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लाइफ एंड मैनेजमेंट:करियर से जुड़ी वो 4 बेहतरीन सलाह, जो आपका फायदा कम और नुकसान ज्यादा करती हैं; साथ में किताबों से जिंदगी के 2 सुंदर सबक

इंस्पिरेशन में इस बार नीना गुप्ता की बातें, नीना की किताब सच कहूं तो इसी सप्ताह रिलीज हुई है

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लाइफ आपकी है, तो इसका मैनेजमेंट भी आप को ही करना होगा। आज हम आपसे तीन बातें साझा कर रहे हैं, जो आपकी लाइफ आसान करने में मददगार साबित हो सकती हैं। पहली बात हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू मैगजीन में छपी एक रिसर्च की है। इसमें कहा गया है कि करियर की शुरुआत में जो चार सबसे बेहतरीन सलाह आपको दी जाती हैं, वही आपकी तरक्की में सबसे बड़ी रुकावट बनती हैं। दूसरी, दुनिया की दो बेस्ट सेलर बुक्स में से दो बातें जो आपके प्रोफेशनल और पर्सनल ग्रोथ दोनों के लिए जरूरी हैं। तीसरी और आखिरी बात, नीना गुप्ता की एक स्पीच जो जिंदगी और दुनिया के बारे में आपका नजरिया बदल दे। अब इसे बारी-बारी से पढ़ें…

HBR की रिपोर्टः जॉब के लिए दी गईं 4 अच्छी सलाहें, जो नहीं माननी चाहिए

करियर के शुरुआती दौर में हैं तो आपको हर दिन एक नई सलाह मिलना तय है, लेकिन खास मानी जाने वाली ये सलाह असल दुनिया में काम की साबित नहीं होती हैं। कई शोध और डेटा बताते हैं कि इन सलाहों का ठीक उल्टा कर हम अधिक फायदे में रहते हैं। ये हैं वो चार सलाह…

1. जैसे हो हमेशा वैसे ही रहो

असल जीवन में आपका व्यक्तित्व कैसा है, आप कैसे रहते हैं, क्या बोलते हैं, क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, क्या व्यवहार करते हैं, ऑफिस के लोग यह जानना नहीं चाहते। ऑफिस में साथ काम करने वाले साथी और बॉस आपका सर्वश्रेष्ठ रूप देखना चाहते हैं। आपका सर्वश्रेष्ठ व्यवहार देखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि आप वही बोलें जो वो सुनना चाहते हैं। तो इस बात पर ध्यान दें कि ऑफिस के लोग आपसे क्या सुनना चाहते हैं और फिर उसके अनुसार उनसे बात करें। बस, थोड़ा इमोशनली इंटेलिजेंट हो जाएं और जिससे बात करें उनके सोशल एटिकेट्स को भी समझें।

2. केवल अपनी उपलब्धियों को बोलने दें

शोध बताते हैं कि करियर में कनेक्शन, इंप्रेशन और शोमैनशिप से आपके हुनर और काबिलियत दोनों आगे बढ़ते हैं। बेहद टैलेंटेड लोगों को भी कुछ चीजें मैनेज करने की जरूरत पड़ती है। जैसे, बॉस के साथ मजबूत रिश्ते बनाना। यह सुनिश्चित करना कि जो कोई पावर में है उस तक उनका हुनर पहुंच रहा है और वो उनके हुनर की कद्र करें। आपको खुद की कद्र करना आना ही चाहिए। खुद के सबसे लाउड लेकिन विनम्र चियरलीडर बनें। आपके बॉस को यह महसूस होना चाहिए कि आप जितने विनम्र हैं, उतने ही टैलेंटेड भी हैं।

3. अपनी शक्तियों पर फोकस करें

इस सलाह को उलट कर दें कि अपनी शक्तियों का जश्न मनाएं, लेकिन अपनी कमजोरियों को भी जानने की कोशिश करें। जब आप अपनी कमजोरियों से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं तो आप असहज महसूस करते हैं, जो कि आपकी ग्रोथ के लिए जरूरी है। इस असहजता की वजह से ही आप भविष्य में वो बन पाएंगे जो आप बनना चाहते हैं। इस असहजता की वजह से ही आप जीवन में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ पाएंगे। जहां पहुंचना चाहते हैं, वहां पहुंच पाएंगे।

4. अपने जुनून का पीछा करें

अपने जुनून के पीछे भागना केवल तब तक ठीक है, जब तक इसकी डिमांड आपको मार्केट में बनाए रखती है। जब तक इस जुनून की वजह से आपके टैलेंट को पहचान मिल रही है, तब तक तो ये आपको जीत दिला सकता है। लेकिन जुनून क्षणभंगुर होते हैं। हो सकता है आज आपका जुनून फोटोग्राफी के प्रति है, लेकिन अगले साल फोटोग्राफी पीछे रह जाए और आपका जुनून विज्ञान के प्रति तेज हो जाए।

दो बेस्ट सेलर बुक्स की दो बातें जो आपकी ग्रोथ के लिए जरूरी हैं

किताबों से रिश्ता रखें तो वो बेस्ट फ्रेंड होती हैं। सलाह भी देंगी और रास्ता भी दिखाएंगी। दुनिया की दो बेस्ट सेलर बुक्स से आपके लिए दो ऐसे मैनेजमेंट मंत्र लाए हैं, जो आपके भीतर से हारने का डर, तनाव जैसी खामियां दूर करने में मदद कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण काम पहले करेंगे तो हमेशा सफल होंगे

पुस्तक: थिंक एंड ग्रो रिच

हमारे जरूरी काम इसलिए नहीं हो पाते, क्योंकि हम महत्वहीन कामों में उलझे रहते हैं। हमें हमेशा इस बारे में सतर्क रहना चाहिए। सफलता के लिए ये बेहद जरूरी है कि आप अपने महत्वपूर्ण काम सबसे पहले खत्म करें। इस बात को न भूलें कि सफलता महत्वपूर्ण काम करके ही मिलती है। इसके लिए आप अपनी प्राथमिकताएं तय करें और अपना समय गैरजरूरी कामों में न गवाएं।

गौर करिएगा कि आप कई बार खुद कहते होंगे कि ‘मैं ये कर सकता था, लेकिन…’ आप वह काम इसलिए ही नहीं कर पाए, क्योंकि आपने अपनी प्राथमिकताएं तय नहीं कीं। हम सबके पास सपने बड़े होते हैं, पर फोकस और समय छोटे काम करने में लगाए रखते हैं। जो लोग असफलता के लिए समय का बहाना बनाते हैं, वे खुद को धोखा देते हैं।

चिंता करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है

पुस्तक: स्ट्रेस मैनेजमेंट

चिंता बेहतर निर्णय लेने में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन आपकी चिंताएं सॉल्यूशन फोकस्ड होनी चाहिए। इस चिंता से आपके असफल होने की आशंका में कमी दिखाई देनी चाहिए। हम व्यवस्थाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, नतीजों को नहीं।

गलतियां न हों इसके लिए क्या व्यवस्थाएं हैं? अपनी चिंता को इन प्रश्नों के दम पर दिशा दे सकते हैं। जिस डेटा पर आपको भरोसा है, क्या वह वाकई भरोसेमंद है? उसकी सीमाएं क्या हैं? ब्लाइंड स्पॉट्स देखने के लिए क्या व्यवस्था है? समस्या को तुरंत पहचान कर सतर्क होना और उसे सुधारने के लिए अपरिचित नतीजों वाले निर्णय लेने के लिए क्या प्रक्रिया तय की है?

और अब आखिरी बात नीना गुप्ता की…

औरतों की इज्जत कैसे की जाती है, लड़के ये तब सीखेंगे जब हम बेटी के साथ, बेटे को भी किचन में भेजने लगेंगे

मेरी मीडिया इमेज वो नहीं रही, जो मैं हूं। ऐसा मेरी एक बेटी होने की वजह से हुआ, जो बिना शादी मेरी जिंदगी में आई। मेरी निगेटिव इमेज के कारण मुझे काम का काफी नुकसान हुआ। मैं मजबूत नहीं हूं, मुझे तैरना नहीं आता, मैं ड्राइव नहीं करती, मैं आम महिला हूं। और उसी की तरह कभी मजबूत हूं तो कभी डरपोक।

भगवान ने मुझे जीवन में बढ़ते रहने की ताकत से नवाजा। कुछ भी हो जाए, मैं रुकी नहीं… आगे बढ़ती रही। यह नहीं कि मैं डिप्रेशन में किसी से भी शादी कर लूंगी, शराब पीने लगूंगी, ड्रग्स लेने लगूंगी।

मैं अपनी बेटी के साथ ईमानदार रही। जब वक्त आया, तब मैंने उसे हर सच्चाई बताई।

मेरी बेटी मसाबा जब बड़ी हो रही थी तो मेरे पिता पूरे वक्त मेरे साथ थे। क्योंकि मुझे काम पर जाना होता था। मुझे सिर्फ इस बात का अफसोस है कि मैं उसे कोई भाई या बहन नहीं दे सकी। उसे शायद मैंने वक्त भी कम दिया, जो वाकई जरूरी होता है। मैं कमाने वाली अकेली थी, सो मुझे काम पर जाना ही था। इसी वक्त मुझे महसूस हुआ कि बच्चे को मां और बाप दोनों की जरूरत होती है।

मैं लोगों से हमेशा कहती हूं कि कभी वो मत करना जो मैंने किया। यह बच्चे के लिए बेहद बुरा है। वो इसे भुगतता है। मुझे अगर फिर से जीवन जीने का मौका मिले तो यह गलती कभी नहीं करूंगी, क्योंकि बच्चा इसकी कीमत चुकाता है। बच्चे के पास पिता नहीं है, उसके दादा-दादी नहीं हैं वो इन्हें मिस करता है।

मैं कई दफा सोचती हूं कि क्या वो वक्त अच्छा नहीं था, जब पुरुष पर कमाने की जिम्मेदारी थी और महिलाओं पर घर संभालने की। घर संभालना अपने आप में 24 घंटे का काम है। पुरुषों को बदलना ही होगा, क्योंकि महिलाएं तेजी से बदल रही हैं। पुरुषों की यह नस्ल तैयार करने की जिम्मेदारी भी महिलाओं की ही है। उन्हें अपने बेटे को सिखाना होगा कि कैसे मां की, बहन की या पत्नी की इज्जत की जाती है। यह तब होगा जब हम अपनी बेटी के साथ, बेटे को भी किचन में भेजेंगे।

(13 दिसंबर को ‘एलजेब्रा चेन्नई’ के मंच पर नीना गुप्ता)

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