आपने वैक्सीन लगवा ली है या लगवाने वाले हैं तो यह जानकारी आपके लिए हैः जानिए वैक्सीन से कोई गड़बड़ हुई तो आपको क्या मिलेगा?
फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन भारत में कब मिलेगी? इस सवाल का जवाब एक क्लॉज पर अटका हुआ है। फाइजर और मॉडर्ना ने शर्त रखी है कि इन्डेम्निटी मिलेगी तो ही हम mRNA वैक्सीन भारत भेजेंगे। यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो इन कंपनियों से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता।
फाइजर-मॉडर्ना की देखादेखी कोवीशील्ड वैक्सीन बना रही पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी इन्डेम्निटी की बात छेड़ दी है। दरअसल, मॉडर्ना और फाइजर की शर्त सिर्फ भारत के लिए नहीं है। अमेरिका, यूके समेत अधिकांश देशों में कंपनियों को लीगल इम्यूनिटी मिली हुई है, इन्डेम्निटी मिली हुई है।
अब हमारे यहां क्या स्थिति है? हमारे यहां क्या कानूनी तौर पर फाइजर-मॉडर्ना की वैक्सीन को इन्डेम्निटी मिल सकती है? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं…
सबसे पहले, जानते हैं कि इस मसले पर सरकार-फाइजर की बातचीत कहां तक पहुंची है?
- वैसे तो सरकार और फाइजर की बातचीत सामने नहीं आई है। फाइजर समेत अन्य वैक्सीन कंपनियों के साथ सरकार की डील में गोपनीयता का क्लॉज रहता है। चूंकि, मामला बिजनेस का है, इसलिए हर बात बताई नहीं जाती।
- इस सवाल पर नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि फाइजर जुलाई में भारत को mRNA कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध करा सकती है। पर सरकार अब भी गंभीर साइड इफेक्ट्स पर मुकदमे से राहत यानी इन्डेम्निटी के फाइजर के अनुरोध पर विचार कर रही है। अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
इन्डेम्निटी क्या है और यह क्यों मांगी जा रही है?
- ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार इन्डेम्निटी यानी डैमेज या नुकसान के खिलाफ कानूनी प्रोटेक्शन है। खासकर अगर कोई नुकसान या हानि मुआवजे की जवाबदेही बनाती हो। इन्डेम्निटी एक तरह का करार है, जिससे कंपनियों को कानूनी सुरक्षा मिलती है।
- अगर फाइजर को इन्डेम्निटी मिल जाती है तो वैक्सीन लगने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट या मौत होने पर कंपनी की कोई जवाबदेही नहीं होगी। उसके खिलाफ कानूनी तौर पर मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकेगा।
तो किसी वैक्सीन से मौत हो गई तो भारत में कानूनन क्या रास्ते हैं?
- अच्छी बात यह है कि भारत में 30 करोड़ लोगों से अधिक को वैक्सीन डोज लग गए हैं और मौत सिर्फ एक हुई है। हमारे यहां वैक्सीन लगने के बाद जो गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले आए हैं, वह भी 30 हजार यानी 0.01% से अधिक नहीं है। इस आधार पर कह सकते हैं कि डरने की कोई बात नहीं है।
- इस मामले में कानूनी प्रावधान बड़े ही साफ हैं। भारत के ड्रग कानूनों में किसी भी नई दवा या वैक्सीन को अप्रूवल देते समय कानूनी सुरक्षा या इन्डेम्निटी देने का प्रावधान नहीं है। अगर किसी दवा या वैक्सीन को इन्डेम्निटी दी जानी है तो जवाबदेही सरकार की बन जाएगी। सरकार और सप्लायर के बीच होने वाले कॉन्ट्रैक्ट के क्लॉज में इसका उल्लेख होगा।
क्या भारत में उपलब्ध अन्य वैक्सीन पर जवाबदेही बनती है?
- हां। भारतीय ड्रग रेगुलेटर ने अब तक अप्रूव की गई तीनों वैक्सीन- कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पुतनिक वी के लिए कंपनियों को इन्डेम्निटी नहीं दी है। हमारे यहां क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए नियम साफ हैं। ट्रायल्स के दौरान किसी वॉलंटियर की मौत हो जाती है या उसे गंभीर चोट लगती है तो उसे मुआवजा मिलता है। यह अलग-अलग दवा और वैक्सीन से होने वाले नुकसान के आधार पर तय होता है।
- पर जब वैक्सीन या दवा कॉमर्शियल यूज के लिए अप्रूव हो जाती है तो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट में मुआवजे का कानूनी प्रावधान नहीं है। अगर किसी को कोई दिक्कत आती है तो वह मुआवजे के लिए कंज्यूमर फोरम या हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिल कर सकता है। तब कंज्यूमर फोरम या हाईकोर्ट ही मुआवजे की राशि तय करता है, जो हर परिस्थिति में अलग हो सकती है। इसके अलावा ड्रग रेगुलेटर भी वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के किसी नियम का उल्लंघन होने पर एक्शन ले सकता है।
विदेशों में वैक्सीन को लेकर जवाबदेही किसकी है?
- किसी की नहीं। इन्डेम्निटी की शुरुआत अमेरिका से हुई। दिसंबर में वहां वैक्सीनेशन शुरू हुआ। तब कंपनियों को मुकदमेबाजी से मुक्त रखा गया। यूके ने भी वैक्सीन कंपनियों को इन्डेम्निटी दे रखी है। और इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गरीब देशों के लिए वैक्सीन खरीदने के लिए कोवैक्स प्रोग्राम के तहत वैक्सीन कंपनियों को इम्डेम्निटी दी।
क्या वैक्सीन कंपनियों को यह राहत हमेशा के लिए दी गई है?
- नहीं। अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना को मुकदमेबाजी से राहत दी गई है। यह सुरक्षा उन्हें 2024 तक मिलती रहेगी। वैक्सीनेशन के बाद अगर भविष्य में किसी तरह की कोई मेडिकल कॉम्प्लिकेशन होती है तो कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दाखिल नहीं हो सकेगा। अमेरिका में तो यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को भी इम्यूनिटी है। ताकि वैक्सीन को अप्रूवल देने के लिए उसके खिलाफ कोई मुकदमा न कर सके। इसी तरह की समय सीमा यूके समेत अन्य देशों में भी तय है।
अमेरिका और यूके में मुआवजे का क्या प्रावधान है?
- अमेरिका में कोविड-19 वैक्सीन यूएस काउंटरमेजर्स इंजरी कॉम्पेनसेशन प्रोग्राम (CICP) के दायरे में है। अगर वैक्सीन लगने के बाद किसी की मौत हो जाती है या गंभीर चोट लगती है तो उन्हें मुआवजा मिल सकता है। हालांकि, इस कानून के तहत मुआवजा पाना टेढ़ी खीर है। 2019 के बाद से CICP के पास 1,360 क्लेम फाइल हुए हैं। पर इसमें से सिर्फ 29 क्लेम्स पर मुआवजा दिया गया।
- यूके में वैक्सीन डैमेज पेमेंट प्रोग्राम है। यह मुआवजा स्कीम नहीं है। पर अगर वैक्सीन की वजह से गंभीर विकलांगता आती है तो टैक्स-फ्री 1.20 लाख पाउंड (करीब 1.23 करोड़ रुपए) वैक्सीन डैमेज पेमेंट होता है। इसमें कोविड-19 वैक्सीन समेत 19 वैक्सीन शामिल हैं।
- WHO का अपना स्पेशल कॉम्पेनसेशन प्रोग्राम है। फरवरी में 92 गरीब देशों में कोविड-19 वैक्सीन के लिए नो-फॉल्ट कॉम्पेनसेशन प्रोग्राम शुरू किया गया। यह इकलौता ग्लोबल वैक्सीन इंजरी कॉम्पेनसेशन मैकेनिज्म है। कोवैक्स के तहत बांटे जाने वाले वैक्सीन से जून 2022 तक अगर कोई दुर्लभ या गंभीर साइड इफेक्ट होता है तो प्रोग्राम के तहत मुआवजा दिया जाता है।
अगर भारत ने इन्डेम्निटी दी तो हमें क्या फायदा होगा?
- इन्डेम्निटी के अभाव में विदेशी कंपनियां वैक्सीन की कीमतें बढ़ा सकती हैं। इन्डेम्निटी देकर सरकार वैक्सीन की कीमत और संख्या पर मोलभाव कर सकती है। यह भारत के टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देगा।
- दूसरी ओर, लोकल मैन्युफैक्चरर्स को भी इस तरह की राहत देनी पड़ सकती है। उस स्थिति में पूरा रिस्क सरकार का हो जाएगा। अगर कोई गंभीर साइड इफेक्ट या मौत हुई तो मुआवजा सरकार को अपने फंड से देना होगा।
- इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बच्चों को वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। चूंकि, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन अमेरिका समेत कुछ देशों में 12 साल से बड़े बच्चों को भी लग रही है। सरकार 5 करोड़ डोज खरीदने का सोच रही है, जिनका इस्तेमाल बच्चों पर भी हो सकता है।