यू-टर्न किफायती है:टीका कंपनियों की जेब में जाते-जाते बचे 18 हजार करोड़ रुपए; केंद्र को 150 रुपए प्रति डोज मिलेंगी दोनों वैक्सीन
राज्यों को 300-400 रु. में मिल रही थीं, अब केंद्र सरकार के 16,800 करोड़ रु. खर्च होंगे 18 से 44 आयुवर्ग के लिए राज्य सरकारें वैक्सीन खरीदती तो 34,720 करोड़ रु. खर्च होते
केंद्र सरकार ने 18 से 44 आयुवर्ग के लिए वैक्सीन की खरीद शुरू कर दी है। साथ ही यह भी तय कर लिया है कि कोवीशील्ड और कोवैक्सिन, दोनों ही टीके केंद्र सरकार 150 रुपए प्रति डोज खरीदेगी। जबकि, राज्यों को कोवीशील्ड 300 रुपए और कोवैक्सिन 400 रुपए प्रति डोज मिल रही थी।
केंद्र ने राज्यों के हिस्से की 25% खरीद खुद ही करने का फैसला लिया है। इससे पहले ये खरीदी राज्यों को करनी थी, जिसमें उनके 34,720 हजार करोड़ रुपए खर्च हो जाते। अब इसके लिए केंद्र सरकार के 16,800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यानी 17,920 करोड़ बच जाएंगे।
केंद्र ने 18 से 44 आयुवर्ग के लिए पहले चरण में 44 करोड़ डोज का ऑर्डर दे दिया है। इसमें साफ किया गया है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से टीके पुरानी कीमत पर ही खरीदे जाएंगे। हालांकि, कंपनियां चाहती हैं कि राज्यों के लिए तय किए गए दाम पर ही केंद्र भी खरीद करे। लेकिन, केंद्र ने ऐसा करने से न सिर्फ इनकार कर दिया है, बल्कि कंपनियों को वैक्सीन सप्लाई तय समय पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
केंद्र 18-44 आयुवर्ग के लिए 112 करोड़ डोज खरीदेगा, दिसंबर तक सबको टीके का लक्ष्य
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 18 से 44 आयुवर्ग के 60 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगेगी। इनमें से 4 करोड़ को टीके लग चुके हैं। बाकी 56 करोड़ को 112 करोड़ डोज लगनी हैं, जो केंद्र खरीदकर राज्यों को देगा। देश में 90% वैक्सीन कोवीशील्ड लग रही है, जबकि 10% कोवैक्सिन लग रही है।
112 करोड़ डोज में कोवीशील्ड की 100.8 करोड़ डोज के लिए 300 रुपए के हिसाब से 30,240 करोड़ रुपए खर्च होते। इसी तरह कोवैक्सिन की 11.2 करोड़ डोज के करीब 4,480 करोड़ रुपए खर्च होते। लेकिन, अब कोवीशील्ड पर 15,120 करोड़ और कोवैक्सिन पर सिर्फ 1,680 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
निजी अस्पतालों में टीके पहले की तरह महंगे लगेंगे
निजी अस्पतालों को कोवीशील्ड 600 रुपए और कोवैक्सिन 1,200 रुपए प्रति डोज में ही मिलेगी। अस्पताल 150 रुपए सर्विस चार्ज वसूल सकेंगे। यानी, जीएसटी समेत कोवीशील्ड 780 रुपए और कोवैक्सिन 1,410 रुपए प्रति डोज लगेगी।
वैक्सीन मिक्सिंग पर ट्रायल की याेजना बना रही सरकार
देश में जल्द ही स्टडी शुरू होगी कि एक ही व्यक्ति काे अलग-अलग कंपनी की वैक्सीन डोज देने से क्या असर पड़ता है? इससे वैक्सीन का असर बढ़ता है या नहीं? वैक्सीन मिक्सिंग को वैज्ञानिक शब्दों में ‘विषम प्रतिरक्षण’ कहा जाता है। इसमें किसी कंपनी के टीके की कमी हाेने पर व्यक्ति काे दूसरा डाेज किसी और कंपनी का लगवाया जा सकता है।
इस संबंध में जर्मनी, फ्रांस समेत कुछ देश पहले ही अध्ययन शुरू कर चुके हैं। भारत ने अभी इसकी अनुमति नहीं दी है। भारत में अभी कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-वी टीके इस्तेमाल हो रहे हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि दूसरी डोज अलग कंपनी की हाेने से वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा ज्यादा मजबूत हाेगी।
कुछ देशों में कोवीशील्ड/एस्ट्राजेनेका जैसे वायरल वेक्टर टीकों पर यह प्रयोग सही साबित हुआ है। इसे देखते हुए सरकार ने स्टडी कराने की तैयारी की है। अगले कुछ दिनों में इसकी घोषणा की जा सकती है।