29 साल बाद अयोध्या पहुंचे मोदी, रामलला के दर्शन करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे, दोपहर 12.30 बजे राम मंदिर के लिए भूमि पूजन करेंगे, 32 सेकंड का मुहूर्त
प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ से अयोध्या पहुंचे। सीएम योगी ने उनका हेलिपेड पर अभिवादन किया। राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए अयोध्या सील, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहर में 3 घंटे रुकेंगे मोदी पहले हनुमान गढ़ी जाएंगे, फिर राम जन्मभूमि परिसर में शिला पूजा, भूमि पूजा और कूर्म शिला पूजन करेंगे
आज राम काज का दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंच गए हैं। वे रामलला के दर्शन और हनुमान गढ़ी जाने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। दोपहर 12:30 बजे मोदी राम मंदिर की नींव रखेंगे। मोदी, जिनकी पार्टी भाजपा ने 10 में से 8 लोकसभा चुनाव में यही वादा दोहराया था।…और सबसे खूबसूरत बात यह कि इसका सबसे पहला न्योता उन इकबाल अंसारी को भेजा गया, जो बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे थे।
492 साल पहले बाबर के कहने पर अयोध्या में विवादित ढांचा बना था। 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके ठीक नौ महीने बाद अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन होने जा रहा है।
आजादी के बाद मोदी इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री होंगे, जो इस पद पर रहते हुए रामलला के दरबार में होंगे। उनसे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी और खुद नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अयोध्या पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं कर पाए थे।
मोदी 29 साल बाद अयोध्या में
इससे पहले मोदी 1991 में अयोध्या गए थे। तब भाजपा अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे और यात्रा में मोदी उनके साथ रहते थे। मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त फैजाबाद-अंबेडकर नगर में एक रैली को संबोधित किया था, लेकिन अयोध्या नहीं गए थे।
अपडेट्स
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचे।
- आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत शिलान्यास स्थल पहुंचे।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी शिलान्यास स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि उन्हें राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह निर्देश दिया है। पहले उन्होंने कहा था कि वे शिलान्यास के दौरान सरयू तट पर रहेंगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वायुसेना के विमान से लखनऊ पहुंचे। वे यहां से हेलिकॉप्टर से अयोध्या के लिए रवाना हुए।
- मोदी सबसे पहले हनुमान गढ़ी जाएंगे। इसको लेकर पूरे मंदिर को सैनिटाइज किया गया। मंदिर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
- अयोध्या पहुंचे बाबा रामदेव ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है। आज का दिन लंबे समय तक याद रखा जाएगा। मुझे राम मंदिर निर्माण को लेकर पूरा भरोसा था। देश में रामराज्य की स्थापना होगी।
- केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत के संविधान में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का स्केच शेयर किया। स्केच में राम को लंका विजय के बाद अयोध्या लौटते हुए दिखाया गया है।
- हनुमान गढ़ी के मुख्य पुजारी प्रेमदास जी महाराज ने कहा कि आज गर्व का क्षण है। हम प्रधानमंत्री मोदी को पगड़ी और रामनामी पटका पहनाकर सम्मान करेंगे। उन्हें चांदी का सिक्का भी दिया जाएगा।
मंच पर सिर्फ 5 लोग
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भूमिपूजन के लिए एक मंच बनाया गया है। इस पर सिर्फ पांच लोग प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास मौजूद रहेंगे।
इनके अलावा, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी, समाजसेवी और पद्मश्री मोहम्मद शरीफ, कोठारी बंधु की बहन पूर्णिमा कोठारी भूमि पूजन में शामिल होंगी।
175 मेहमानों में 135 संत, सभी को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया जाएगा
कोरोना की वजह से भूमि पूजन समारोह में सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया गया है। इनमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल हैं। बाकी कारसेवकों के परिवार और अन्य लोगों को निमंत्रण दिया गया है। भूमि पूजन में शामिल होने वाले हर अतिथि को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया जाएगा। सिक्का मंदिर ट्रस्ट देगा।
175 मेहमानों में 135 संत, सभी को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया जाएगा
कोरोना की वजह से भूमि पूजन समारोह में सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया गया है। इनमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल हैं। बाकी कारसेवकों के परिवार और अन्य लोगों को निमंत्रण दिया गया है। भूमि पूजन में शामिल होने वाले हर अतिथि को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया जाएगा। सिक्का मंदिर ट्रस्ट देगा।
3 घंटे मोदी अयोध्या में रहेंगे
09:35 बजे: प्रधानमंत्री दिल्ली से रवाना होंगे।
10:35 बजे: मोदी लखनऊ पहुंचेंगे।
11:30 बजे: प्रधानमंत्री मोदी हेलिकॉप्टर से अयोध्या पहुंचेंगे।
11:40 बजे: मोदी और योगी हनुमानगढ़ी जाएंगे, फिर राम जन्मभूमि परिसर जाएंगे।
12:00 बजे: मोदी राम जन्मभूमि परिसर पहुंचेंगे।
12:15 बजे: प्रधानमंत्री पारिजात का पौधा लगाएंगे।
12:30 बजे: पूजा कार्यक्रम शुरू होगा। इस दौरान शिला पूजा, भूमि पूजा और कर्मा शिला पूजा होगी।
12:44 से 12:45 बजे: 32 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त में मुख्य पूजा होगी। मान्यता यह है कि इसी मुहूर्त में भगवान राम का जन्म हुआ था। मोदी इस दौरान 40 किलो चांदी की ईंट नींव के तौर पर रखेंगे।
2:20 बजे: मोदी अयोध्या से लखनऊ रवाना हो जाएंगे।
आडवाणी, जोशी, राजनाथ कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे
- राम मंदिर आंदोलन से जुड़े भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भूमि पूजन में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे। उमा भारती अयोध्या पहुंची हैं, लेकिन वे उस वक्त सरयू नदी पर मौजूद रहेंगी। आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन की अगुआई की थी और रथ यात्रा निकाली थी। मुरली मनोहर और उमा भी इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
- गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव हैं, इसलिए वे भी अयोध्या नहीं पहुंचेंगे। उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या आने का कार्यक्रम कोरोना के चलते रद्द कर दिया है। जब बाबरी ढांचा गिराया गया था, तब कल्याण सिंह ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
- योग गुरु बाबा रामदेव, रामभद्राचार्य, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, मथुरा से मूलक-पीठ के राजेंद्र देवाचार्य, कांची मठ के गोविंद देवा गिरि महाराज, रेवसा डौंडिया के राघवाचार्य, चिदानंद मुनि, सुधीर दहिया अयोध्या पहुंच चुके हैं।
अयोध्या को थाइलैंड से आए ऑर्किड और बेंगलुरु के अपराजिता फूलों से सजाया
अयोध्या को 400 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। थाईलैंड से ऑर्किड तो बेंगलुरु से अपराजिता के फूल मंगाए गए हैं। वहीं, नारंगी और लाल रंग के डबल टोन्ड गेंदा के फूल कोलकाता से आए हैं। भूमि पूजन स्थल और आसपास के मंदिरों को इनसे सजाया गया है। इसके अलावा, साकेत पीजी कॉलेज से नया घाट तक 50 से ज्यादा स्थानों पर रंगोली बनाने में फूलों का इस्तेमाल किया गया है।
दो करोड़ से ज्यादा लड्डू के पैकेट बांटे जाएंगे
भूमि पूजन के बाद प्रसाद के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के 1.11 लाख लड्डू बनाए गए हैं। इसके अलावा पटना के महावीर ट्रस्ट ने एक करोड़ रामलड्डू पैकेट बनवाए हैं। इनके अलावा, सांसद लल्लू सिंह ने साढ़े तीन लाख लड्डुओं के पैकेट बनवाए हैं।
दो हजार से ज्यादा स्थानों से मिट्टी और जल पहुंचा
भूमि पूजन के लिए देश के 2 हजार से ज्यादा प्रमुख तीर्थस्थलों, राष्ट्रीय महत्व के स्थानों और पवित्र नदियों से पवित्र मिट्टी और जल अयोध्या पहुंच चुका है। बद्रीनाथ धाम, छत्रपति शिवाजी महाराज के किले रायगढ़, श्री रंगनाथ स्वामी मन्दिर तमिलनाडु, श्री महाकालेश्वर मंदिर, हुतात्मा चंद्रशेखर आजाद और बलिदानी बिरसा मुंडा की जन्मभूमि सहित सभी तीर्थों और बलिदानी वीरों के प्रेरणा स्थलों से मिट्टी, जल और अन्य वस्तुएं अयोध्या पहुंची हैं। इसके अलावा करीब एक क्विंटल चांदी की ईंटें भी राम मंदिर की नींव में इस्तेमाल करने के लिए दान दी गई हैं।
अयोध्या में स्नाइपर्स की तैनाती
अयोध्या में स्नाइपर्स तैनात किए गए हैं। तीन सुरक्षा घेरे में 3500 पुलिसकर्मी, 40 कंपनी पीएसी, 10 कंपनी सीआरपीएफ लगाई गई है। कोरोना संक्रमण के चलते सुरक्षा व्यवस्था में 45 साल से कम उम्र के सुरक्षाकर्मी ही तैनात किए गए हैं। शहर की सीमाएं सील कर दी गई हैं।
अयोध्या में घर व कारोबार की चाह, जमीन के दाम 4 गुना बढ़े; कई प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
- पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन के सौदे 20% और दाम चार गुना तक बढ़े हैं
- 600 एकड़ में राज्य सरकार की सबसे बड़ी नव्य अयोध्या टाउनशिप, 200 एकड़ में इक्ष्वाकु सिटी प्रस्तावित है
अयोध्या में बाहर के लोग अब घर और कारोबार के लिए जमीन तलाश रहे हैं। भूमि खरीदी-बिक्री विभाग में सब रजिस्ट्रार एसबी सिंह ने बताया कि अयोध्या से सटे तीन गांवों मांझा, बरेहटा और सहजनवां में कई प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन के सौदे 20% और दाम चार गुना तक बढ़े हैं। 600 एकड़ में राज्य सरकार की सबसे बड़ी नव्य अयोध्या टाउनशिप, 200 एकड़ में इक्ष्वाकु सिटी प्रस्तावित है। अंतरराष्ट्रीय रामलीला स्थल, राम-शोध केंद्र जैसे प्रोजेक्ट के लिए भी भूमि चाहिए।
क्रेडाई सूत्रों के मुताबिक अयोध्या में दो फाइव स्टार होटल, 20 थ्री या फोर स्टार होटल खुलने की संभावना है। पांच से सात साल में 15 से 30 लाख रु. वाले 5000 फ्लैट की मांग हो सकती है। ऐसे प्रोजेक्ट में करीब 15 डेवलपर्स ने रुचि दिखाई है।
6 क्षेत्रों में जमीन की कीमत में भारी अंतर
- शहर: सर्किल रेट 6 हजार- 15 हजार, बाजार मूल्य 10 हजार से 25 हजार रु. प्रति वर्ग मी.।
- गांव: सर्किल रेट 3500 से 8000, बाजार मूल्य 7 हजार से 20 हजार रु. प्रति वर्गमी.।
- हाईवे के पास: सर्किल रेट 58 लाख से 3.04 करोड़ रु., बाजार मूल्य 1.25 करोड़ से 13 करोड़ रु. प्रति वर्गमी.।
- बाहर : सर्किल रेट 3000 से 8200, बाजार मूल्य 7 हजार से 25 हजार रु. प्रति वर्ग मी.।
राम मंदिर के लिए चला आंदोलन हो या इसके लिए हिंदुओं को एकजुट करने की पहल, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व उससे जुड़े संगठन सबसे आगे रहे हैं। लेकिन, क्या राम मंदिर के लिए पूरा श्रेय इन्हें दिया जाना सही है? क्या कांग्रेस ने इसकी खातिर कुछ नहीं किया?
राम मंदिर पर आज क्या है कांग्रेस का रुख?
- इस समय कांग्रेस की भूमिका बेहद भ्रमित नजर आ रही है। दो ध्रुव बन गए हैं। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद समेत कई नेता भूमिपूजन के आयोजन पर सवाल उठा रहे हैं।
- वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बनेगा।
- मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भगवा चोला पहनकर हनुमान चालीसा का पाठ कराया। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राम मंदिर के लिए 11 चांदी की ईंटें भेंट करने का ऐलान भी कर दिया।
क्या है कांग्रेस के भाजपा-संघ पर आरोप?
- कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने राम मंदिर ट्रस्ट पर निशाना साधा और कांग्रेस नेतृत्व को भूमिपूजन कार्यक्रम में न बुलाने को लेकर कहा कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से भाजपा-संघ का आयोजन हो गया है।
- खुर्शीद ने कहा कि किसी एक नेता को नहीं, बल्कि इस कार्यक्रम में तो राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी नेताओं को बुलाया जाना चाहिए। ट्रस्ट के पदाधिकारी मोदी सरकार के करीबी हैं और उनके कहने पर ही काम हो रहा है।
- कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह एक जनआंदोलन था। अब मंदिर साकार हो रहा है तो उसमें राजनीति क्यों लाई जा रही है? आंदोलन तो संघ के बनने से पहले से चल रहा था।
क्या अहमियत है कांग्रेस के लिए भगवान राम की?
- बात शुरू होती है महात्मा गांधी से। उनका और भगवान राम का गहरा नाता था। उन्होंने अक्सर कहा कि मुझे ताकत भगवान राम के नाम से मिलती है। यह मुझे संकट के क्षणों से उबारती है। नई ऊर्जा देती है।
- न केवल एक सच्चे रामभक्त की तरह महात्मा गांधी ने पूरे जीवन में राम नाम का जाप किया, बल्कि अपने जीवन में भी सरलता, सादगी और आत्म-समर्पण को अपनाया।
- भगवान श्रीराम का ऐसा ही प्रभाव पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी था। उन्हें देश पर रामायण का असर पता था। उनके ही कहने पर 1985 में दूरदर्शन ने रामानंद सागर के रामायण का प्रसारण किया।
- 1986 में उन्होंने उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीर बहादुर सिंह को मनाया और राम जन्मभूमि मंदिर के ताले खुलवाए। तभी तो हिंदुओं को भगवान श्रीराम के दर्शन का अवसर मिला।
- 1989 में चुनावी भाषणों में वे अक्सर देश में रामराज्य लाने का वादा करते हुए शुरुआत करते। इतना ही नहीं, राजीव गांधी के काम भी भगवान राम और जन्मभूमि के प्रति उनका प्रेम दिखाते हैं।
- नवंबर 1989 में उन्होंने विश्व हिंदू परिषद को राम मंदिर के शिलान्यास की अनुमति दी। तब तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह को भी शिलान्यास में भाग लेने के लिए भेजा था।
- चेन्नई में अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब राजीव गांधी से राम मंदिर पर प्रश्न पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि इस पर आम राय बनाने की काेशिशें जारी हैं। अयोध्या में ही राम जन्मभूमि मंदिर बनेगा।
- यदि 1989 में राजीव गांधी की सरकार बनती तो शायद राम मंदिर के लिए प्रयास भी तेज हो गए होते। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी तक इस बात का दावा करते दिखते हैं।
राजीव गांधी के बाद क्या कांग्रेस ने राम का साथ छोड़ दिया?
- ऐसा कहना सही नहीं होगा। उनके बाद पीवी नरसिम्हा राव ने भी राम जन्मभूमि मंदिर के प्रति अपनी तैयारी दिखाई थी। केंद्र में उनकी ही सरकार थी, जब 6 दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।
- हालांकि, इसके कुछ ही दिन बाद यानी जनवरी 1993 में राव सरकार विवादित जमीन के अधिग्रहण के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी। इस अध्यादेश को 7 जनवरी 1993 को उस समय के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने मंजूरी दी थी।
- राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने इस बिल को मंजूरी के लिए लोकसभा में रखा। पास होने के बाद इसे अयोध्या एक्ट के नाम से जाना गया।
- नरसिम्हा राव सरकार ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन के साथ चारों तरफ 60.70 एकड़ जमीन को कब्जे में लिया। उस समय योजना अयोध्या में राम मंदिर, एक मस्जिद, लाइब्रेरी, म्यूजियम और अन्य सुविधाओं के निर्माण की थी।
- हालांकि, बीजेपी ने राव सरकार के कदम का विरोध किया था। बीजेपी के साथ मुस्लिम संगठन भी विरोध में थे। राव सरकार ने इस मसले पर प्रेसिडेंशियल रेफरेंस का इस्तेमाल किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राय देने से मना कर दिया था।
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि क्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद के विवादित जगह पर कोई हिंदू मंदिर या कोई हिंदू ढांचा था। 5 जजों की बेंच ने इन सवालों पर विचार किया था लेकिन कोई जवाब नहीं दिया था।
… नरसिम्हा राव के बाद तो जैसे राम का नाम ही कांग्रेस के लिए फोबिया हो गया?
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- राव सरकार के जाने के बाद कांग्रेस ने राम मंदिर के मुद्दे को छोड़ दिया। भाजपा ने इसे सीने से लगाए रखा। कांग्रेस में धीरे-धीरे राम, रामायण और रामराज्य को लेकर ही फोबिया विकसित हो गया।
- 2009 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए। लाखों हिंदुओं की भावनाओं को इससे धक्का लगा। कांग्रेस को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
- इसके बाद तो जैसे कांग्रेस नेताओं ने राम मंदिर के मसले पर बोलना ही बंद कर दिया। जो भी राम का नाम लेता, उसे कांग्रेस नेता संघी, सांप्रदायिक, हिंदुत्व एजेंट कहने लगे।
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नई दिल्ली2 घंटे पहले
- 1989 में उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को हार मिली और उसके बाद वह हारती चली गई। मुस्लिम भी बाबरी ढांचे के गिरने के बाद उससे दूर होकर सपा जैसे क्षेत्रीय दलों के करीब होते गए।
492 साल बाद जन्मभूमि पर आज से फिर राम मंदिर बनने की शुरुआत
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- 9 नवंबर 1989 को भी राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था, दलित समुदाय के कामेश्वर चौपाल ने पहली ईंट रखी
- 1528 में बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी, एएसआई की रिपोर्ट में यहां पहले मंदिर होने की बात आई
492 साल बाद अयोध्या में फिर से
मंदिर बनने जा रहा है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करके इसकी शुरुआत करेंगे। वहीं, 30 साल 8 महीने 27 दिन बाद ये दूसरा मौका होगा, जब राम मंदिर के लिए शिलान्यास होगा।
इन 492 सालों में अयोध्या ने कई पड़ाव देखे। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनी। मस्जिद टूटी फिर बनी, फिर टूटी। 167 साल पहले मंदिर को लेकर पहली बार अयोध्या में हिंसा हुई तो 162 साल पहले इस विवाद में पहली एफआईआर हुई। 135 साल पहले मामला कोर्ट तक पहुंचा और 8 महीने 27 दिन पहले रामलला के पुन: विराजमान होने का सुप्रीम फैसला आया। ये आंकड़े अपने आप में कई कहानियां कहते हैं।
एक लंबी कानूनी लड़ाई की कहानी, सबसे बड़े विवाद की सबसे बड़ी कहानी, आस्था और विश्वास की कहानी, संघर्ष की कहानी, संयोगों की कहानी और न्याय की जीत की कहानी…इस रिपोर्ट में आंकड़ों के जरिए जानिए इन सभी कहानियों को…
1526 में बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने भारत आया था। दो साल बाद 1528 में बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया। 330 साल बाद 1558 में इस मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हुआ। जब विवादित परिसर में हवन, पूजन करने पर एक एफआईआर हुई।
अयोध्या रिविजिटेड किताब के मुताबिक एक दिसंबर 1858 को अवध के थानेदार शीतल दुबे ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि परिसर में चबूतरा बना है। ये पहला कानूनी दस्तावेज है, जिसमें परिसर के अंदर राम के प्रतीक होने के प्रमाण हैं।
इस घटना के 27 साल बाद मामला कोर्ट पहुंच गया। जब महंत रघुबर दास ने फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए याचिका लगाई। कोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी। 1886 मेंं फैसले के खिलाफ अपील हुई लेकिन याचिका फिर रद्द हो गई।
1949 में 22-23 दिसंबर को विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई। 23 दिसंबर को मामले में एफआईआर हुई। परिसर का गेट लॉक कर दिया गया। नगर महा पालिका अध्यक्ष का विवादित क्षेत्र का रिसीवर बनाया गया। 5 जनवरी को नगर महा पालिका अध्यक्ष प्रिय दत्त राम इसके रिसीवर बने। 1950 में एक बार फिर मामला कोर्ट पहुंचा और 2019 तक ये कानूनी लड़ाई अंजाम पर पहुंची।
492 साल के अहम पड़ावों की पूरी कहानी
- 1528 : बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने अयोध्या में मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया।
- 1853 : अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में सांप्रदायिक हिंसा भड़की। हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।
- 1885: महंत रघुबर दास ने फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए याचिका लगाई। कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी।
- 1949 : विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई। मामले में एफआईआर हुई। परिसर का गेट लॉक कर दिया गया।
- 1950 : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद और परमहंस रामचंद्र दास ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।
- 1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया।
- 1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
- 1981 : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
- 8 अप्रैल 1984: दिल्ली के विज्ञान भवन में राम मंदिर निर्माण के लिए एक विशाल धर्म संसद का भी आयोजन किया गया।
- 1986: लोकल कोर्ट ने पूजा के लिए परिसर का लॉक खोलने की अनुमति दी। इससे विवाद को हवा मिली।
- 1989: एक जुलाई को रिटायर्ड जज देवकी नंदन अग्रवाल ने फैजाबाद कोर्ट में राम के मित्र के रूप में याचिका लगाई।
- 1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा।
- 9 नवंबर 1989: मंदिर का शिलान्यास हुआ, दलित समुदाय के कामेश्वर चौपाल ने पहली ईंट रखी। कामेश्वर अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं।
- 1990: लालकृष्ण आडवाणी ने देशभर से राम मंदिर के लिए समर्थन जुटाने के लिए रथ यात्रा शुरू की।
- 1992 : 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।
- 1993: केंद्र ने विवादित इलाके के आसपास के 67.7 एकड़ इलाके को अपने कब्जे में ले लिया।
- 1994: केंद्र के फैसले के खिलाफ लगी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। इसके लिए मस्जिद का होना जरूरी नहीं है।
- 2002 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
- 2003: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित क्षेत्र में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक लगाई। आर्कोलियॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट जमा की। इसमें विवादित जगह पर किसी पुराने ढांचे के होने की बात की गई।
- 2009: लिब्राहन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 68 लोगों पर कार्रवाई की सिफारिश की। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे बड़े भाजपा नेताओं के नाम थे।
- 2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।
- 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
- 2016 : सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी।
- 2017: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कोर्ट के बाहर मामला सुलझाने की सुझाव दिया।
- 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
- जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच बनाई।
- 6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
- 16 अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हुई।
- 9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना।
अयोध्या से आंखन देखी:जन्मभूमि जाने वाले हर मेहमान का कोरोना टेस्ट होगा, स्थानीय लोगों के घरों में अगले दो दिन तक मेहमानों के आने पर रोक
अयोध्या20 मिनट पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव/ आदित्य तिवारीअयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास से पहले मंगलवार को करीब सवा लाख दीप जलाए गए। नदी के किनारे घाटों और मंदिरों को सजाया गया है। आज भूमिपूजन का कार्यक्रम है।- जब तक मेहमान पूजा में शामिल नहीं हो जाते हैं तब तक उन्हें किसी से नहीं मिलना है, कोरोना का जो डर है
- स्थानीय लोगों को निर्देश दिए थे कि मंगलवार शाम 4 बजे तक घर लौट आएं, वरना पीएम के जाने के बाद ही अयोध्या में एंट्री मिलेगी
- 15 साल में पहली बार हटाई गई हनुमानगढ़ी पर लगी बैरिकेडिंग, 4 से 5 मोहल्लों में रहनेवालों को आज शाम तक अपने घर में ही रहना होगा
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भगवान राम की नगरी अयोध्या सज गई है। आज भूमिपूजन का कार्यक्रम है, जिसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी आ रहे हैं। इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होंगे। इसको लेकर तैयारियां पूरी की जा चुकी है। इससे पहले मंगलवार को नया घाट राम की पैड़ी पर मंगलवार को दीपोत्सव मनाया गया। यहां 3,51,000 दीये जलाए गए। प्रधानमंत्री बुधवार को 12:30 बजे भूमि पूजन करेंगे। यह कार्यक्रम करीब 10 मिनट तक चलेगा।
कारसेवकपुरम : 15 सौ लोगों के लिए बनेगा भोजन
भूमिपूजन को लेकर कारसेवकपुरम के पास सुरक्षा व्यवस्था चौकस है। गेट पर पुलिस की तैनाती है।विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय कारसेवकपुरम से जन्मभूमि के बीच सरकारी अमला भाग- दौड़ में लगा हुआ है। कारसेवकपुरम के गेट पर 4 से 5 पुलिसवाले बैठे हैं। वायरलेस पर वीआईपी मूवमेंट की खबर लगातार आ रही है। गेट से गाड़ियां अंदर जा रही हैं। भीतर गले मे विहिप की ओर से जारी कार्ड लटकाए स्वयंसेवक किसी इवेंट मैनेजमेंट टीम की तरह मुस्तैद हैं। मेहमानों को कोई दिक्कत न हो उसको लेकर एक हेल्प डेस्क बनाई गई है।
जन्मभूमि के भूमिपूजन के लिए जिन मेहमानों को बुलाया गया हैं, उनके साथ एक-एक स्वयंसेवक को तैनात किया गया है। कार्यालय में जो भी नेताओं और पदाधिकारियों से मिलने आ रहा है, उनका नाम और मोबाइल नम्बर भी नोट किया जा रहा है। काशी से आए वीरेंद्र खुद को विहिप का नेता बताते हैं। वे इसलिए अयोध्या आए हैं कि उन्हें भी जन्मभूमि में जाने के लिए पास मिल जाए। लेकिन नेताओं से मिलने के बाद उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। वीरेंद्र अकेले नहीं हैं, उनके जैसे 500 से ज्यादा लोग पास की उम्मीद से आए हैं, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया है।
राजकुमार भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अलीगढ़ से पैदल आए हैं।रामकुमार हाथ मे राम नाम का झंडा लिए अलीगढ़ से 9 दिन पहले पैदल चले थे, मंगलवार को ही वो अयोध्या पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ में ही वो धनिधर सरोवर है, जहां मान्यता के मुताबिक ताड़का वध हुआ था। वे कहते हैं कि मैंने प्रण लिया था कि जब राममंदिर की आधारशिला रखी जाएगी तब वह जहां भी होंगे वहां से वह पैदल अयोध्या आएंगे और रामलला के दर्शन कर वापस होंगे।
रामकुमार को रुकने के लिए कहीं और व्यवस्था करनी होगी क्योंकि कारसेवकपुरम में पहले ही कई लोग आकर ठहरे हैं। रामकुमार की तरह आने वाले कई लोगो के लिए कारसेवकपुरम में भोजन की व्यवस्था तो है, लेकिन ठहरने की नहीं। यहां 3 अगस्त को 300 लोगों का खाना बना था, 4 अगस्त को 800 के लिए बना और 5 अगस्त को 1500 लोगों का भोजन बनेगा।
मानस भवन : जन्मभूमि जाने वाले हर मेहमान का कोरोना टेस्ट होगाबाहर से आने वाले मेहमानों के लिए यहां ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है।कारसेवकपुरम से लगभग 200 मीटर दूर और जहांं पत्थर तराशे जा रहे हैं, उस कार्यशाला के पीछे है मानस भवन। यहां बड़ा गेट बंद कर सिर्फ छोटा गेट खोला गया है। जन्मभूमि जाने वाले मेहमान यहीं रुके हैं। अंदर जाते ही बड़ा सा हॉल है। भगवा कुर्ता और पीले कुर्ते में स्वयंसेवक अनजान लोगों को रोक रहे हैं। अंदर कुछ लोग कौन किस कमरे में रुकेगा, इसकी व्यवस्था कर रहे हैं। मीडिया के प्रवेश पर फिलहाल रोक है।
जानकारी के मुताबिक, जब तक मेहमान पूजा में शामिल नहीं हो जाते, तब तक उन्हें किसी से नहीं मिलना है। एक सज्जन मुस्कुराकर कहते हैं कि कोरोना का डर है। बताया गया कि यहां 40 कमरे हैं। एक संत के साथ उनका एक सेवक भी है। बाकी विहिप के 14 कार्यकर्ता को-ऑर्डिनेशन के लिए लगाए गए हैं। यहीं पर उनके भोजन की व्यवस्था भी की गई है। इसी तरह वैदेही भवन, जैन मंदिर में भी मेहमानों के रुकने की व्यवस्था की गई है।
भूमिपूजन को लेकर कार्यशाला को पूरी तरह सजाया गया है। अंदर भजन-कीर्तन का प्रोग्राम है।बगल में ही कार्यशाला है। इसे भी खास तौर पर सजाया गया है। गेट पर फूलों और झालरों की सजावट है और गेट के अगल-बगल दो हाथी खड़े किए गए हैं। अंदर मंदिर में कीर्तन चल रहा है और जन्मभूमि का लाइव प्रसारण देखने के लिए बड़ी-सी एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई है। कई टेलीविजन जर्नलिस्ट अपनी लाइव रिपोर्टिंग यहीं से कर रहे हैं।
हनुमानगढ़ी : 15 साल में पहली बार हटाई गई हनुमानगढ़ी पर लगी बैरिकेडिंग, दुकानदार बोले पहली बार ऐसा इंतजाम देखा
तस्वीर हनुमान गढ़ी मंदिर के पास लगे बैरिकेडिंग वाली जगह की है। आज के कार्यक्रम के चलते इसे हटा दिया गया है।हनुमानगढ़ी पर लगी बैरिकेडिंग को 15 साल बाद हटाया गया है। बगल में कपड़े की दुकान में बैठे रौशन कहते है कि जब अयोध्या में ब्लास्ट हुआ था तब सुरक्षा के लिए यह बैरिकेडिंग लगाई थी। अयोध्या कवरेज पर आने वाले टीवी पत्रकारों के लिए फेवरेट प्लेस माना जाता रहा है। पहले जैसे ही कैमरा ऑन होता था। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी कैप वगैरह लगाकर मुस्तैद हो जाया करते थे लेकिन आज वह छांव में किनारे बैठे है। पूछने पर कहते है कि कल कार्यक्रम खत्म होने के बाद बैरिकेडिंग फिर लग जाएगी।
पीएम मोदी अयोध्या आने के बाद हनुमान गढ़ी मंदिर भी भगवान के दर्शन के लिए जाएंगे।हनुमानगढ़ी मंदिर की ओर जाने वाली सड़क से मंदिर के बीच 100 मीटर के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों को भी रंगा गया है। मंदिर के सामने भीड़ न के बराबर है। पीएम मोदी भी जन्मभूमि जाने से पहले हनुमान जी का दर्शन करेंगे। प्रसाद की दुकान चलाने वाले बृजमोहन कहते है कि रामनगरी के लोगों को पुलिसिया सख्ती की आदत पड़ चुकी है, लेकिन ऐसा इंतजाम पहली बार देख रहा हूं।
कंठी माला बेचने वाले शंभूदयाल कहते हैं कि हमें 5 अगस्त को जब तक पीएम चले न जाएं तब तक दुकानें खोलने से मना किया गया है। वे कहते हैं कि सामने से पीएम को नहीं देखने का दुख जरूर है लेकिन रामलला का मंदिर बन रहा है यह सबसे बड़ी बात है।
टेढ़ी बाजार मोहल्ला : शाम 4 बजे तक घर लौट आएं अयोध्या के लोग, मेहमानों को बुलाने पर लगी रोक
सड़क पर लगी बैरिकेडिंग के पास पेड़ के नीचे मोहल्ले के कुछ लोग बैठ कर भूमिपूजन के बारे में बात कर रहे हैं। राकेश कहते हैं कि मैं ड्राइवर हूं, प्राइवेट गाड़ी चलाता हूं। अभी सोमवार को सवारी लेकर गोरखपुर गया था। लौटा तो पता चला कि पुलिस ने कहा है कि अब कोई अयोध्या के बाहर जाएगा तो घर नहीं लौटेगा, अब कार्यक्रम के बाद ही एंट्री होगी।इसी जगह पीएम मोदी का हेलीकॉप्टर लैंड करेगा। पीएम मोदी करीब 3 घंटे अयोध्या रहेंगे।राकेश के साथ बैठे रामजी कहते हैं कि पड़ोस के गांव में रहने वाले उनके रिश्तेदार अयोध्या आना चाहते थे, इतनी रौनक जो लगी है। कई मेहमान फोन कर आने के लिए बोल रहे थे। लेकिन, हमने मना कर दिया है। पीएम का स्वागत कैसे करेंगे ? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि हम लोग तो फूल लेकर यहां खड़ा होना चाहते हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि हमें ऐसा करने नहीं दिया जाएगा। वे कहते हैं कि मौका मिलेगा तो जरूर उन्हें जाते हुए देखेंगे।
लगभग डेढ़ किमी के रास्ते पर 4 से 5 मोहल्लेवालों को घरों में कल शाम तक कैद रहना पड़ेगा। टेढ़ी बाजार चौराहे से ही बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब के घर की ओर जाने वाला रास्ता भी है। यहां हमेशा की तरह पुलिस मुस्तैद है और बैरिकेडिंग लगी हुई है, लेकिन सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
भूमिपूजन में बुलाए मेहमानों के और अयोध्या के लोगों को आईकार्ड दिखाने के बाद ही शहर में एंट्री मिलेगी।बाराबंकी से अयोध्या तक 4 बार चेकिंग होगी
कार्यक्रम को लेकर एसएसपी अयोध्या दीपक कुमार ने सुरक्षा सख्त कर दी है। 4 अगस्त की रात 12 बजे से सिर्फ भूमिपूजन में बुलाए मेहमानों के अलावा अयोध्या के लोगों को ही आईकार्ड दिखाकर शहर में एंट्री मिलेगी। बाराबंकी से अयोध्या की ओर आने वाली गाड़ियों की 4 जगहों पर चेकिंग हो रही है। अकेले अयोध्या में अफसर जवान मिलाकर 5 हजार फोर्स तैनात किए गए हैं।राम जन्मभूमि के आस-पास कम उम्र के रंगरूटों को ही तैनात किया जा रहा है। ज्यादातर 45 से कम उम्र के। जबकि उनकी टुकड़ियों के साथ अनुभवी लेकिन कम उम्र के अफसर रहेंगे। शहर की सीमा में आने वाले वाहनों की डिटेल, आधार कार्ड या सरकारी आईकार्ड की डिटेल और मोबाइल नंबर भी पुलिसवाले नोट कर रहे हैं।