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अब ड्रोन पहुंचाएगा मेडिसिन:भारत में पहली बार 18 जून से शुरू होगा मेडिकल ड्रोन डिलीवरी का ट्रायल, डेढ़ महीने तक चलेगा

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भारत में पहली बार आधिकारिक तौर पर 18 जून से मेडिकल ड्रोन डिलीवरी का ट्रायल बेंगलुरु में शुरू होगा। इसे बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) मेडिकल ड्रोन भी कहा जाता है। थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स (TAS) नाम की कंपनी बेंगलुरु से 80 किलोमीटर दूर गौरीबिदनुर में 30 से 45 दिनों तक चलने वाले ट्रायल की शुरुआत करेगी।

इस कंसोर्टियम में TAS के अलावा, इनवोली-स्विस भी शामिल है। इनवोली-स्विस पेशेवर ड्रोन एप्लिकेशन के लिए एयर ट्रैफिक अवेयरनेस सिस्टम में माहिर है। इसमें हनीवेल एयरोस्पेस एक सेफ्टी एक्सपर्ट के रूप में काम कर रही है। कंसोर्टियम दो तरह के ड्रोन का प्रयोग करेगा। इनमें एक मेडकॉप्टर और TAS शामिल है। ऑन-डिमांड डिलीवरी सॉफ्टवेयर को रैंडिंट (RANDINT) नाम दिया गया है।

1 और 2 किलोग्राम सामान 12 से 15 किमी तक ले जा सकेगा
कंडासामी ने कहा कि मेडकोप्टर का छोटा एडिशन 15 किमी तक 1 किलोग्राम वजन ले जा सकता है, जबकि दूसरा 2 किग्रा वजन को 12 किमी तक ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम 30-45 दिनों के दौरान रेंज और सुरक्षा दोनों के लिए ट्रायल करेंगे। इस दौरान हमें DGCA के अनुसार कम से कम 100 घंटे उड़ान भरनी होगी। हमारा लक्ष्य करीब 125 घंटे उड़ान भरने का है। ट्रायल के बाद लॉग को समीक्षा के लिए DGCA को सौंपा जाएगा।

पहला आधिकारिक मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स ने बताया कि 20 मार्च 2020 में ही नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से ट्रायल की अनुमति मिल गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण कुछ अन्य प्रक्रियाएं बाकी रह गई थीं। इसे अब पूरा कर लिया गया है। थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स के CEO नागेंद्रन कंडासामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि दो अन्य कंसोर्टियम के पास भी BVLOS की परमिशन है, लेकिन कानूनी रूप से हमारा पहला आधिकारिक मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट है।

रिसीवर का पता नहीं चल सकेगा
नारायणा हेल्थ के डायरेक्टर और जाने माने कार्डियक सर्जन डॉ. देवीशेट्टी भी इस प्रोजेक्ट के साझेदार हैं। TAS और नारायणा हेल्थ दवा डिलिवरी के लिए पार्टनरशिप करेंगे। ट्रायल के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल दवां पहुंचाने के लिए किया जाएगा।

नारायणा हेल्थ के साथ साझेदारी के बारे में कंडासामी ने कहा कि इससे दवाओं के बारे में हमें समझ बनाने में मदद मिलेगी कि हमें किस तरह की दवाएं ट्रांसपोर्ट करनी होंगी। ड्रोन के साथ ट्रांसपोर्ट में क्या समस्या आ सकती है और क्या भविष्य में रूटीन के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

कंडासामी ने कहा कि हमारे सॉफ्टवेयर को पता चल जाएगा कि नारायणा के पास डिमांड आई है। इस बारे में किसी को पता नहीं चलेगा कि रिसीवर कौन है और पहले से लोड पते पर दवा डिलीवर हो जाएगी।

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