व्यापारियों व कर्मचारियों को हक दिलाने के लिए 7 जुलाई को श्री हरिमंदिर साहब के लिए शुरू करेंगे पैदल यात्रा: अमरजीत मेहता
बठिंडा। पंजाब सरकार द्वारा जारी की गई पे कमीशन की रिपोर्ट से पंजाब के कर्मचारी वर्ग में रोष की लहर देखने को मिल रही है। इसके अलावा किसानों पर काले कानून व मजदूरों पर इंडस्ट्री बंद होने के कारण पड़ी मार तथा अब कर्मचारियों के वेतन में कटौती के कारण पंजाब की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। उक्त बातें पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के सीनियर उप प्रधान अमरजीत मेहता ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार की लोकविरोधी नीतियों के कारण ऐसे हालात बने हैं। मेहता ने कहा कि समाज के लिए शिक्षा, सेहत व सुरक्षा अहम ढांचे होते हैं, पर इस सरकार ने तीनों मूलभूत सुविधाओं को समाप्त करने का प्रयास पे-कमिशन रिपोर्ट में किया है, जिसमें अध्यापकों, पुलिस कर्मियों और डाक्टरों को कुछ खास नहीं दिया गया व उनके वेतनमान में कटौती कर दी गई। मेहता ने कहा कि कोरोना महामारी दौरान लोगों की सेवा करते समय जान गंवाने वाले कोरोना पीड़ित कर्मचारियों का पिछले 2 वर्षों के दौरान एक रुपए का भी बिल सरकार द्वारा पास नहीं किया गया और यह रकम करीब 90 करोड़ रुपए बनती है, जो सरकार के पास इन कोविड पीड़ित कर्मचारियों की बकाया पड़ी है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त मुद्दों को लेकर रोष के तौर पर पैदल यात्रा शुरू की जा रही है, जो सात जुलाई को भाई घन्हैया चौक से शुरू होकर श्री हरिमंदिर साहब, श्री अमृतसर साहब में समाप्त होगी। इस पैदल यात्रा का मुख्य मकसद किसान, मजदूर, कर्मचारी व व्यापारियों को आ रही समस्याओं और आर्थिक तंगी तथा सरकार की गलत नीतियों के प्रति लोगों को लामबंद करना है, क्योंकि जहां काले कानूनों के कारण किसानों पर मार पड़ रही है, फसलों के पूरे भाव नहीं आ रहे, मजदूरों को दिहाड़ी नहीं मिल रही, उसी तरह यदि कर्मचारियों को उनके हक नहीं मिलेंगे तो फिर व्यापारी कहां जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि इन तीनों ही वर्गों के पास पैसा होगा तो ही पंजाब का व्यापार चलेगा, क्योंकि किसी भी स्टेट के आर्थिक खुशहाली के लिए यही चार स्तम्भ अहम स्थान रखते हैं और आज पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण चारों स्तम्भ किसान, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी आर्थिक तंगियों का शिकार हो रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव मैनीफैस्टो में जो वादे किए वह सिर्फ चुनावी वादे बनकर रह गए। व्यापारियों को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का वादा भी कागजों तक सीमित होकर रह गया। सरकार के मंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपस में लड़ रहे हैं, जिनको जनता की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी व सभी जत्थेबंदियों को भी कहा कि वह भी इस पैदल यात्रा का हिस्सा बनें ताकि कैप्टन सरकार से बनते हक लिए जा सकें।
उन्होंने कहा कि यदि इन तीनों ही वर्गों के पास पैसा होगा तो ही पंजाब का व्यापार चलेगा, क्योंकि किसी भी स्टेट के आर्थिक खुशहाली के लिए यही चार स्तम्भ अहम स्थान रखते हैं और आज पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण चारों स्तम्भ किसान, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी आर्थिक तंगियों का शिकार हो रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव मैनीफैस्टो में जो वादे किए वह सिर्फ चुनावी वादे बनकर रह गए। व्यापारियों को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का वादा भी कागजों तक सीमित होकर रह गया। सरकार के मंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपस में लड़ रहे हैं, जिनको जनता की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी व सभी जत्थेबंदियों को भी कहा कि वह भी इस पैदल यात्रा का हिस्सा बनें ताकि कैप्टन सरकार से बनते हक लिए जा सकें।
-सरकार द्वारा जारी की गई नई पे-कमीशन रिपोर्ट
अमरजीत मेहता ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा जारी की गई नई पे-कमीशन रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी के अलावा और कुछ नहीं। उन्होंने बताया कि नई पे-कमीशन रिपोर्ट के अनुसार अब सरकार द्वारा कर्मचारियों को पिछले डीए की किश्तें व उनका एरियर नहीं दिया जा रहा, जबकि 22 प्रतिशत डीए की किश्तें बकाया हैं, परंतु सरकार द्वारा इसको समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। मेहता ने कहा कि सरकार द्वारा हाऊस रेंट अलाऊंस 20 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत, रूरल अलाऊंस 6 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह मैडीकल अलाऊंस 500 ही रहने दिया गया, जबकि कमिशन द्वारा 1000 की सिफारिश की गई है। उन्होंने बताया कि मोबाइल अलाऊंस 250 ही रखा गया है, हालांकि कमिशन द्वारा 400 की सिफारिश की गई थी। इसी तरह कोरोना वारियर्स डाक्टरों को मिलने वाला एनपीए अलाऊंस पहले बेसिक में 25 प्रतिशत जुड़कर मिलता था, को घटा कर 20 प्रतिशत करते हुए बेसिक से बाहर कर दिया गया। मेहता ने कहा कि इस तरह सरकार ने पे-कमिशन में कर्मचारियों के साथ धोखा किया है और सिर्फ 285 रुपए ही बढ़ाया गया है।