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राजस्थान की तर्ज पर पंजाब सरकार दें इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता: हेमंत सेठिया* अलकेमी रिसर्च लैब, बठिंडा, पंजाब का किया दौरा

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा को देश में मान्यता के लिए सभी चिकित्सक पारदर्शिता से करें काम

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*बठिंडा* । राजस्थान इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा परिषद के चेयरमैन डाक्टर हेमंत सेठिया जयपुर ने बठिंडा(पंजाब) में इंडस्ट्रियल एरिया में अलकेमी रिसर्च लैब का दौरा किया। डाक्टर हेमंत सेठिया ने राजस्थान में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में देश का जाना पहचाना नाम है। इस मौके उन्होंने इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की मान्यता के लिए पिछले 22 साल से संघर्ष कर रहे अलकेमी रिसर्च लैब और सीसीएम इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी, बठिंडा के मैनेजिंग डायरेक्टर डाक्टर प्रोफेसर हरविंदर सिंह से लंबी चर्चा की। पत्रकारों से बातचीत करते डाक्टर हेमंत सेठिया ने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को देश भर में मान्यता दिलाने को केन्द्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में बनाई आई.डी.सी कमेटी के पास प्रपोजल विचाराधीन है। इस सबंधी कई बैठकें हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इन मीटिंग्स में पाज़िटिव रिस्पांस मिला है।

 

 

पंजाब में भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए डाक्टर प्रोफेसर हरविंदर सिंह जोर लगा रहे हैं। राजस्थान के सभी इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा से जुड़े प्रेक्टिशिनियर डाक्टर हरविंदर सिंह के साथ है। डाक्टर सेठिया ने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सक पारदर्शिता से काम करें। उन्होंने कहा कि अलकेमी रिसर्च लैब बहुत बढ़िया काम कर रही है।

पत्रकारों से बातचीत करते अलकेमी रिसर्च लैब और सीसीएम इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी, बठिंडा, इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भी हैं ने कहा कि पिछले 100 साल से देश में विश्व की पांचवीं चिकित्सा पैथी इलेक्ट्रो होम्योपैथी अपने वजूद के लिए लड़ रही है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रो होमियोपैथी एक स्वतंत्र व सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति हैं जो विश्व के अनेक देशों में विकल्प के रूप में अपनाई जा रही हैं,यह मूलतः इटली की पद्धति हैं जिसका आविष्कार सन 1865 में डॉ काउंट सीजर मैटी ने किया, डॉ मैटी ने इस पद्धति के नाम में तीन शब्दों का प्रयोग किया जिसमें “इलेक्ट्रो” शब्द का अर्थ त्वरित या बिजली से लिया गया जो वनस्पति विद्युतीय शक्ति को तथा दवा की कार्य प्रणाली को इंगित करता हैं।

“होमियो” शब्द शरीर की संतुलनावस्था अर्थात ‘होमियोस्टेटिस’ पर केंद्रित है और “पैथी” शब्द चिकित्सा विज्ञान की ओर इंगित करता हैं। अतः इलेक्ट्रो होमियोपैथी वह पद्धति है जिसमे वनस्पतीय औषधियों की तीब्र कार्य प्रणाली से शरीर के रोगों ठीक करने की अद्दभुत क्षमता हैं।चूंकि मानव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है अतः पंचतत्व के समान गुण धर्म वाली 114 वनस्पतियो को ही इलेक्ट्रो होमियोपैथी की दवा निर्माण में शामिल किया गया हैं। जिन्हें शरीर के ऑर्गनवाइज नौ वर्गों में व्यवस्थित किया गया हैं। कारण कि मानव शरीर में फंग्सनल सिस्टम नौ ही हैं। इस विधा में रोग की चिकित्सा नही अपितु अंगों की चिकित्सा की जाती हैं। क्योंकि शरीर के अंगों की क्रिया बढ़ने या घटने से ही कोई न कोई रोग उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार इलेक्ट्रो होमियोपैथी की औषधिया आधार,संरचना और सिद्धांत के अनुसार मानव शरीर का दूषित रक्त व लसिका को शुद्ध कर रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करते हुये अंगों की क्रिया को ठीक करते हुये रोग को जड़ से समाप्त करती हैं यह सरल,सस्ती,हानिरहित व रोगों पर तत्काल प्रभाव दिखाने वाली विधा है जिसमे गंभीर से गंभीर रोगों का उपचार आसानी से संभव हो रहा है। इस मौके पर ईएच एफ महासचिव डा. वरिंदर कौर, डा. परमिंदर सिंह, डा. स्वामी नाथ, डा. राजवीर कौर, डाक्टर नरेश भंडारी, डाक्टर बलदेव रत्न, डा. जसविंदर सिंह, डा. हरबंस सिंह, डॉ. एसएस चौहान, डा. मनदीप सिंह, डा. कमलकांत, डा. बलजीत सिंह, डा. गुरप्रीत सिंह आदि खास तौर पर उपस्थित थे।

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