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जनता कर्फ्यू का एक साल:वैक्सीन आने के बाद देश में बढ़ी लापरवाही, 11 फरवरी के बाद देश में रोज आने वाले केस 368% बढ़े

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नई दिल्ली। आज 22 मार्च है। आज से ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में जनता कर्फ्यू लगा। ये लॉकडाउन का ट्रायल था। ट्रायल सफल रहा और 25 मार्च से कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच देश में लॉकडाउन लगना शुरू हुआ। कोरोना फिर भी बढ़ता रहा। एक से दूसरा, दूसरे से तीसरा और तीसरे से चौथा लॉकडाउन लगा।

फिर शुरू हुआ अनलॉक का दौर। इन सब के बीच कोरोना बढ़ता गया। सितंबर तक ये रफ्तार बढ़ती रही। अक्टूबर आया तो कहा गया- अब तो मौसम बदलना शुरू होगा तो ये आंकड़े और बढ़ेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। कोरोना के मामले घटने लगे।

इस साल जनवरी में देश में वैक्सीन भी आ गई। फिर क्या था… हम और लापरवाह हो गए। हमें लगा कि अब तो सब ठीक है, लेकिन एक बार फिर हमारी सोच के उलट कोरोना ने पलटी मारी है। इस साल 11 फरवरी के बाद देश में कोरोना के मामले रोज बढ़ने शुरू हो गए, जो पिछले साल नवंबर के बाद लगातार घट रहे थे।

11 फरवरी को देशभर में केवल 9,353 केस आए थे। 20 मार्च को इनकी संख्या बढ़कर 43,815 हो गई। यानी, 368% से भी ज्यादा का उछाल। इस बीच रोज मौतों की तादाद भी बढ़ने लगी है। महाराष्ट्र, पंजाब जहां दूसरे पीक की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत 6 और राज्य हैं, जहां कोरोना के नए केस में तेजी आई है। आइए समझें हम कहां और किस रफ्तार से जा रहे हैं और इसे रोक कैसे सकते हैं…

वैक्सीन आने के बाद भी क्यों बढ़ रहा कोरोना?

इस साल 16 जनवरी से वैक्सीन लगनी शुरू हुई। अब तक 4.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन के डोज लग चुके हैं, लेकिन सिर्फ 75 लाख लोगों को ही वैक्सीन के दोनों डोज लग पाए हैं। सालभर से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर तेज प्रताप तोमर कहते हैं कि वैक्सीन इलाज नहीं, इम्यूनिटी बूस्टर है। जब तक 40 से 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन नहीं लग जाती, तब तक हर्ड इम्यूनिटी नहीं आएगी। तब तक हमें सारी सावधानियां रखनी ही पड़ेंगी। तभी हालात काबू में रहेंगे। अगर हम इसी तरह लापरवाह बने रहे तो एक साल पहले जैसे स्थितियां फिर देखने को मिलेंगी।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी कहते हैं कि वैक्सीन आने के बाद लोगों ने या तो मास्क लगाना ही छोड़ दिया या फिर मास्क सही से पहनना छोड़ दिया। कोरोना संक्रमण बढ़ने का ये बड़ा कारण है।

महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में शनिवार को आए कुल मामलों में से 77.7% यानी 43,846 नए केस आए। केरल में मामले घट रहे हैं, लेकिन यहां भी शनिवार को 2 हजार से ज्यादा केस आए। अगर केरल के मामलों को भी मिला लें तो शनिवार को आए कुल मामलों में इन छह राज्यों में 83.14% नए केस सामने आए।

कोरोना से हुई 87% मौतें सिर्फ 6 राज्यों में

जिन राज्यों में शनिवार को सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की जान गई, उनमें 87% सिर्फ 6 राज्यों में हुईं। इनमें सबसे ज्यादा एक्टिव केस वाले 8 में से 5 राज्य हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़ भी सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की मौत वाले राज्यों में शामिल है। यहां एक्टिव केस अन्य राज्यों के मुकाबले कम हैं। शनिवार को यहां 11 मरीजों की जान गई।

पंजाब नए केस में केरल से आगे निकला, महाराष्ट्र के बाद दूसरा राज्य बना

महाराष्ट्र में अब महामारी की पहली लहर से भी अधिक केस मिलने लगे हैं। देश के 76.48% सक्रिय मरीज इन तीन राज्यों में ही हैं। संक्रमण बढ़ने का एक कारण टीकाकरण कम होना भी है। महाराष्ट्र-पंजाब अब तक 2.06% और 1.21% आबादी को ही टीका लगा पाए हैं। केरल 3.44% आबादी को टीके की एक डोज लगा चुका है। पंजाब नए केस के मामले में केरल से आगे निकल गया है।

महाराष्ट्र-पंजाब दूसरे पीक की ओर बढ़ रहे, केरल में नए केस तेजी से कम हो रहे

पंजाब और महाराष्ट्र में केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां के कई शहरों में दूसरा पीक आने को है। वहीं, केरल में केस भले ज्यादा हैं, लेकिन राहत की बात ये है कि यहां एक्टिव केस तेजी से घट रहे हैं। देश में औसतन 15% से 20% कोरोना मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। 80%-85% मरीज घर पर ठीक हो रहे हैं। हालांकि सक्रिय मरीजों का आंकड़ा अब बढ़ने लगा है। एक हफ्ते पहले देश में 2 लाख सक्रिय मरीज थे, अब बढ़कर 2.52 लाख से अधिक हो चुके हैं।

भारत-ब्राजील में मौतें अधिक होने लगीं, अमेरिका में घटीं

देश में 2 फरवरी से कोरोना के नए केस बढ़ना शुरू होने के बाद से भारत की दुनिया में हिस्सेदारी तीन गुना बढ़ गई है। वहीं अमेरिका और ब्राजील की भागीदारी घटी है। अमेरिका में मौतें घटी हैं, लेकिन ब्राजील और भारत में करीब 89% बढ़ी हैं। देश में अब रोज होने वाली मौतें बढ़ गई हैं। 11 फरवरी को इस साल की सबसे कम 89 मौतें हुई थीं। इसके बाद यह आंकड़ा लगातार बढ़ने लगा। 20 मार्च को सबसे अधिक 196 मौतें हुईं।

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