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सिने प्रीमियर:3 भाषाओं में बनी फिल्म की सक्सेस का डबल डोज फॉर्मूला, दक्षिण में जयललिता का नाम और उत्तर भारत में कंगना का काम

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कोरोना ने फिल्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान पहुंचाया है। एक साल से मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन बंद हैं। अभी भी 100% क्षमता के साथ ये कब खुल पाएंगे, ये तय नहीं है। इसके चलते कई फिल्में सीधे ओटीटी पर रिलीज हो गईं, लेकिन कुछ बड़ी फिल्में हैं, जो एक साल तक सिनेमाघरों के खुलने का इंतजार करने को तैयार हैं। ऐसी ही फिल्मों पर  खास रिपोर्ट्स की सीरीज चला रहा है। इसमें पहली रिपोर्ट कंगना रनौट की फिल्म थलाइवी पर।

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की बायोपिक थलाइवी एक साल से रिलीज की राह देख रही है। कंगना ने इसमें जयललिता का किरदार निभाया है। थलाइवी का अर्थ है फीमेल लीडर। यह महज एक संयोग है कि खुद कंगना सिनेमा से राजनीति में आने का सपना संजोए हुए हैं। इस फिल्म में उनको एक सिने तारिका से सीएम बनने का मौका भी मिल रहा है।

कंगना को बीते 5 साल से एक बड़ी हिट फिल्म की तलाश है। फिल्म मेकर्स को उम्मीद है कि साउथ इंडिया में जयललिता के नाम और उत्तर भारत में कंगना की एक्टिंग की वजह से फिल्म चल जाएगी। फिल्म 65 करोड़ की लागत से बनी है। पहले प्लानिंग थी कि तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले यह फिल्म रिलीज होगी तो राजनीतिक माहौल में हिट हो जाएगी।

शायद जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक को भी फिल्म से फायदा हो जाएगा। फिल्म तमिलनाडु चुनाव से पहले 23 मार्च को रिलीज होनी थी, ट्रेलर और गाने भी रिलीज हो चुके थे, लेकिन कोरोना की वजह से फिल्म टल गई।

हमें सिनेमा देखने वाले चाहिए, वोटर नहीं
फिल्म के प्रोड्यूसर विष्णुवर्धन इंदूरी ने दैनिक भास्कर को साफ-साफ बताया कि तमिलनाडु की राजनीति और इस फिल्म का कोई लेना-देना नहीं है। हमने किसी पार्टी के मतदाता नहीं, बल्कि पूरे भारत के सिने लवर्स के लिए फिल्म बनाई है।

फिल्म प्रोड्यूसर विष्णुवर्धन इंदूरी। वे मानते हैं कि कंगना की दमदार एक्टिंग के साथ जयललिता की जिंदगी के नाटकीय पहलू देखने पूरे भारत के लोग थिएटर में आएंगे।
फिल्म प्रोड्यूसर विष्णुवर्धन इंदूरी। वे मानते हैं कि कंगना की दमदार एक्टिंग के साथ जयललिता की जिंदगी के नाटकीय पहलू देखने पूरे भारत के लोग थिएटर में आएंगे।

मुख्यमंत्री बनने तक की फिल्म
इंदूरी ने बताया कि थलाइवी किताब के राइट्स खरीदने के बाद दो साल रिसर्च चली। जयललिता की पूरी कहानी तीन घंटे में बताना मुश्किल लगा इसलिए जब वो 1991 में मुख्यमंत्री बनीं, यहीं तक फिल्म बनाने का फैसला किया।

जयललिता से जुड़े विवादों का क्या?
विदेश के मुकाबले भारत में बनने वाली बायोपिक में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें नायक और नायिका को सिर्फ ग्लोरीफाई किया जाता है। जयललिता को तमिलनाडु में काफी सम्मान मिला, लेकिन दूसरे राज्यों के लोग उनको आयकर के छापे, उनका साड़ी और जूतों का कलेक्शन जैसी बातों से ही जानते हैं।

इस सवाल पर प्रोड्यूसर इंदूरी ने सिर्फ इतना बताया कि एक महिला कैसे राजनीति में आती है, अपनी जगह बनाती है, इस पर ही पूरी फिल्म है। हम मानते हैं कि कंगना की दमदार एक्टिंग के साथ जयललिता की जिंदगी के नाटकीय पहलू देखने पूरे भारत के लोग थिएटर में आएंगे।

जयललिता का संघर्ष सबसे अहम बात
फिल्म की हिंदी कहानी वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई, द डर्टी पिक्चर, गब्बर इज बैक जैसी फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर रजत अरोड़ा ने लिखी है। रजत ने  बताया कि जयललिता की कहानी में सबसे अहम पहलू उनका संघर्ष है, जो काफी इंस्पिरेशनल है ।

रजत ने कहा- जयललिता के करीबी लोगों से बातचीत और अखबारों की रिसर्च के बाद हमें लगा कि यह फिल्म संघर्ष के बाद अपना मुकाम बनाती महिला की कहानी के रूप में बनानी चाहिए।

मोदी -ठाकरे की बायोपिक नहीं चली
जयललिता साउथ में बहुत पॉपुलर थीं, लेकिन नेता की लोकप्रियता फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं है। इससे पहले आ चुकी नरेन्द्र मोदी और बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक भी नहीं चली थी, जबकि दोनों नेताओं की लोकप्रियता काफी ज्यादा रही है।

कंगना कैसे बनीं जयललिता
तमिल सिनेमा में कई सारी बेहतरीन फीमेल एक्ट्रेस हैं। फिर भी कंगना का चयन क्यों? इस सवाल पर तमिल फिल्म ट्रेड एनालिस्ट एन. रमेश बाला का कहना है कि यह कमर्शियल फिल्म है। पूरे देश में पहचान भी हो और अच्छी एक्टिंग भी हो, ऐसे नेशनल फेस की तलाश थी। इसी कारण कंगना को मौका मिला।

थलाइवी में एक्ट्रेस भाग्यश्री जयललिता की मां का रोल निभा रही हैं और अरविंद स्वामी एमजी रामचंद्रन का रोल निभा रहे हैं।
थलाइवी में एक्ट्रेस भाग्यश्री जयललिता की मां का रोल निभा रही हैं और अरविंद स्वामी एमजी रामचंद्रन का रोल निभा रहे हैं।

अरविंद और भाग्यश्री सालों बाद बड़ी स्क्रीन पर
हिंदी फिल्मों के दर्शक ‘रोजा’ और ‘बॉम्बे’ के सालों बाद अरविंद स्वामी को एमजी रामचंद्रन के किरदार में देखेंगे। इसी तरह ‘मैंने प्यार किया’ में सलमान की हीरोइन भाग्यश्री जयललिता की मां के रोल से बड़ी स्क्रीन पर वापसी करेंगी।

जयललिता पर बन चुकी है वेब सीरीज क्वीन
2019 में तमिल वेब सीरीज क्वीन रिलीज हुई थी, लेकिन इसमें जयललिता के किरदार को शक्ति शेषाद्री का नाम दिया गया। इस वेब सीरीज में बाहुबली की शिवगामी के रूप में पहचान रखने वाली राम्या कृष्णन लीड रोल में थीं।

तमिल बायोपिक बनी, लेकिन रिलीज नहीं हुई
जयललिता पर एक और तमिल बायोपिक ‘दी आयरन लेडी’ बन चुकी है, लेकिन रिलीज नहीं हुई। ए. प्रियदर्शिनी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जयललिता का रोल एक्ट्रेस नित्या मेनन ने किया है। हिंदी दर्शक नित्या मेनन को ‘मिशन मंगल’ में अक्षय कुमार के साथ और वेब सीरीज ‘ब्रीथ: इन टू द शैडोज’ में अभिषेक बच्चन के साथ देख चुके हैं।

कंगना को अवॉर्ड मिलते हैं, फिल्म हिट नहीं होती
कंगना क्रिटिकल एप्रिसिएशन पाती हैं, नेशनल अवॉर्ड भी मिलते हैं, लेकिन उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलतीं। उनकी पिछली पांच फिल्मों का यही हाल हुआ। मणिकर्णिका की कमाई एवरेज थी। बाकी सारी फ्लॉप रहीं।

रिलीज में देरी से बढ़ेगा कॉम्पीटिशन
प्रोड्यूसर इंदूरी ने बताया कि यह फिल्म OTT पर नहीं आएगी। हिंदी, तमिल और तेलुगु तीनों भाषा में फिल्म एकसाथ थिएटर में ही रिलीज होगी। एनालिस्ट रमेश बाला ने बताया कि तमिल फिल्म विजय सेथुपति (मास्टर फिल्म फेम), धनुष या अजित कुमार जैसे स्टार फिल्म की सफलता की गारंटी माने जाते हैं। ऐसे में यह फिल्म का भविष्य कह पाना मुश्किल है।

शेष भारत में आने वाले दिनों में जब भी थिएटर खुलेंगे तब सूर्यवंशी, 83, चेहरे, बेलबॉटम, बंटी और बबली-2 जैसी फिल्मों की लाइन लगेगी। इनके बीच दर्शक जुटा पाना थलाइवी के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।

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