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पहला डोज कोवैक्सिन का, दूसरा स्पुतनिक या कोवीशील्ड का; भारत में भी चल रही है वैक्सीन की मिक्सिंग की कोशिश

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दुनिया के कई देशों में वैक्सीन के डोज की मिक्सिंग हो रही है। 1 जून को कनाडा और 4 जून को बहरीन ने भी इसकी इजाजत दे दी है। UK में तो जनवरी में ही इसकी शुरुआत हो गई। अब अमेरिका भी ट्रायल शुरू कर रहा है। पर भारत में हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन कहती है कि जिस वैक्सीन का पहला डोज लिया है, उसका ही दूसरा डोज लेना होगा। अगर समान वैक्सीन का दूसरा डोज उपलब्ध नहीं है तो इंतजार करना होगा।

हालांकि विदेशों से आ रही खबरों के बीच वैक्सीन डोज की मिक्सिंग पर अब भारतीय अधिकारी भी विचार कर रहे हैं। गुजरात और उत्तरप्रदेश में वैक्सीन डोज को लेकर गफलत हो चुकी है; यानी जिन्हें कोवीशील्ड लगी थी उन्हें कोवैक्सिन के दूसरे डोज लगा दिए और जिन्हें कोवैक्सिन लगी थी, उन्हें कोवीशील्ड का दूसरा डोज लगा दिया। दोनों ही राज्यों में कोई गंभीर साइड इफेक्ट या दुर्घटना सामने नहीं आई है। वहीं, सप्लाई की कमी को देखते हुए कोवीशील्ड के दोनों डोज के गैप को तीन बार बदला गया है। इस समय तो कोवैक्सिन और कोवीशील्ड के साथ-साथ स्पुतनिक V ही लग रही है। जुलाई-अगस्त से वैक्सीन बढ़ेंगी तो गफलत बढ़ने का डर रहेगा। सप्लाई अटकने पर दूसरे डोज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

हमने इस मामले को समझने के लिए महामारी विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया और मुंबई के पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल और मेडिकल रिसर्च, खार फेसिलिटी के डॉ. भरेश देढ़िया से बात की। आइए, जानते हैं कि वैक्सीन का मिक्स-एंड-मैच भारत के लिए क्यों जरूरी है? यह कितना प्रभावी है और दुनिया के प्रमुख देशों ने इस पर क्या स्ट्रैटजी अपनाई है-

क्या कोविड-19 वैक्सीन का मिक्स-एंड-मैच अच्छा विचार है?

  • कोविड-19 पूरी दुनिया में ही परेशानी का कारण बना हुआ है। ऐसे में वैक्सीन सप्लाई की कमी और उपलब्ध वैक्सीन की इफेक्टिवनेस ने कई देशों को मिक्स-एंड-मैच पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर किया है। भारत जैसे कई देशों में वैक्सीन डोज की सप्लाई समय से न होने के कारण लोगों को दूसरे डोज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
  • इतना ही नहीं, कोविड की नई लहर और नए वैरिएंट्स का खतरा भी बढ़ रहा है। इससे वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी कमजोर होती है। इससे कई देशों ने तीसरे बूस्टर डोज की अनुमति दी है या इसके लिए तैयारी दिखाई है।

क्या वैक्सीन का मिक्स-एंड-मैच सेफ है?

  • हां, अब तक तो सुरक्षित ही साबित हुई है। दुनिया के कई देशों में वैक्सीन के मिक्स-एंड-मैच पर स्टडी हुई है या हो रही है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एस्ट्राजेनेका (हमारे यहां कोवीशील्ड) की वैक्सीन के साथ फाइजर की mRNA वैक्सीन के डोज मिक्स कर ट्रायल्स किए। यह सेफ है। पर इसके साइड इफेक्ट्स भी दिखे हैं।
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक्स और वैक्सीनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यू स्नेप का कहना है कि अच्छी बात यह है कि इस टेस्ट से सेफ्टी से जुड़ी कोई नई चिंता सामने नहीं आई है। इम्यून रिस्पॉन्स भी बेहतर हुआ है।
  • UK में फरवरी में कॉम-कोव स्टडी शुरू हुई थी। इसमें एस्ट्राजेनेका, फाइजर, मॉडर्ना और नोवावैक्स की वैक्सीन के इस्तेमाल की जांच हुई थी। संडे टेलीग्राफ के मुताबिक स्पेन में 600 लोगों और जर्मनी में 300 लोगों पर हुए ट्रायल्स में प्रॉमिसिंग रिजल्ट्स मिले हैं।
  • एक रिसर्च में 25-46 वर्ष के ऐज ग्रुप के 26 युवाओं को पहला डोज एस्ट्राजेनेका का दिया गया और दूसरा डोज फाइजर का। नतीजे बताते हैं कि UK में मिले अल्फा वैरिएंट के खिलाफ इस कॉम्बिनेशन ने चार गुना ज्यादा न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाई है।

क्या इससे पहले भी वैक्सीन को मिक्स किया गया है?

  • हां, यह दशकों से चली आ रही प्रैक्टिस है। इबोला जैसे वायरस पर इसे आजमाया गया था। हालांकि ज्यादातर कॉम्बिनेशन एक ही टेक्नोलॉजी से बने वैक्सीन के थे। भारत में रोटावायरस वैक्सीन का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल किया गया है। पिछले तीन साल से दो रोटावायरस वैक्सीन के मिक्स-एंड-मैच ट्रायल्स चल रहे हैं। इस प्रैक्टिस को नया नहीं कहा जा सकता।

भारत के लिए मिक्स-एंड-मैच स्ट्रैटजी क्यों जरूरी है?

  • सरकार को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में सात से आठ कोविड वैक्सीन भारत में उपलब्ध होंगी। इनमें वायरल वेक्टर, mRNA, DNA और रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन प्लेटफॉर्म पर बनी वैक्सीन शामिल हैं। तब दो डोज एक ही वैक्सीन के रखना बड़ी चुनौती होगी। खासकर, ग्रामीण इलाकों में आज भी बड़ी संख्या में आबादी निरक्षर है। उनके लिए वैक्सीन के नाम याद रखना आसान नहीं रहने वाला।
  • भारत को कई ऐसे कॉम्बिनेशन आजमाने का मौका मिलेगा, जैसा दुनिया के किसी देश में नहीं है। कुछ वैक्सीन बहुत सस्ती हैं और उन्हें बड़े पैमाने पर बनाया जा सकता है। अगर ये कॉम्बिनेशन सफल रहे तो गरीब और मध्यम आय के देशों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। उन्हें सप्लाई बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
  • शुरुआती वैक्सीन कोरोना के ओरिजिनल वायरस के खिलाफ बनी हैं। इस वजह से नए वैरिएंट्स पर उनकी इफेक्टिवनेस नहीं पता। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर बनीं वैक्सीन मिलाने से वैरिएंट्स के खिलाफ लड़ाई में नई ताकत मिलेगी।
  • स्पेन और UK के ट्रायल्स में अब तक एस्ट्राजेनेका के डोज को फाइजर/मॉडर्ना की वैक्सीन के साथ परखा गया है। हमारे यहां कोवैक्सिन के ट्रायल्स नहीं हुए हैं। इसी तरह स्पुतनिक V और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के मिक्स-एंड-मैच ट्रायल्स चल रहे हैं। आने वाले महीनों में भारत भी मिक्सिंग और टेस्टिंग के लिए तैयार हो जाएगा।
जिन देशों में कोविड वैक्सीन की सप्लाई निरंतर नहीं है, वहां पहले और दूसरे डोज के लिए अलग-अलग वैक्सीन के इस्तेमाल के फायदे मिल सकते हैं।
जिन देशों में कोविड वैक्सीन की सप्लाई निरंतर नहीं है, वहां पहले और दूसरे डोज के लिए अलग-अलग वैक्सीन के इस्तेमाल के फायदे मिल सकते हैं।

अब तक इन देशों ने दी मिक्स-एंड-मैच की इजाजत….

  • अमेरिकाः 1 जून को घोषणा की है कि पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके वयस्कों को वैक्सीन की मिक्सिंग के बूस्टर शॉट देंगे। स्टडी के नतीजे सितंबर तक आएंगे।
  • कनाडाः 1 जून को तय किया जिन्हें एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का पहला डोज लगा है, वे फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन को दूसरे डोज के तौर पर ले सकते हैं।
  • UK: जनवरी में तय किया कि अगर किसी को नहीं पता कि पहला डोज किस वैक्सीन का था या दूसरा डोज उपलब्ध नहीं है तो उपलब्ध वैक्सीन लगवा सकते हैं। फरवरी में फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के डोज की मिक्सिंग के ट्रायल्स के नतीजे घोषित किए। डोज की मिक्सिंग से बेहतर रिजल्ट मिले हैं। फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को भी एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल करने की इजाजत दी है।
  • बहरीनः 4 जून को सिनोफार्म वैक्सीन से वैक्सीनेट लोगों को फाइजर के बूस्टर शॉट्स की इजाजत दी। यूएई ने भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की है।
  • फिनलैंडः 14 अप्रैल को 65 वर्ष से कम उम्र वालों को एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के बाद किसी और वैक्सीन के दूसरे डोज की इजाजत दी।
  • फ्रांसः अप्रैल में 55 वर्ष से कम उम्र वालों को एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के बाद फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन के दूसरे डोज की इजाजत दी।
  • नॉर्वेः 23 अप्रैल को एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के बाद फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन के दूसरे डोज की इजाजत दी।
  • दक्षिण कोरियाः 20 मई को कहा कि वह एस्ट्राजेनेका के डोज के साथ फाइजर या किसी अन्य वैक्सीन के साथ मिक्स करने पर ट्रायल्स करेगा।
  • स्पेनः 19 मई को 60 वर्ष से कम उम्र वालों को एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के बाद फाइजर के दूसरे डोज की इजाजत दी। कार्लोस III हेल्थ इंस्टीट्यूट में शुरुआती स्टडी के बाद यह फैसला लिया गया।
  • स्वीडनः 20 अप्रैल को 65 वर्ष से कम उम्र वालों को एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के साथ किसी और वैक्सीन के दूसरे डोज की इजाजत दी।
  • चीनः अप्रैल में कैनसिनो बायोलॉजिक्स और चोंगकिंग जिफई बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की वैक्सीन की मिक्सिंग के ट्रायल्स शुरू किए।
  • रूसः 4 जून को कहा कि अरब देशों में चीनी वैक्सीन के साथ स्पुतनिक V वैक्सीन की मिक्सिंग के ट्रायल्स शुरू करने की बात कही थी।

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