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वक्त आ गया है कि अपनी हेल्थ केयर को लेकर परिवार से बात करें, बीमारी की चपेट में आने से पहले ही फैसले लेने वाले को नियुक्त कर दें

महामारी फैलने के बाद परिवार से बात करने के लिए अब पहले जितना वक्त नहीं है वेंटिलेटर पर जाने के बाद ठीक हो चुके कई मरीजों का जीवन काफी हद तक बदल चुका है

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कोरोनावायरस के कारण लोगों में कई भावनात्मक बदलाव भी आए हैं। इस वक्त परिवार अपने बीमार परिजनों के लिए फैसला लेने में परेशान होते नजर आ रहे हैं। हाल ही में गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति के बेटे ने बताया कि, हमने बीमारी के कारण पिता की देखभाल के कई बड़े फैसलों को फिलहाल रोक दिया है। हमने कभी इसके बारे में बात नहीं की, मैं नहीं जानता को वो क्या चाहते हैं। इसी तरह कई परिवारों के हालात समान हैं।

कैसर फैमिली फाउंडेशन स्टडी के अनुसार अमेरिका में केवल 56 प्रतिशत व्यस्कों ने अपनी स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के बारे में बात की है। 27 फीसदी लोगों ने लिखा है और 10 में से केवल 1 ने यह सब चर्चा अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से की है।  कई परिवारों को यह जानकर आश्चर्य होता है कि, एक अच्छा जीवन किसी व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार होने पर या लाइफ सपोर्ट की आवश्यकता होने पर क्या किया जाना चाहिए, इस बात का मार्गदर्शन नहीं करता। सबसे ताकतवर चीज जो एक मरीज या परिवार कर सकता है वो है उनके स्वास्थ्य की देखभाल पर नियंत्रण करना।

महामारी के दौर में यह बातचीत काफी अहम हो गई है
अब जब हम महामारी में रह रहे हैं तो इस तरह की बातचीत जरूरी हो गई है। हालात यह हैं कि हल्के बुखार के लक्षण भी कुछ घंटों में जानलेवा साबित हो सकते हैं। कोविड 19 के पहले हमारे पास मरीज की प्राथमिकताओं के बारे में बात करने का समय था। परिवार, पालतू जानवर, घर पर रहना, आजादी और भरोसा यह सब सभी की लिस्ट में टॉप पर थे।

कुछ लोगों ने कहा कि, ज्यादा से ज्यादा जीना जरूरी है। कुछ लोग जीवन की क्वालिटी के बारे में चिंता करते हैं। कोविड 19 के साथ बात करने के मौके पता लगने से पहले ही खत्म हो जाते हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों से लोग नहीं मिल सकते हैं और वे कई बार फोन पर बात करने की हालत में भी नहीं होते। एक बार वेंटिलेटर पर जाने के बाद कई लोग बात नहीं कर पाते हैं।

वेंटिलेटर से उम्मीद लगा लेते हैं परिजन
कई परिवार अपने करीबियों को जिंदा रखने के लिए वेंटिलेटर्स से उम्मीद करते हैं। वेंटिलेटर जीवन बचा सकते हैं, लेकिन इसमें भी कई जोखिम हैं। संयुक्त राष्ट्र के डाटा के मुताबिक वेंटिलेटर पर मौजूद करीब आधे मरीज बीमारी से बच नहीं पाते और उम्र, स्वास्थ्य के कारण उनके बचने की संभावना भी कम होती जाती है। जो लोग बच जाते हैं उन्हें महीनों की स्किल्ड सुविधाओं की जरूरत होती है। लौट कर आए मरीज मेमोरी लॉस, तनाव जैसी कई परेशानियों का सामना करते हैं। कई लोग अपने पुराने स्तर के जीवन पर वापसी नहीं कर पाते हैं।

व्यक्ति का चुनाव करें जो आपकी जगह फैसले ले सके
कोविड बहुत ही अप्रत्याशित है इसलिए एक निर्णय लेने वाले को नियुक्त किया जाना चाहिए। उस व्यक्ति से अभी जरूरी चीजों के बारे में बात करें। उन्हें बताएं कि अगर आप गंभीर रूप से बीमार हो गए तो उन्हें क्या करना है। पहली बार में यह चर्चा अजीब लगेग, लेकिन इससे पता लगेगा कि अगर किसी हालात में कठिन निर्णय लेने पड़े तो यह आपकी इच्छाओं को दर्शाएगा। इसका मुख्य मकसद है इस बारे में जानना कि, सबसे ज्यादा क्या मायने रखता है। क्योंकि हर व्यक्ति के लिए क्वालिटी ऑफ लाइफ का मतलब अलग होता है।

  • फिर से आजाद रह सकूं: फेंफड़ों की बीमरी से जूझ रहे एक 87 साल के बुजुर्ग के अनुसार, वे चाहते हैं कि दोबारा अपने 2 एकड़ के इलाके में आजादी से रह सकें और आग जलाने के लिए खुद लकड़ी काट पाएं।
  • बच्चों के साथ जीना है: कैंसर की मरीज एक 36 साल की मां का कहना है कि, जब तक वो अपने बच्चों को खुद से चिपकाकर रख सकती है, तब तक जीवन जीने लायक है।

बात करने के कुछ उपाय
बात करना कुछ अजीब लग सकता है। इस एहसास को हटाने के लिए कुछ टिप्स हैं, जिसके जरिए आप जान सकते हैं कि परिवार के सदस्य क्या चाहते हैं।

  • आपके पीछे निर्णय लेने वाला कौन है? अगर आपने किसी को अपनी हेल्थ केयर पर निर्णय लेने के लिए नियुक्त नहीं किया है तो कर लें।
  • क्या आपने अपनी वसियत तैयार कर ली है, जो आपकी इच्छाओं को बताएगी। अगर वसियत बन चुकी है तो इसकी कॉपी किसके पास है?
  • आपके नियुक्त किए गए निर्णय लेने वाले से इच्छाओं के बारे में बात करें। उनके साथ इस बात को साझा करें कि, आपके लिए सबसे जरूरी क्या है। उदाहरण के लिए: घर पर रहना, परिवार के साथ रहना, ज्यादा से ज्यादा जीना, गुडबाय कहने के लायक होना।

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