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कोरोना कंट्रोल होते ही प्रगट भए मोदी:दो बड़े ऐलान- पहला: 18 साल से बड़ों को अब केंद्र देगा मुफ्त वैक्सीन, दूसरा: 80 करोड़ गरीबों को दिवाली तक मुफ्त अनाज

राज्य नहीं अब केंद्र उठाएगा वैक्सीन का खर्च; 75% वैक्सीन केंद्र खरीदेगा, 25% प्राइवेट अस्पताल, पर 150 रु. से ज्यादा सर्विस चार्ज नहीं ले सकते

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दोपहर दो बजे PMO India ट्वीट करता है- ‘प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 7 जून शाम 5 बजे देश को संबोधित करेंगे।’ घर, दफ्तर से लेकर सोशल मीडिया तक सुगबुगाहट तेज हो जाती है।

कयास कि अब क्या कहेंगे…। ठीक 5 बजे मोदी आते हैं और 32 मिनट अनवरत बोलते हैं। इस दौरान दो बातें बड़ी कहते हैं-

पहली बात: 18 साल से सभी बड़ों को 21 जून से अब केंद्र सरकार मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन देगा। राज्यों को अब इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना है।
दूसरी बात: देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को दिवाली तक मुफ्त राशन दिया जाएगा। यानी नवंबर तक। योजना वही- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना।

कोरोना के समय प्रधानमंत्री का देश के नाम ये नौवां संबोधन है, लेकिन 42 दिन बाद। पिछली बार 20 अप्रैल को आए थे और उसके बाद से हालात बिगड़ने शुरू हुए थे। चलिए अब इसे थोड़ा डिटेल से देखते हैं…

PM की 32 मिनट की स्पीच को इन पॉइंट्स के जरिए समझें

1. दो बड़ी घोषणाएं
पहली: 18 प्लस को केंद्र की तरफ से मुफ्त वैक्सीन

मोदी बोले- हमने फैसला लिया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25% काम था, उसकी जिम्मेदारी अब भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था दो हफ्ते में लागू की जाएगी। योग दिवस यानी 21 जून को सोमवार से सभी राज्यों में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को केंद्र सरकार मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। वैक्सीन प्रोडक्शन का 75% केंद्र खरीदेगी और राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। किसी राज्य को वैक्सीन पर कोई खर्च नहीं करना होगा। देश में वैक्सीन प्रोडक्शन का 25% प्राइवेट अस्पताल ले सकेंगे। वैक्सीन की कीमतों पर नियंत्रण के लिए तय किया गया है कि प्राइवेट अस्पताल एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी का काम राज्य सरकारें करेंगी।

दूसरी: दीपावली तक 80 करोड़ आबादी को मुफ्त राशन
मोदी ने कहा कि पिछले साल जब लॉकडाउन लगाना पड़ा तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ देशवासियों को 8 महीने तक मुफ्त राशन दिया गया। दूसरी वेव के कारण मई और जून के लिए भी ये योजना बढ़ाई गई। अब सरकार ने फैसला लिया है कि इस योजना को दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को तय मात्रा में मुफ्त अनाज दिया जाएगा। मकसद यही है कि मेरे किसी भी गरीब भाई-बहन को, उसके परिवार को भूखा नहीं सोना पड़ेगा।

3 मुद्दों पर अपनी पीठ थपथपाई
पहला: दुनिया के हर कोने से ऑक्सीजन और दवा जुटाई

मोदी बोले- अप्रैल-मई में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ी। केंद्र ने ऑक्सीजन रेल चलाई, एयरफोर्स और नौसेना को लगाया। लिक्विड ऑक्सीजन प्रोडक्शन में कम समय में 10 गुना बढ़ोतरी की। दुनिया के हर कोने से ऑक्सीजन लाए। जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया। विदेशों में जहां भी दवाइयां थीं, वहां से लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

दूसरा: 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी
मोदी ने कहा कि दुनिया भी सोच रही थी कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कोरोना से कैसे बचाएगा। पर जब नीयत साफ होती है और नीति स्पष्ट, साथ ही निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल में ही एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है। आज देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है।

तीसरा: सवा साल में ही नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया
कोरोना बीते 100 साल में आई ये सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है। इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी और न अनुभव की थी। इससे हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है। कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाना, वेंटिलेटर बनाने से लेकर टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना हो, हर मोर्चे पर हमने काम किया। बीते सवा साल में देश में नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।

दो आशंकाएं जाहिर कर अपने दो फैसलों की अहमियत बताई
पहली: 
मोदी ने कहा- केंद्र ने राज्यों के सुझावों के आधार पर तय किया कि कोरोना से जिन्हें ज्यादा खतरा है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स, 60 और 45 साल से ऊपर के नागरिकों को पहले वैक्सीन लगाई गई। अगर कोरोना की दूसरी वेव से पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन न लगी होती तो क्या होता?’ अस्पतालों के सफाई कर्मियों, एंबुलेंस के ड्राइवर को वैक्सीन न लगती तो क्या होता?
अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा- आज इसी वैक्सीनेशन के चलते लाखों देशवासियों का जीवन बचा पाए हैं।

दूसरी: मोदी बोले कि पिछले साल अप्रैल में जब कोरोना के कुछ हजार केस थे, तभी हमने वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। भारत के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरह से सपोर्ट किया। वैक्सीन निर्माताओं को क्लीनिकल ट्रायल में मदद की गई। रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए जरूरी फंड दिया गया।

तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा शिकार होने की आशंका जाहिर की, पर वैक्सीनेशन के लिए उठाए गए कदमों को गिनाकर इससे निपटने का रास्ता भी बताया। कहा- देश में 7 कंपनियां विभिन्न वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही हैं, ट्रायल कर रही हैं। दूसरे देशों से भी वैक्सीन लाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। बच्चों के लिए भी दो वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। इसे सफलता मिलती है तो वैक्सीन अभियान में और ज्यादा तेजी आएगी।

विपक्ष को 3 मुद्दों पर घेरा
1. कुछ लोगों ने वैक्सीनेशन पर अफवाहें फैलाईं

प्रधानमंत्री ने कहा जब से भारत में वैक्सीन पर काम शुरू हुआ है तभी से कुछ लोगों ने ऐसी बातें कहीं, जिससे आम लोगों के मन में शंका पैदा हुई। वैक्सीन निर्माताओं का हौसला पस्त करने की कोशिश हुई। इन्हें भी देश देख रहा है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं, वो भोलेभाले भाई-बहनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मैं प्रबुद्धों से और युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वैक्सीन को लेकर जागरूकता बढ़ाने में सहयोग करें।

2. वैक्सीनेशन पर राज्यों के अधिकार और डी-सेंट्रलाइजेशन
मोदी ने कांग्रेस शासित राज्यों पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी से अप्रैल के अंत तक वैक्सीन कार्यक्रम केंद्र की देखरेख में चल रहा था। सभी लोग वैक्सीन लगवा रहे थे। इसी बीच कई राज्यों ने कहा कि वैक्सीन का काम राज्यों पर छोड़ा जाए। ऐज ग्रुप पर सवाल उठाया कि उम्र की सीमा केंद्र क्यों तय कर रही है? बुजुर्गों के वैक्सीनेशन पहले करने पर सवाल किए गए। मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में चलाया।
राज्यों की मांग पर व्यवस्था में बदलाव किया गया। वैक्सीनेशन का 25% काम राज्यों को सौंपा गया। तब उन्हें पता चला कि बड़े काम में कैसी परेशानियां आती हैं। इसके बाद मई का दूसरा सप्ताह बीतते-बीतते राज्य पहली वाली व्यवस्था को अच्छा बताने लगे।

3. लॉकडाउन
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना के केस कम हो रहे थे, तो सवाल उठाया गया कि लॉकडाउन पर फैसले का अधिकार राज्यों को क्यों नहीं मिल रहा? कहा गया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है इसलिए इस दिशा में शुरुआत की गई। हमने एक गाइडलाइन बनाकर राज्यों को दी ताकि वे अपनी सुविधा के अनुसार काम कर सकें। कई जगहों पर कर्फ्यू में ढील दी जा रही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोरोना चला गया है। हमें सावधान रहना है और बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करते रहना है। हम जंग जीतेंगे। भारत कोरोना से जीतेगा।

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मोदी के भाषण का एनालिसिस:खुद की पीठ थपथपाई, पिछले 56 दिनों में उनकी 56 इंच वाली इमेज को हुए नुकसान के लिए विपक्ष और मीडिया को जिम्मेदार ठहराया

देश में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत से यानी पिछले 56 दिनों में नरेंद्र मोदी की 56 इंच वाली इमेज को जितना नुकसान हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। इस बात से वाकिफ मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में दोहरा प्रहार किया। पहला प्रहार उस विपक्ष और मीडिया पर जो मोदी के मुताबिक उनकी छवि खराब करने के जिम्मेदार हैं। दूसरा जनता से सीधे संवाद में मुफ्त वैक्सीन और 80 करोड़ लोगों को दिवाली तक मुफ्त अनाज की घोषणा करके।

सबसे पहले मोदी ने कोविड मैनेजमेंट पर खुद की पीठ थपथपाई। उसके बाद जो कुछ खराब हुआ, उसके लिए विपक्षी राज्य सरकारों और मीडिया को दोषी ठहराया। मोदी ने कहा कि पहली लहर के समय जब तक केंद्र ने बागडोर अपने हाथ में रखी तब तक कोरोना काबू में था। लेकिन इस बीच कई राज्यों और मीडिया के एक वर्ग ने ऐसी व्यवस्था के खिलाफ अभियान चलाया।

इमेज को सुधारना क्यों जरूरी?
PM मोदी की सरकार कोरोना की दूसरी लहर के पहले तक एक मजबूत सरकार मानी जाती थी। 56 इंच सीने की सरकार का पिछले 56 दिनों में विश्वास हिल गया था। देश के अंदर मोदी और पार्टी की छवि खराब हुई, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद मोदी और सरकार की साख पर बट्टा लग गया। गंगा किनारे की लाशों की तस्वीरों ने देश के प्रति दुनिया का नजरिया बदल दिया।

इसके बाद संघ, संगठन और सरकार के स्तर पर गहन मंथन हुआ। PM मोदी ने सबके साथ वन-टू-वन चर्चा की। अब इस मंथन से निकले निष्कर्ष पर पूरी ताकत से काम करने की तैयारी है।

आज की स्पीच में क्या बड़ा हुआ?
18 प्लस को केंद्र की तरफ से मुफ्त वैक्सीन और 80 करोड़ गरीबों को दीपावली तक मुफ्त राशन का ऐलान किया। वैक्सीनेशन ड्राइव और वैक्सीन को लेकर विपक्ष को घेरा। सरकार के फैसलों पर उसकी पीठ थपथपाई। पिछले 60-70 साल की स्वास्थ्य व्यवस्था की तुलना कर अपने 7 साल के कार्यकाल को बेहतर बताया। कुल मिलाकर हर अच्छाई का श्रेय केंद्र को दिया और हर खराबी का ठीकरा राज्यों के माथे मढ़ दिया।

इस पूरी कवायद में मोदी का रोल?
डैमेज कंट्रोल के लिए बनी रणनीति में नरेंद्र मोदी अपनी सरकार और पार्टी की तरफ से ओपनिंग बैट्समैन की भूमिका में रहेंगे। यह संबोधन उसी का हिस्सा माना जा रहा है। जिस तरह UPA सरकार अपने दूसरी कार्यकाल के दो साल बाद वैश्विक रेटिंग्स में नीचे चली गई थी, वही अब मोदी सरकार के साथ भी हो रहा है।

मौजूदा आंकड़ा यूनाइटेड नेशंस के 193 देशों की ओर से अपनाए गए 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) की ताजा रैंकिंग है, जिसमें भारत 2 स्थान खिसककर 117वें नंबर पर आ गया है। नेपाल-बांग्लादेश से भी खराब पोजिशन में! अब मोदी का रोल ही अहम है, जो लगातार जनता से सीधा संवाद करते रहे हैं। इसी संवाद के जरिए मोदी ने फिर जनता को फेवर में लाने की कोशिश की। साथ ही सरकार और मोदी के लिए बनी छवि को बदलने की कोशिश भी की।

अब सरकार और भाजपा के फोकस एरिया क्या हैं?

पहला: कोरोना की दूसरी लहर अभी संभली स्थिति में है, लेकिन तीसरी लहर चुनौती है। ऐसे में मोदी देश में हेल्थ सर्विसेज, एक लाख से ज्यादा इमरजेंसी हेल्थ केयर वर्कर्स की फोर्स तैयार करने पर फोकस कर रहे हैं। यह स्काउट गाइड, रेड क्रॉस या NDRF की तर्ज पर हो सकती है। इस फोर्स को इन्हीं सेवाओं के साथ भी मर्ज किया जा सकता है।

दूसरा: संघ और पार्टी के साथ मोदी और शाह का जो मंथन हुआ है, उसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी लेकर चर्चा हुई है। मंत्रिमंडल में बदलाव भी जल्द हो सकता है। इस बदलाव में चौंकाने वाले नाम आ सकते हैं। इन्हें पॉलिटिकल चेहरों से ज्यादा टेक्नोक्रेट्स को मौका दिया जा सकता है।

तीसरा: भाजपा दावा करती है कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके 11 करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ता हैं। लेकिन, कोरोना के दौर में भाजपा के कार्यकर्ता कहीं नजर नहीं आए। पिछले दिनों हुए मंथन में मोदी-शाह और नड्डा के साथ संघ ने भी इस पर चिंता जाहिर की। नतीजा ये निकला कि PM के तौर पर 26 मई को मोदी ने 7 साल पूरे कर लिए, पर इसके बावजूद कोई जश्न नहीं मनाया गया। नड्डा ने सीधा संदेश कार्यकर्ताओं को दिया था कि वे कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद, ऑक्सीजन, बेड और वैक्सीन जैसी चीजों पर फोकस करें। इसी स्ट्रैटजी को आगे भी लागू किया जा सकता है, क्योंकि जब विपक्ष ने भाजपा को इस मोर्चे पर घेरा था तो वो कमजोर पड़ गई थी।

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