अब ब्लैक फंगस का-रोना:15 राज्यों में अब तक 9320 मामले, 235 मौतें; सबसे ज्यादा 5000 केस गुजरात में, 12 राज्यों में महामारी घोषित
कोरोना के बीच म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस खतरनाक होता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों में ही अब तक ब्लैक फंगस के 9,320 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 235 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 5000 हजार मामले तो अकेले गुजरात में ही सामने आए हैं। लेकिन इस संक्रमण के चलते कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है।
इन 15 राज्यों में ये है स्थिति
राज्य | केस | मौतें |
गुजरात | 5000 | 90 |
महाराष्ट्र | 1500 | 90 |
राजस्थान | 700 | जानकारी नहीं |
मध्य प्रदेश | 700 | 31 |
हरियाणा | 316 | 8 |
उत्तर प्रदेश | 300 | 8 |
दिल्ली | 300 | 1 |
बिहार | 117 | 2 |
छत्तीसगढ़ | 101 | 1 |
कर्नाटक | 97 | 1 |
तेलंगाना | 80 | जानकारी नहीं |
उत्तराखंड | 46 | 3 |
चंडीगढ़ | 27 | जानकारी नहीं |
पुडुचेरी | 20 | जानकारी नहीं |
झारखंड | 16 | जानकारी नहीं |
हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में अब तक ब्लैक फंगस के 8848 मामले सामने आए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में ब्लैक फंगस के 2281 और महाराष्ट्र में 2000 केस आ चुके हैं। राजस्थान में 700 और मध्य प्रदेश में 720 मामले बताए जा रहे हैं। वहीं दिल्ली में 197, हरियाणा में 250, कर्नाटक में 500, तेलंगाना में 350 और आंध्रप्रदेश में 910 केस आने की जानकारी है।
बंगाल में ब्लैक फंगस से पहली मौत
पश्चिम बंगाल में ब्लैक फंगस से शनिवार को 32 साल की एक महिला की मौत हो गई। यह राज्य में ऐसा पहला मामला है। हरिदेवपुर में रहने वाली शंपा चक्रवर्ती को कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे। शंपा को डायबिटीज भी थी। इस वजह से उन्हें इंसुलिन दिया जा रहा था।
अब तक 12 राज्यों में ब्लैक फंगस महामारी घोषित
ब्लैक फंगस को हरियाणा ने सबसे पहले महामारी घोषित किया था। उसके बाद राजस्थान ने भी इस संक्रमण को महामारी एक्ट में शामिल कर लिया। फिर केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों के कहा कि ब्लैक फंगस को पेन्डेमिक एक्ट के तहत नोटिफाई किया जाए। इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तराखंड और तमिलनाडु भी ब्लैक संक्रमण को महामारी घोषित कर चुके हैं।
गुजरात में पहली बार 15 साल के किशोर को ब्लैग फंगस हुआ
अहमदाबाद में कोरोना से उबरे 15 साल के किशोर में ब्लैक फंगस का संक्रमण मिला है। उसका ऑपरेशन करना पड़ा। 4 घंटे चले ऑपरेशन के बाद किशोर संक्रमण मुक्त हो गया। डॉ. अभिषेक बंसल ने बताया कि राज्य में किसी किशोर में म्यूकर माइकोसिस का यह पहला केस है। ऑपरेशन से उसके तालू और साइड के दांत निकालने पड़े।
एक्सपर्ट की सलाह- ब्लैक फंगस से बचने के लिए डायबिटीज कंट्रोल में रखें
देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के केस सामने आए हैं। हालांकि, यह संक्रमण शुगर के मरीजों में ज्यादा देखा जा रहा है। इसी को लेकर दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने शुक्रवार को कई अहम जानकारियां दीं।
- डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मरीजों को डॉक्टर्स की सलाह पर ही स्टेरॉयड दिया जाना चाहिए। साथ ही स्टेरॉयड की हल्की और मीडियम डोज ही देनी चाहिए। अगर कोई लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहा है, तो डायबिटीज जैसी समस्या आ सकती है। ऐसे में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
- मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने बताया कि नाक में दर्द, जकड़न, गाल पर सूजन, मुंह के अंदर फंगस पैच, आंख की पलक में सूजन, आंख में दर्द या रोशनी कम होना और चेहरे के किसी भाग पर सूजन जैसे लक्षण आते हैं, तो तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस को काबू करने का एक ही रास्ता है, स्टेरॉयड का सही तरीके से इस्तेमाल करें और डायबिटीज को कंट्रोल में रखें
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ब्लैक फंगस पर डॉक्टर की सलाह:इन्फेक्शन मुंह या नाक में हो तो इंजेक्शन की जरूरत नहीं, उसका इलाज एंटी फंगल दवा से ही हो सकता है
देश भर में कोरोना के बाद म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसके सबसे ज्यादा मामले गुजरात में ही हैं। बढ़ते मामलों के कारण फंगस के इलाज में लगने वाले इंजेक्शन की भारी कमी और महंगी दवाओं को लेकर मरीजों में दहशत है।
फंगस को लेकर दैनिक भास्कर ने गुजरात के सीनियर डॉ. सुभाष अग्रवात से बात की। पढ़ें, बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल: म्यूकर माइकोसिस होने का मुख्य कारण क्या है? जवाब: म्यूकर माइकोसिस एक फंगल इंफेक्शन है। इस रोग में मुंह के अंदर फंगस बनने लगता है और ये उस हिस्से को सड़ाने लगता है। अगर ओरल हाईजीन यानी मुंह की स्वच्छता न रखी जाए तो इस रोग के बढ़ने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। क्योंकि ओरल कैविटी होने से यह समस्या एक्टिव होने लगती है।
अगर समय रहते कैविटी साफ नहीं की जाए तो यह पूरे मुंह में फैल जाता है। इसके बाद नाक को ब्लॉक कर देता है और इसका सीधा असर दिमाग पर होने लगता है। यदि नियमित रूप से मुंह की अच्छे से साफ-सफाई की जाती रहे तो फंगस इंफेक्शन होने की आशंका नहीं रहती।
सवाल: म्यूकर माइकोसिस होने पर किस तरह का इलाज करना चाहिए?
जवाब: अगर यह बीमारी फर्स्ट स्टेज में है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे मरीजों को सिर्फ एंटी फंगल दवाएं देकर ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए मरीज को कोई महंगा इंजेक्शन या अन्य महंगी टैबलेट लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती। बस जरूरत है कि संक्रमण को फर्स्ट स्टेज में ही यानी कि मुंह या नाक में ठीक कर लिया जाए। हां, इंफेक्शन के दिमाग तक पहुंचने की स्थिति गंभीर होती है। इसके लिए फिर सर्जरी करनी पड़ती है।सवाल: कोरोनरी और डायबिटिक रोगियों के संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है?
जवाब : अभी जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर मरीज तो ऐसे ही हैं। दरअसल इसका बड़ा कारण यह सामने आया है कि कोरोना के इलाज के दौरान मरीज को कई दिनों तक ऑक्सीजन पर रखा जाता है और उसे ओरल ट्रीटमेंट ही दिया जाता है। इसके चलते मरीज के मुंह की सफाई नहीं हो पाती। वह जो भी खाता है, उसके कण दांतों के बीच फंसे रहकर सड़ जाते हैं। इससे वहां फंगस बन जाता है।अगर डॉक्टर इस दौरान एंटी-फंगल दवा देते रहते हैं तो खतरा कम हो जाता है। वहीं, डायबिटिक मरीजों की बात की जाए तो उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। कोरोना होने के चलते वे जल्दी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
सवाल: MRI और CT स्कैन के बारे में आपकी राय?
जवाब: कोरोना महामारी के चलते वर्तमान हालात में लोग डरे हुए हैं। इसके चलते कई लोग तो जरा सी शंका होने पर ही खुद ही यानी डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही अपना टेस्ट करवा रहे हैं। म्यूकर माइकोसिस के डर के चलते सामान्य दांत दर्द में भी लोग CT स्कैन करवा रहे हैं, जो मेरी नजर में गलत है। क्योंकि एक डेंटिस्ट को अच्छी तरह से पता होता है कि MRI या CT स्कैन कब कराना है। इसलिए पहले आप डॉक्टर से ही जांच करवाएं।सवाल: कोरोना मरीज और सामान्य मरीजों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब: अगर मरीज का अस्पताल में इलाज चल रहा है और वह ऑक्सीजन या बायोपैप पर है तो उसे एंटी-कैविटी दवा दी जाए और उसके मुंह की साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाए। अगर मरीज वेंटिलेटर पर है तो उसे एंटी फंगस दवाओं की जरूरत नहीं है। वहीं, सामान्य व्यक्ति भी दिन में दो बार ब्रश करे और माउथवॉश से मुंह साफ रखें। मुंह से बदबू आने पर भी डेंटिस्ट से परामर्श लें।
संक्रमण की दोहरी मार:एम्स के सीनियर न्यूरोसर्जन का दावा- कोरोना ट्रीटमेंट के 6 हफ्ते के दौरान मरीज को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा
एम्स के एक सीनियर न्यूरोसर्जन का दावा है कि कोरोना के इलाज के 6 सप्ताह के अंदर मरीजों को ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा होता है। डॉ. पी शरत चंद्र के मुताबिक, इसके संक्रमण के सबसे अहम कारणों में बेकाबू डायबिटीज, टोसिलिजुमैब के साथ स्टेरॉयड का इस्तेमाल, मरीजों का सप्लीमेंटल ऑक्सीजन लेना है। कोरोना के इलाज के 6 सप्ताह के दौरान यदि मरीज के साथ इनमें से एक भी मसला है तो उसे ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा होता है।
उन्होंने आगाह किया कि सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना मरीजों के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। ब्लैक फंगस के मामले कम करने के लिए ज्यादा जोखिम वाले मरीजों को एंटी-फंगल दवा पॉसकोनाजोल दी जा सकती है।
कपड़े का मास्क हर दिन धोएं
मास्क के इस्तेमाल पर डॉ. चंद्रा ने कहा कि एक ही मास्क को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। कपड़े के मास्क अगर नमी वाली जगह पर रखा है तो इससे फंगस लग सकता है। कपड़े के मास्क को हर दिन धोना चाहिए। एन-95 मास्क को भी 5 बार ही इस्तेमाल करना चाहिए। मास्क को बदल-बदलकर पहनना चाहिए। हफ्ते के हर दिन के लिए एक मास्क रखें और उन्हें बदलकर पहनते रहें।
15 राज्यों में मिले मरीज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों में ही अब तक ब्लैक फंगस के 9,320 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 235 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 5000 हजार मामले तो अकेले गुजरात में ही सामने आए हैं। इस संक्रमण के चलते कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है।
अब तक 12 राज्यों में ब्लैक फंगस महामारी घोषित
ब्लैक फंगस को हरियाणा ने सबसे पहले महामारी घोषित किया था। उसके बाद राजस्थान ने भी इस संक्रमण को महामारी एक्ट में शामिल कर लिया। फिर केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों के कहा कि ब्लैक फंगस को पेन्डेमिक एक्ट के तहत नोटिफाई किया जाए।
इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तराखंड और तमिलनाडु भी ब्लैक संक्रमण को महामारी घोषित कर चुके हैं।