरशाही (Bureaucracy) को भी माना जा रह है। दरअसल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर काे राज्य की नौकरीशाही पर काफी अधिक भरोसा करना भारी पड़ गया। कई मौके ऐसे आए जब कैप्टन मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं से विवाद के मामले में नौकरशाही के पक्ष में खड़े दिखे। चाहे वह मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार का हो या पूर्व मुख्य सचिव करण अवतार सिंह का मामला हो, कैप्टन अफसराें के साथ नजर आए।
विधायकों व मंत्रियों की मांग को दरकिनार किया जाना विरोध का कारण
पाटी में विवाद काे लेकर हुई ‘सुनवाई’ में हाईकमान के पास कई नेताओं ने सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाए। करीब डेढ़ महीने से जारी अंतर्कलह के के बीच नवजोत सिंह सिद्धूको पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया। जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध का एक बड़ा कारण नेताओं के बजाय कैप्टन की ओर से ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा करना भी रहा। अब कांग्रेस के अंदर इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अगर कैप्टन ने समय रहते ब्यूरोक्रेसी के बजाय नेताओं की मांगों और बातों पर ध्यान दिया होता तो अब असहज न होते।
हाई कोर्ट की ओर से कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर आए फैसले से शुरू हुए विवाद के बाद नवजोत सिंह सिद्धू समेत मंत्री सुख¨जदर रंधावा ने अपनी ही सरकार हल्ला बोलना शुरू किया। कैप्टन इस रवैये से इतने नाराज हुए कि एक कैबिनेट बैठक में ही एक मंत्री को जमकर डांटा। साथ ही कहा कि जो मंत्री बनकर काम नहीं कर सकते वह जा सकते हैं।
कई मौकों पर ब्यूरोक्रेट्स का साथ देते नजर आए कैप्टन
ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा कैप्टन अमरिंदर को पड़ा भारी, झेलना पड़ा साथियाें का भी विरोध
पंजाब कांग्रेस में खींचतान की बड़ी वजह राज्य की नौकरशाही भी मानी जा रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा करना भारी पड़ गया और उनको अपने करीबियों का भी विरोध झेलना पड़ा है।
विधायकों व मंत्रियों की मांग को दरकिनार किया जाना विरोध का कारण
पाटी में विवाद काे लेकर हुई ‘सुनवाई’ में हाईकमान के पास कई नेताओं ने सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाए। करीब डेढ़ महीने से जारी अंतर्कलह के के बीच नवजोत सिंह सिद्धूको पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया। जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध का एक बड़ा कारण नेताओं के बजाय कैप्टन की ओर से ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा करना भी रहा। अब कांग्रेस के अंदर इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अगर कैप्टन ने समय रहते ब्यूरोक्रेसी के बजाय नेताओं की मांगों और बातों पर ध्यान दिया होता तो अब असहज न होत
हाई कोर्ट की ओर से कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर आए फैसले से शुरू हुए विवाद के बाद नवजोत सिंह सिद्धू समेत मंत्री सुख¨जदर रंधावा ने अपनी ही सरकार हल्ला बोलना शुरू किया। कैप्टन इस रवैये से इतने नाराज हुए कि एक कैबिनेट बैठक में ही एक मंत्री को जमकर डांटा। साथ ही कहा कि जो मंत्री बनकर काम नहीं कर सकते वह जा सकते हैं।
अंतर्कलह बढ़ा तो पार्टी हाईकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। कमेटी के गठन के साथ ही मंत्रियों और विधायकों को ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ भड़ास निकालने का मौका मिल गया। सिंचाई मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया सहित कुछ मंत्रियों और विधायकों ने तो कैप्टन के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सरकारिया और सुरेश कुमार के मामले में कैप्टन अमरिंदर ने सुरेश कुमार का साथ दिया जिससे सरकारिया नाराज हो गए। इससे पहले तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पूर्व चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह के खिलाफ शराब नीति को लेकर नाराज रहे।
वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी उनके साथ थ। दोनों ने कैबिनेट मीटिंग में बैठने तक से इन्कार कर दिया। परंतु तब भी कैप्टन ने करण अवतार ¨सह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में उन्हें वाटर रेगुलेटरी अथारिटी का चेयरमैन बना दिया।
दूसरी तरफ चुनाव नजदीक आते देख विधायक पंजाब निर्माण योजना के तहत अपने-अपने हलकों के लिए 25-25 करोड़ रुपये में मांग रहे हैं। इसे लेकर भी ब्यूरोक्रेसी और विधायकों के बीच में तनी हुई है। ब्यूरोक्रेसी उन्हें प्रोजेक्ट आधारित पैसा देने की बात कर रही है जबकि विधायक चाहते हैं कि वह तय करें कि कहां, कैसे और कितना पैसा लगाया जाना है। वहीं कई मंत्रियों और विधायकों को शिकायत है जिलों में उनकी पसंद के अफसर नहीं लगाए जा रहे हैं। उन जिलों में यह ज्यादा दिक्कत है जहां जिले से दो-दो मंत्री हैं।
कइयों की दिक्कत इससे अलग है। पूर्व मंत्री और कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए जिले में एसएसपी रहीं कंवरदीप कौर को लेकर आरोप लगाए थे कि उन्होंने एक नशा तस्कर के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा तो एसएसपी ने ऐसा नहीं किया।
पिछले साल नवांशहर के विधायक अंगद सिंह ने पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार को शिकायत की थी कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने एसडीएम नवांशहर जगदीश सिंह जौहल के खिलाफ भी शिकायत की थी। इसी तरह जालंधर वेस्ट के विधायक सुशील रिंकू ने नगर निगम में ज्वाइंट कमिश्नर रहीं आशिका जैन के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मोर्चा खोल दिया था। लुधियाना नार्थ से विधायक राकेश पांडे ने भी आरोप लगाए थे कि निगम कमिश्नर उनके क्षेत्र के पार्षदों के विकास कार्य नहीं करवाते हैं।
नवजोत सिद्धू ने अमृतसर में दिखाई ताकत, कांग्रेस के 83 विधायकों में से 62 आए साथ, कमजोर पड़े कैप्टन
नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को अमृतसर में अपनी ताकत दिखाई। सुबह से चले घटनाक्रम में उन्होंने कांग्रेस के 62 विधायकों के साथ श्री दरबार साहिब में माथा टेका। उसके बाद वह जलियांवाला बाग में नतमस्तक होते हुए श्री दुर्गियाणा मंदिर पहुंचे और वहां पूजा की।
दरबार साहिब में माथा टेकने से पहले सिद्धू कैम्प ने अपनी ताकत दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ा और दावा किया कि पंजाब में कांग्रेस के 77 विधायकों में से 62 एमएलए उनके साथ हैं जिनमें 4 मंत्री भी है। अगर इस दावे पर यकीन करें तो औपचारिक रूप से कुर्सी संभाले बगैर ही नवजोत सिद्धू बड़ी संख्या में विधायकों को अपने खेमे में लाकर विरोधियों को यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि उन्हें हल्के में लेने की चूक भारी पड़ सकती है।
दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी में ही इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि सिद्धू कैम्प का दावा कितना खरा है क्योंकि उनके साथ जो नेता दरबार साहिब पहुंचे, उनमें कई विधायक नहीं थे जैसे कि सुनील जाखड़, शेर सिंह घुबाया, हरमिंदर जस्सी, पंजाब यूथ कांग्रेस प्रधान बरिंदर ढिल्लों और नए कार्यकारी प्रधान बने पवन गोयल। हां, ये बात काफी हद तक सही है कि विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी प्रधान बने सिद्धू के स्वागत में जो गर्मजोशी दिखाई, उससे कैप्टन खेमे में हलचल जरूर है।
117 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में कांग्रेस के 77 विधायक हैं। आम आदमी पार्टी के 3 विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। बड़ी संख्या में विधायकों के अलावा कैप्टन सरकार में ‘माझा ब्रिगेड’ कहलाने वाले पंचायतीराज मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा, सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और राजस्व मंत्री सुख सरकारिया के अलावा तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत चन्नी भी सिद्धू कैंप में पहुंच गए हैं। ऐसे में पंजाब की सियासी फिजा में सबसे बड़ा सवाल यही है कि विधायकों-मंत्रियों के इतनी जल्दी और इतनी बड़ी संख्या में पाला बदलने के मायने क्या हैं? वह भी तब जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास कैबिनेट विस्तार का ‘ट्रंप कार्ड’ मौजूद है।
ये मंत्री-विधायक दिखे सिद्धू के साथ
कार्यकारी प्रधान संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी और कुलजीत सिंह नागरा के अलावा तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, चरणजीत सिंह चन्नी, परगट सिंह, तरसेम सिंह डीसी, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, डॉ. राजकुमार वेरका, सुनील दत्ती, बावा हैनरी, मदनलाल जलालपुर, अंगद सैनी, इंद्रबीर सिंह बुलारिया, हरमिंदर सिंह गिल, दविंदर सिंह घुबाया, सुरजीत सिंह धीमान, दीपंदर सिंह ढिल्लों, जोगिंदर पाल, हरजोत कमल, निर्मल सिंह मानशाहिया, सुरिंदर डाबर, प्रीतम कोटभाई, मदन लाल बग्गा, दर्शन सिंह बराड़, कुलबीर जीरा, परमिंदर पिंकी, गुरकीरत सिंह कोटली, वरिंदरजीत पाहड़ा, कुशलदीप किक्की ढिल्लों, सुरजीत सिंह काका लोहगढ़ और आम आदमी पार्टी से आए जगदेव सिंह कमालू और पीरमल सिंह खालसा।
पढ़िए 5 बड़े कारण… जिनकी वजह से सिद्धू संग जुट रहे मंत्री-विधायक
- टिकट की चिंता: पंजाब में 7 महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुरजोर विरोध के बावजूद जिस तरह सिद्धू को प्रधान बनाया है, उसे देखते हुए विधायकों को लग रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में भी कैप्टन से ज्यादा सिद्धू की चलेगी।
- हाईकमान की नाराजगी का डर: सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपने का फैसला पार्टी हाईकमान यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी का है। सिद्धू की ताजपोशी न कैप्टन रोक सके और न ही पंजाब के सांसद। ऐसे में सिद्धू से दूरी हाईकमान को नाराज कर सकती है और कोई भी विधायक यह रिस्क लेने के मूड में नहीं है।
- जीत की उम्मीद : पंजाब में कैप्टन सरकार की साढ़े 4 साल की कारगुजारी से उनके ही विधायक खुश नहीं हैं। बेअदबी, ड्रग्स, खनन माफिया-ट्रांसपोर्ट माफिया पर कार्रवाई जैसे जिन बड़े मुद्दों को लेकर कैप्टन सत्ता में आए थे, वह हल नहीं हुए। ऐसे में दो महीने पहले तक कांग्रेसी विधायकों को लग रहा था कि कैप्टन के सहारे अगला चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। अब उन्हें सिद्धू के रूप में उम्मीद की किरण नजर आ रही है। सरकार की नाकामी का ठीकरा कैप्टन पर फूटेगा।
- कैप्टन से नाराजगी : कांग्रेस के ज्यादातर विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह से इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि वह उनकी पहुंच से हमेशा दूर रहे। सूबे में अपने और समर्थकों के काम नहीं होने की शिकायत भी एमएलए कैप्टन तक नहीं पहुंचा सके। हाईकमान तक सीधी पहुंच और पंजाब में संगठन के भीतर कैप्टन के दबदबे की वजह से अब तक किसी ने मुंह नहीं खोला लेकिन हाईकमान ने जैसे ही सिद्धू पर दांव खेला, सब उनके साथ आ गए।
- अफसरशाही से परेशानी : कैप्टन सरकार में कांग्रेस विधायकों को सबसे बड़ी दिक्कत अफसरों से रही। एमएलए सरेआम कहते रहे हैं कि सरकार बेशक कांग्रेस की है मगर आज भी कांग्रेस नेताओं से ज्यादा अकालियों की चलती है। कैप्टन के कई मंत्री भी सरेआम कैप्टन के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार को ज्यादा तरजीह मिलने का दुखड़ा रो चुके हैं।
जानिए… क्यों बेअसर होता नजर आ रहा कैप्टन का ‘ट्रंप कार्ड
CM कैप्टन अमरिंदर सिंह को कैबिनेट में फेरबदल करना है और इसके लिए उन्हें कांग्रेस हाईकमान से फ्री हैंड मिला है। इसके बावजूद कांग्रेस के ज्यादातर एमएलए मंत्री बनने के इच्छुक नहीं हैं। उनका मानना है कि महज 6 महीने के लिए मंत्री बनकर कोई फायदा नहीं होने वाला। उल्टा लोगों की नाराजगी और बढ़ेगी। कैप्टन के मंत्री बनने की जगह वह सिद्धू के साथ चलकर कह सकते हैं कि कैप्टन ने उनकी सुनवाई नहीं की। वैसे भी, पंजाब में अगले साल जनवरी-फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
संगठन और सरकार में टकराव के बहाने हाईकमान अब कैप्टन पर बढ़ाएगा सुलह का दबाव नवजोत सिंह सिद्धू के दावे के मुताबिक अगर 62 विधायक उनके साथ हैं तो फिर सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब कैप्टन क्या करेंगे? कैप्टन अमरिंदर सिंह कह चुके हैं कि जब तक सिद्धू उन पर लगाए गए आरोपों के लिए सार्वजनिक माफी नहीं मांगते, वह उनसे नहीं मिलेंगे। मौजूदा माहौल और सिद्धू के कैरेक्टर को देखा जाए तो वह इन आरोपों के लिए माफी मागेंगे, इसकी संभावना बहुत कम है। ज्यादातर कांग्रेसी भी मानते हैं कि नवजोत सिद्धू पार्टी संगठन के सूबा प्रधान हैं और उन्हें माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं। मंत्री सुखजिंदर रंधावा और तृप्त राजिंदर बाजवा के अलावा विधायक मदन जलालपुर व परगट सिंह भी सिद्धू के माफी मांगने के पक्ष में नहीं हैं। दूसरी तरफ कैप्टन की झुकने की उम्मीद भी नहीं है। ऐसे हालात में सरकार और संगठन में टकराव बढ़ा तो हाईकमान दखल देते हुए कैप्टन पर सुलह के लिए दबाव बढ़ा सकता है।
क्या ताजपोशी मिटाएगी दिलों की दूरियां?
23 जुलाई यानी शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन में नवजोत सिद्धू की औपचारिक ताजपोशी है। वहां पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी आएंगे। देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या उस समय रावत सिद्धू और कैप्टन की दिलों की दूरियां मिटा पाते हैं या नहीं? नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ही बनाए गए 4 कार्यकारी प्रधानों में से एक- कुलजीत नागरा ने कैप्टन से 23 जुलाई को पंजाब कांग्रेस भवन आने की अपील पहले ही कर दी है। सिद्धू कैम्प का कहना है कि इस ताजपोशी के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को बाकायदा औपचारिक निमंत्रण भी भेज जाएगा।
अमृतसर, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रधान बनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू बुधवार को अमृतसर में शक्ति प्रदर्शन किया। कांग्रेस के 83 में से 62 विधायकों के साथ उन्होंने श्री दरबार साहिब में माथा टेका। उनके साथ पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ भी मौजूद रहे। श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने के बाद वह जलियांवाला बाग और श्री दुर्गियाणा मंदिर भी पहुंचे और माथा टेका। यह पूरी कसरत नए पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू का ‘पावर शो’ है। इससे सिद्धू के पंजाब कांग्रेस में मजबूत होने और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के कमजोर पड़ने का संकेत मिलता है
इससे पहले, सुबह श्री दरबार साहिब में काफी संख्या में लाेग उमड़ पड़े। पूरा परिसर कांग्रेसियों से अटा पड़ा रहा। इससे पहले होली सिटी स्थित उनकी कोठी पर सुबह कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा बड़ी संख्या में विधायक पहुंचे। श्री दरबार साहिब परिसर में दाखिल होते ही सिद्धू व विधायकों ने ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के जयकारे लगाए। खास बात यह भी रही कि पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ भी सिद्धू के साथ नजर आए
दोपहर करीब 01:40 बजे सिद्धू माथा टेकने के लिए मुख्य भवन में दाखिल हुए। नवजोत सिंह सिद्धू और उनके साथी विधायकों की टीम करीब डेढ़ घंटा श्री दरबार साहिब परिसर में रही। सिद्धू ने दंडवत होकर माथा टेका और सारी टीम के साथ परिक्रमा की। इसके बाद सिद्धू अपनी टीम के साथ दरबार साहिब से वापस रवाना हो गए। लौटते समय सिद्धू खेमे की बस जलियांवाला बाग के बाह भी रुकी। सभी वहां नतमस्तक हुए और दोबारा बस में सवार हो गए। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सिद्धू की कोठी पर कांग्रेस के 83 में से 62 विधायक पहुंचे। ऐसे में सिद्धू मजबूत दिख रहे हैं और सवाल उठ रहे हैं कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह कमजोर पड़ गए हैं।।।
ताजपोशी पर प्रियंका को बुला एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं सिद्धू, दुविधा में पड़़ेंगे अमरिंदर
पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ताजपोशी के मौके पर एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। सिद्धू इसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को बुलाना चाहते हैं और इसके लिए कोशिश कर रहे हैं। इससे कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए दुविधा में पड़ सकते हैं।
पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की शुक्रवार को ताजपोशी होगी। उसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी कार्यभार संभालेंगे। सिद्धू इस मौके पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को बुलाना चाहते हैं और इसके लिए कोशिश में जुटे हुए हैं। दरअसल प्रियंका को बुलाकर सिद्धू एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। प्रियंका यदि आती हैं तो सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सिद्धू की ताजपोशी समारोह से दूर रहना मुश्किल हो जाएगा और उनके लिए दुविधा खड़ी हाे जाएगी। बता दें कि कैप्टन ने कहा है कि सिद्धू के बिना माफी मांगे वह उससे नहीं मिलेंगे।
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू इस समारोह में प्रियंका गांधी को समारोह में बुलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने से सिद्धू एक तीर से दो निशाने साध सकते हैं। पहला यह कि यदि प्रियंका गांधी आती हैं तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को समारोह में आना पड़ेगा। दूसरा, पूरी पार्टी में यह संदेश जाएगा कि हाईकमान सिद्धू की बात नहीं टालती। ऐसे में सभी का उनके साथ चलना ही पड़ेगा।
लाल सिंह निभा सकते हैं कैप्टन को मनाने में भूमिका
नवजोत सिंह सिद्धू के शुक्रवार को ताजपोशी समारोह से पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार मंत्रियों सुखजिंदर सिंह रंधावा व तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लाल सिंह से बात कर उन्हें कैप्टन को मनाने के लिए कहा जा रहा है।
कांग्रेस कमेटी की ओर से नागरा आज लेकर जाएंगे कैप्टन के पास नए अध्यक्षों की ताजपोशी का न्यौता
वीरवार को कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा शिष्टमंडल के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह को समारोह का न्यौता देने जाएंगे। उनके साथ जाने वाले नेताओं के नाम अभी तय नहीं हुए हैं। सूत्रों के अनुसार किसी के अहं को चोट न पहुंचे इसलिए यह न्यौता कांग्रेस पार्टी की ओर से कैप्टन को दिया जाएगा न कि व्यक्तिगत तौर पर।
संकट काल में कैप्टन से मिले पूर्व मंत्री राणा, मिटने लगी दूरियां
कांग्रेस में पावर की खींचतान के बीच बुधवार को कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। इस दौरान स्पीकर राणा केपी सिंह भी मौजूद थे। कैप्टन और राणा की यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद वह मुख्यमंत्री से दूर हो गए थे।
वह ऐसे विधायक हैं जो कैप्टन के साथ मन-मुटाव होने के बावजूद कांग्रेस की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी के समक्ष कैप्टन के पक्ष में बोलकर आए थे। कैप्टन की ओर से विधायक सुखपाल खैहरा को कांग्रेस शामिल करने पर भी राणा काफी नाराज थे। एक समय यह चर्चा भी रही कि राणा कांग्रेस छोड़ सकते हैं, परंतु सिद्धू के साथ दूरियों के बीच राणा एक बार फिर कैप्टन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। मंत्रिमंडल छोड़ने से पहले वह कैप्टन के सबसे करीबी लोगों में शामिल रहे हैं।