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देश में पूरी तरह छाने से पहले ही रूठा मानसून; अभी कहां अटका है मानसून और कब तक होगी दोबारा झमाझम बारिश, जानिए सबकुछ

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देश में मानसून पूरी तरह छाने से पहले ही रूठ गया है। कहीं ज्यादा, कहीं कम बारिश के बीच अब मानसून ब्रेक पर चला गया है। इसके चलते कई इलाकों में गर्मी बढ़ने लगी है। राजधानी दिल्ली में एक जुलाई को पारा 43.5 डिग्री को छू गया। 9 साल में ये पहली बार हुआ है, जब राजधानी में जुलाई में इतनी गर्मी पड़ रही है।

उत्तर भारत के राज्यों में पारा सामान्य से 7 डिग्री तक ऊपर चल रहा है। एक तरफ मानसून की इस बेरुखी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं, वहीं दूसरी तरफ कोरोना से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए भी ये अच्छी खबर नहीं है।

भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक केजे रमेश से समझते हैं, मानसून पर ब्रेक क्यों लग गया है, कब तक आपको गर्मी परेशान करती रहेगी और इस ब्रेक का मानसून की ओवरऑल बारिश पर कितना असर होगा…

सबसे पहले समझिए मानसून ब्रेक क्या होता है?
भारत में जून से सितंबर तक 4 महीने मानसून के होते हैं। इस दौरान मानसूनी हवाओं की वजह से पूरे देश में बारिश होती है। हालांकि इन 4 महीनों के दौरान कई बार एक या दो हफ्ते तक बारिश नहीं भी होती है, इसे ही मानसून ब्रेक कहा जाता है। यानी मानसून कुछ समय के लिए ब्रेक पर चला जाता है। मानसून के इस ब्रेक के पीछे अलग-अलग वजहें होती हैं।

इस बार का मानसून ब्रेक कुछ अलग है क्या?
देश में 4 महीने बरसात के मौसम के दौरान मानसून ब्रेक लेता रहता है। इस बार के मानसून ब्रेक में अलग बात ये है कि मानसून पूरे देश में छाने से पहले ही ब्रेक मोड में पहुंच गया है। अक्सर ऐसा होता है कि जुलाई अंत या अगस्त की शुरुआत तक पूरे देश में पहुंचने के बाद मानसून ब्रेक लेता है, लेकिन इस बार पूरे देश में छाने से पहले ही मानसून ब्रेक पर चला गया है।

इस मानसून ब्रेक की वजह क्या है?
पिछले करीब दो हफ्ते से मानसूनी बादलों के आगे बढ़ने पर ब्रेक लग चुका है। इसके पीछे पश्चिमी विक्षोभ को वजह माना जा रहा है। इस वजह से पश्चिम की ओर से तेज और गर्म हवाएं चल रही हैं। ये हवाएं पूर्व की ओर से आने वाली मानसूनी हवाओं को ब्लॉक कर आगे बढ़ने से रोक रही हैं इसी वजह से मानसूनी हवाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।

कब तक फिर से एक्टिव हो सकता है मानसून?
7 जुलाई तक देश को ऐसी ही गर्मी का सामना करना पड़ेगा। 7 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। उम्मीद है कि इसके बाद मानसून फिर से रफ्तार पकड़ेगा।

अभी कहां तक पहुंच गया है मानसून?
30 जून तक पूर्वी राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ़ के कुछ हिस्सों को छोड़कर मानसून पूरे देश में फैल चुका है। हालांकि मानसून रेखा बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अंबाला और अमृतसर में दो हफ्ते से अटकी हुई है। आमतौर पर 8 जुलाई तक मानसून पूरे देश में छा जाता है, लेकिन इस बार इसमें एक हफ्ता ज्यादा लग सकता है।

एजेंसियों ने इस बार मानसून कैसा रहने की उम्मीद जताई थी?
वेदर एजेंसी स्काईमेट ने इस साल देश में 907 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना जताई थी। यानी पूरे देश में सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। दरअसल, पूरे भारत में मानसून के 4 महीने के दौरान औसत 880.6 मिलीमीटर बारिश होती है, जिसे लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) कहते हैं। यानी 880.6 मिलीमीटर बारिश को 100% माना जाता है। इस साल 907 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना है। यानी पूरे देश में मानसून सामान्य या बेहतर रह सकता है।

अभी तक कितनी बारिश हुई?
IMD के मुताबिक मानसून के दौरान जून में देशभर में 167 मिलीमीटर बारिश होती है, इस बार 183 मिलीमीटर बारिश हुई है। यानी मानसून के पहले महीने में सामान्य से 10% ज्यादा बारिश हुई है। देश के बाकी इलाकों के मुकाबले मध्य भारत में 17% ज्यादा बारिश हुई है।

क्या इससे मानसून की ओवरऑल बारिश पर असर पड़ेगा?
शायद नहीं। पूरे भारत में जून महीने के दौरान ही औसत से 10% ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग ने जुलाई में 277 मिलीमीटर बारिश होने का अनुमान जताया था। अगर जुलाई के शुरुआती 10 दिनों में मानसून नाराज रहता है, तब भी उम्मीद है कि बाद के 20 दिनों में झमाझम बारिश हो सकती है, लेकिन अगर 10 दिन बाद भी मानसून एक्टिव नहीं होता है तो इसका सीधा-सीधा असर खरीफ फसल की बुआई पर पड़ेगा।

मानसून सामान्य है या अच्छा है, इसे कैसे नापा जाता है?

पूरे देश में हुई औसतन बारिश को लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है।

  • लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 90 से 110% के बीच हुई बारिश को सामान्य माना जाता है।
  • लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 90% से कम बारिश को सामान्य से कम माना जाता है।
  • लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 110% से ज्यादा बारिश को सामान्य से ज्यादा माना जाता है।

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