Newsportal

अडाणी के सेक्टर में अंबानी की एंट्री:ग्रीन एनर्जी के लिए भिड़ने जा रहे हैं भारत के दो सबसे अमीर कारोबारी; क्या इस सेक्टर में भी जियो जैसा जादू चला पाएगी रिलायंस?

अडाणी का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर और यूटिलिटी सेक्टर पर अंबानी का फोकस टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर पर अब दोनों कारोबारियों की ग्रीन एनर्जी सेक्टर में सीधी टक्कर

0 167

जुलाई 2020 की बात है। अडाणी ग्रीन एनर्जी ने दुनिया का सबसे बड़ा पावर प्रोजेक्ट लगाने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया। इसके लिए कंपनी ने करीब 45,300 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इसी तरह टाटा पावर सोलर सिस्टम को इस साल जनवरी और मई में दो सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले।

ग्रीन एनर्जी सेक्टर में कम प्लेयर होने की वजह से इन कंपनियों के लिए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना आसान था, लेकिन 24 जून को रिलायंस AGM की सालाना बैठक में मुकेश अंबानी ने ऐसी घोषणा कर दी कि रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में खलबली मच गई है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ग्रीन एनर्जी बिजनेस में उतरने का मेगा प्लान बताया। इसके लिए अगले तीन साल में 75 हजार करोड़ रुपए का भारी-भरकम निवेश किया जाएगा। अडाणी ग्रुप पहले से ही इस सेक्टर में है। रिलायंस की घोषणा से अंबानी और अडाणी के बीच सीधी टक्कर होने जा रही है।

यहां हम आपको बता रहे हैं कि ग्रीन एनर्जी होती क्या है? अंबानी के निवेश से इस सेक्टर में क्या बदलाव आएंगे? अंबानी के आने से अडाणी का बिजनेस किस तरह प्रभावित होगा? क्या ग्रीन एनर्जी सेक्टर में भी रिलायंस का जियो जैसा जादू चल पाएगा?

ग्रीन एनर्जी क्या होती है?
ग्रीन एनर्जी ऐसी ऊर्जा को कहा जाता है जो प्राकृतिक संसाधनों से मिलती हो। जैसे- धूप, हवा या पानी। इस एनर्जी से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है। ग्रीन एनर्जी को रिन्यूएबल एनर्जी भी कहा जाता है। ग्रीन एनर्जी को इसलिए प्रमोट किया जा रहा है, क्योंकि इससे फॉसिल फ्यूल यानी कोयला और पेट्रोलियम की तरह हानिकारक ग्रीन हाउस गैस नहीं पैदा होती।

रिलायंस का 75 हजार करोड़ का मेगा प्लान

  • रिलायंस 60 हजार करोड़ की लागत से गुजरात के जामनगर में 4 गीगा फैक्ट्री बनाएगी। यहां सोलर पैनल, बैट्रीज, ग्रीन हाइड्रोजन और फ्यूल सेल बनाए जाएंगे।
  • इसके अलावा 15 हजार करोड़ रुपए वैल्यू चेन, पार्टनरशिप और भविष्य की टेक्नोलॉजी में निवेश होंगे। ग्रीन एनर्जी बिजनेस के लिए अगले 3 सालों में कुल निवेश 75 हजार करोड़ होगा।
  • रिलायंस 2030 तक 100 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य हासिल करना चाहती है। रिलायंस 2035 तक जीरो कार्बन का टैग चाहती है।

क्या अडाणी के रास्ते में आएंगे अंबानी?

अंबानी और अडाणी अब तक अलग सेक्टर में बिजनेस करते थे। अंबानी का फोकस डेटा आधारित कंज्यूमर बिजनेस पर रहा है। जैसे- रिटेल और टेलीकॉम। वहीं अडाणी का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर और यूटिलिटी सेक्टर पर रहा है।

यह पहला मौका है जब रिलायंस और अडाणी ग्रुप के बीच एक ही सेक्टर में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ होगी। अडाणी ग्रीन एनर्जी ने वित्तवर्ष 2020-21 में 3,184 करोड़ रुपए की कमाई की। कंपनी का नेट प्रॉफिट 210 करोड़ रुपए है। वहीं अंबानी ने फिलहाल इस सेक्टर में कदम रखने की सिर्फ घोषणा की है।

फिलहाल रिलायंस ई-कॉमर्स सेक्टर में अमेजन और वॉलमार्ट से लड़ रहा है। जियो फोन नेक्स्ट लॉन्च होने के बाद शाओमी जैसे प्लेयर्स को चुनौती देगा। 5G लॉन्च होने के बाद हुवाई जैसे ग्लोबल प्लेयर्स से मुकाबला होगा। अब रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अडाणी से अंबानी की भिड़ंत तय है। ग्लोबल पेट्रोलियम कंपनी जैसे बीपी पीएलसी, सेवरॉन और एक्सजन मोबिल ने भी सोलर एनर्जी के सेक्टर में निवेश की घोषणा की है।

ग्रीन एनर्जी में भी रिलायंस जियो जैसा जादू?
भारत में ग्रीन एनर्जी अभी बहुत शुरुआती स्टेज में है, लेकिन दुनिया नए सेक्टर में भी अंबानी के आक्रामक तेवर को जियो के जरिए देख चुकी है। पांच साल में ही अंबानी के डिजिटल स्टार्टअप जियो ने 42 करोड़ सब्सक्राइबर्स जुटा लिए हैं। इसके आने से भारत के अन्य कई टेलीकॉम ऑपरेटर्स दिवालिया हो गए।

रिलायंस की घोषणा ने एनर्जी इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है, जैसे 2016 में जियो की लॉन्चिंग से टेलीकॉम इंडस्ट्री में हुआ था। 2016 में लॉन्चिंग के 1 साल में ही जियो अपने सस्ते डेटा प्राइस की वजह से दुनिया का टॉप मोबाइल डेटा कंज्यूमर बन गया था। रिलायंस की एंट्री के बाद हर महीने एक भारतीय का औसत डेटा कंजप्शन 11 जीबी पहुंच गया।

इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक जियो की राह पर चलते हुए अंबानी का न्यू एनर्जी के लिए 3-स्टेप प्लान होगा…

1. नॉलेज और इनोवेशन के जरिए एक इंटीग्रेटेड सिस्टम बनाना

2. ऐसा बिजनेस मॉडल जिसमें ग्रीन एनर्जी की मांग बढ़े और लागत घटे

3. सामान की क्षमता, प्रदर्शन और लाइफ साइकल में सुधार करना

2028 तक 37 लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद

ग्रीन और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अपना फोकस शिफ्ट करने वाली रिलायंस भारत की पहली कंपनी नहीं है। 2019 में अप्रैल से दिसंबर के बीच प्राइवेट कंपनियों ने 37,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। भारत का रिन्यूएबल सेक्टर मौकों से भरा है और लगातार तरक्की कर रहा है।

फरवरी 2021 में तक देश ने 94.43 गीगावॉट की क्षमता हासिल कर ली है जिसे 2030 तक 450 गीगावॉट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। 2014 से अभी तक इस सेक्टर को 3 लाख करोड़ रुपए का निवेश मिला है। IBEF के मुताबिक 2028 तक 37 लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद है। 2040 तक 49% इलेक्ट्रिसिटी रिन्यूएबल एनर्जी से पैदा की जाएगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.