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जम्मू-कश्मीर में चुनाव की कोशिशें तेज:परिसीमन आयोग अगले महीने राज्य का दौरा करेगा, विधानसभा सीटों की सीमाएं तय करने पर नेताओं और अफसरों की राय जानेगा

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की कोशिशें तेज हो गई हैं। परिसीमन आयोग के अधिकारी अगले महीने 3 दिन तक जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रहेंगे। आयोग 6 से 9 जुलाई तक विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर राज्य के लीडर्स और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करेगा।

परिसीमन आयोग यहां 20 जिलों के चुनाव अधिकारियों, डिप्टी कमिश्नरों और जनप्रतिनिधियों से चर्चा करेगा। परिसीमन को लेकर सभी से उनके विचार और जानकारी हासिल की जाएगी। आयोग का दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर री-ऑर्गनाइजेशन एक्ट 2019 के तहत राज्य का परिसीमन होना जरूरी है।

आयोग पहले ही अपना होमवर्क कर चुका है
इलेक्शन कमीशन ने कहा कि उम्मीद है कि सभी पार्टियां आयोग का सहयोग करेंगी और अपने सुझाव देंगी, ताकि परिसीमन की प्रक्रिया तय समय से पूरी कर ली जाएं। इस दौरे से पहले परिसीमन आयोग डेटा, मानचित्र, जिलों और विधानसभाओं को लेकर कई दौर की बैठकें कर चुका है।

परिसीमन पर केंद्र और कश्मीर के नेताओं का स्टैंड

नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बहाल करना हमारी प्राथमिकता है। परिसीमन की प्रक्रिया तेज गति से होनी चाहिए, ताकि विधानसभा चुनाव हो सकें और सरकार चुनी जा सके। चुनी हुई सरकार ही जम्मू-कश्मीर के विकास को मजबूती दे सकती है।

अमित शाह: गृह मंत्री ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर हुई बैठक में सभी लोगों ने लोकतंत्र और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। साथ ही जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया। परिसीमन और चुनाव मील के पत्थर हैं।

कांग्रेस: गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि केंद्र सरकार लोकतंत्र की मजबूती की बात करती है। पंचायत और जिला परिषद के चुनाव हुए हैं और ऐसे में विधानसभा के चुनाव भी तुरंत होने चाहिए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस: उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि प्रधानमंत्री दिल की दूरी कम करना चाहते हैं, लेकिन एक मुलाकात से न दिल की दूरी कम होती है और न दिल्ली की दूरी कम होती है। परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है। इससे बहुत संदेह पैदा होते हैं।

पीडीपी: महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के बाद से नाराज हैं और शोषित महसूस करते हैं। पाकिस्तान से फिर बातचीत करनी चाहिए, ताकि उनके साथ रुका हुआ ट्रेड बहाल हो सके। UAPA की सख्ती बंद हो और जेलों में बंद कैदियों को रिहा किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर के लोग जोर से सांस भी लें, तो उन्हें जेल में डाला जाता है।

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