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गैजेट इंश्योरेंस को समझिए:गैजेट महंगा हो या सस्ता, उसका इंश्योरेंस टूट-फूट से चोरी तक, सभी नुकसान से बचाएगा

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आज के दौर में पेमेंट से लेकर शॉपिंग तक काफी हद तक ऑनलाइन हो गया है। इस कारण स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर जैसे गैजेट की मांग बढ़ी है। इनमें से कई गैजेट्स की कीमत बहुत महंगी होती है। इनके खराब होने, गुमने, टूट जाने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में गैजेट्स का इंश्योरेंस करवाना सही ऑप्शन हो सकता है। ज्यादातर कंपनी गैजेट्स मैनुफैक्चरर्स 6 महीने से लेकर 1 साल तक की वॉरंटी देती हैं, जो कि लिमिटेड होती है।

गैजेट्स इंश्योरेंस क्या है?

जब कोई गैजेट खो जाता है या टूट जाता है, तो उसमें मौजूद डेटा खोने के साथ चोरी भी हो सकता है। साथ ही आर्थिक नुकसान भी होता है। इससे बचने के लिए कंपनियां इंश्योरेंस का प्लान देती हैं। ये इंश्योरेंस स्मार्टफोन सहित सभी प्रकार के गैजेट्स के चोरी या अचानक टूट जाने पर कवरेज देते हैं।

गैजेट्स इंश्योरेंस क्या कवर करता है?

इसमें कई प्रकार की चीजें होती हैं। जैसे

  • स्मार्ट फोन या गैजेट की लूट या चोरी होने पर
  • सूचना देने के 48 घंटे के भीतर खोए या खराब फोन को बदल देना या मरम्मत करना।
  • रिपेयरिंग के लिए गैजेट्स की डोर स्टेप पिक और ड्रॉप सुविधा देना
  • टेक्निकल खराबी जैसे ईयर जैक, चार्जिंग पोर्ट और टच-स्क्रीन जैसी समस्याएं भी कुछ कंपनियां कवर करती हैं।
  • यदि पिछली पॉलिसी की अवधि के दौरान कोई क्लेम नहीं किया जाता है, तो कई बीमा कंपनियां पॉलिसी रिन्यूअल के समय पॉलिसी होल्डर को नो-क्लेम बोनस देती हैं।

भारत में गैजेट्स इंश्योरेंस देने वाली कुछ कंपनियां के नाम

  • टाइम्स ग्लोबल इंश्योरेंस – यह कंपनी स्क्रीन डैमेज, डिवाइस चोरी होना, काम न करना, डिस्प्ले या कैमरे में खराबी को कवर करती हैं। ये इंश्योरेंस के दौरान सुविधा न लेने वालों को कोई बोनस नहीं देती हैं।
  • वन एसिस्ट (One Assist)– यह कंपनी गैजेट्स के रिपेयरिंग के लिए कैशलेस सुविधा देती है। साथ ही डोरस्टेप पिकअप और ड्रॉप सर्विस देती है।
  • सिंक N स्कैन (SyncNScan)- इसमें डिवाइस के चोरी और खराब होने पर प्रोटेक्शन मिलता है। इसका सिस्टम ऑटोमेटिक डिलीट हुए डाटा को रिस्टोर कर देता है। साथ ही वायरस और स्पैम मैसेज की पहचान करके हटा देता है। ऐप के जरिए गुमे हुए फोन को लॉक कर सर्च करने में सहायता करता है।

गैजेट्स इंश्योरेंस क्लेम करने की प्रोसेस

  • इंश्योरेंस कंपनी के टोल-फ्री नंबर से गैजेट्स में हुए नुकसान को बता सकते हैं।
  • कस्टमर्स को क्लेम फार्म भरना होगा। ऑनलाइन या इंश्योरेंस कंपनी ऑफिस में जमा करें।
  • चोरी या लूट होने पर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करानी होगी और इसकी एक कॉपी दिखानी होगी।
  • घर में लगी आग से गैजेट्स का नुकसान होने पर कुछ इंश्योरेंस कंपनियों में फायर स्टेशन की रिपोर्ट मांगती हैं।
  • इंश्योरेंस कंपनियों के क्लेम सर्वेयर को डैमेज गैजेट्स की फोटो देनी पड़ती है।
  • इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी डॉक्यूमेंट के आधार पर क्लेम मिलता है।
  • रिपेयरिंग के लिए इंश्योरेंस कंपनी द्वारा अधिकृत थर्ड पार्टी गैजेट्स सर्विस सेंटर्स को डायरेक्ट पेमेंट करती हैं।
  • इंश्योरेंस कंपनियां केवल एक क्लेम देती हैं, जबकि कुछ पॉलिसी में एक से अधिक क्लेम देती हैं।
  • कस्टमर को गैजेट्स इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय नियम और शर्तों को अच्छे से पढ़ना चाहिए। नोट– गैजेट्स इंश्योरेंस क्लेम की प्रोसेस कंपनियों के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

इन कंडीशन में इंश्योरेंस नहीं मिलेगा

  • गैजेट्स का ऐसा नुकसान जिसके बारे में इंश्योरेंस लेने वाला सही बता न पाए।
  • गैजेट्स को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया हो।
  • बारिश में गैजेट्स के गीला होने पर नुकसान होना।
  • गैजेट्स इंश्योरेंस पॉलिसी के पहले से कोई खराबी होना।

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